राष्ट्रीय (01/10/2012) 
गांधी जयंती की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति का संदेश

गांधी जयंती हमारे लिए राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के जीवन और उनके योगदान को याद करने का एक अवसर है। यह दिन अहिंसा के लिए गांधीजी के संकल्प के प्रति खुद को समर्पित करने का भी दिन है। आज जिन समस्याओं से हमारा देश और समाज जूझ रहा है, उनसे निपटने के लिए हमें गांधी के विचारों और उनके कामकाज से सबक लेने की जरूरत है।

गांधीजी सद्गुणों की खान थे। उनकी एक विशेषता थी कि वो जो कहते थे उसे अपने जीवन में पूरी तरह उतारते थे, जिससे वह सही मायने में महात्मा बन सके। गांधीजी अपनी अंतरात्मा और हृदय की संवेदनशीलता से लोगों के मनोभावों को अच्छी तरह समझते थे। लोगों को आंदोलित करने की अपनी करिश्माई क्षमता से उन्होंने दिखा दिया कि एक सामान्य व्यक्ति किस तरह सामाजिक और राजनीतिक बदलाव ला सकता है।

महात्मा गांधी में न्याय और मानवता के प्रति अथक परिश्रम करने का अदम्य उत्साह था। उनके व्यक्तित् में संत के गुण और पारदर्शिता का भाव था। गांधीजी के राजनीतिक दर्शन का मूल मंत्र प्रत्येक व्यक्ति का सशक्तिकरण करना था। आज महात्मा गांधी के सत्य और अहिंसा के संदेश को पूरी दुनिया में फैलाने की जरूरत है, ताकि लोगों को यह अहसास हो कि किसी भी उद्देश्य को प्राप्त करने में हिंसा का इस्तेमाल व्यर्थ है। हमें गांधीजी के दर्शन से सृजनात्मक प्रेरणा लेने और उनके मूल्यों को आत्मसात् करने की जरूरत है। हमारे सामने गांधीजी के सत्य और अहिंसा के आदर्शों को व्यक्तिगत और सामुहिक रूप से भी अपनाने की चुनौती है, इसकी प्रासंगिकता बढ़ी ही है।

गांधीजी के विचार विश्व के समाज को एकजुट करने में मददगार रहे हैं। गांधीजी के दर्शन को रेखांकित कर हमें उन्हें जीवन की हर राह में अपनाना चाहिए। उनके संदेश मानवता के लिए भविष्य में जरूरी सतत् बदलाव हेतु मजबूती और प्रेरणा देते हैं।

गांधी जयंती के मौके पर यह सुनिश्चित करने के लिए हमें यह प्रतिज्ञा करनी चाहिए कि महात्मा गांधी हमारे हृदय, हमारी सोच और हमारे कामकाज में सदा जीवित रहें।

Copyright @ 2019.