राष्ट्रीय (14/03/2013) 
कोबरापोस्ट का एक हैरतअंगेज और सनसनीखेज खुलासा

प्राइवेट सेक्टर बैंक HDFC बैंक, ICICI बैंक और Axis बैंक बेरोकटोक चला रहे हैं मनी लॉन्डिंग का एक बहुत बड़ा रैकेट।

नई दिल्ली कई महीने तक चली कोबरापोस्ट के तहकीकात में देश भर में चलाए जा रहे एक बड़े मनी लॉन्ड्रिंग रैकेट का खुलासा हुआ है। इस  रैकेट में देश के अग्रणी प्राइवेट बैंकों में गिने जाने वाले HDFC बैंक, ICICI बैंक
और Axis बैंक शामिल हैं। धड़ल्ले से चल रही इस आपराधिक गतिविधि के द्वारा ये बैंक ब्लैक मनी की एक बड़ी राशि को नियमित बैंकिंग सिस्टम में व्हाइट मनी के रूप में बदल रहे हैं और इसके लिए ये बैंक मनी लॉन्ड्रिंग को जरिया बना रहे हैं।

इस हैरतअंगेज सच को सामने लाने के लिए हम इन बैंकों की दर्जनों शाखाओं और इनके बीमा सहयोगी कंपनियों के दफ्तरों में गए। तहकीकात के दौरान हमारे सामने ये तथ्य सामने आए कि मनी लॉन्ड्रिंग का ये गोरखधंधा इन बैंकों में बिल्कुल बेरोकटोक चलाया जा रहा है। हमारी तहकीकात के दौरान आम तौर पर ये मुख्य बातें सामने आईं।
. इन बैंकों की ओर से मनी लॉन्ड्रिंग की सेवाओं का बिल्कुल खुले तौर पर पेशकश की जाती है। यहां तक कि वैसे वॉक इन कस्टमर को भी ये सुविधाएं दी जाती है, जो गैर कानूनी रकम को निवेश करना चाहते हैं।
. गैरकानूनी तरीके से कमाई गई नगद राशि को निवेश करने के लिए कई बेखौफ विकल्प सुझाए गए।
. देश भर में इन मनी लॉन्ड्रिंग सेवाओं की पेशकश व्यवहारिक तौर पर एक स्टैंडर्ड प्रोडक्ट के रूप में दी जाती है।

इन बेंकों के द्वारा चलाए जा रहे मनी लॉन्ड्रिंग रैकेट को कोबरापोस्ट ने सैंकड़ों घंटो के वीडियो फुटेज में कैद किया है। हमारे सबूत साफ, मजबूत और अकाट्य हैं।  तहकीकात के मुताबिक इन बैंकों का प्रबंधन जानबूझ कर सुनियाजोत
तरीके से इनकम टैक्स एक्ट, फेमा, RBI के मानदंडों, KYC  के नियमों, बैंकिंग एक्ट, प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) की धज्जियां उड़ा रहे हैं। आसानी से पैसे जमा करवाने और ज्यादा मुनाफों के लिए ये बैंक
पूरी तरह से नियमों की अनदेखी कर रहे है। खड़े हो रहे हैं। गौरतलब है कि ये बैंक ये गोरखधंधा पिछले कई साल से चला रहे हैं।

बैंकों की इन गैरकानूनी गतिविधियों के मद्देनजर इन बैंकों में जमा तमाम धन राशि और इनके मुनाफे पर एक बड़ा सवालिया निशान लग जाता है। इसके साथ ही इंश्योरेंस और इन्वेस्टमेंट के जरिए निवेश की गई राशि की वैधता पर भी गंभीर सवाल उठते हैं। हमारी तहकीकात में भी साफ हुआ है कि अपनी इन
गैरकानूनी गतिविधियों के लिए एक   दुरूस्त प्रणाली स्थापित कर ली है, जिसको सहज जान लेना आसान नहीं है।
ऑपरेशन रेड स्पाइडर के नाम से की गई कोबरापोस्ट की ये तहकीकात प्राइवेट सेक्टर के तीन अग्रणी बैंकों HDFC बैंक, ICICI बैंक और AXIS बैंक पर आधारित है।

इस गोरखधंधे के खुलासे का कोबरापोक्ट का तरीका क्या था?

 रिपोर्टर ने इन बैंकों के अधिकारियों से फोन पर बात की और मिलकर साफ तौर पर एक कल्पित और गैरकानूनी लेकिन कल्पित प्रस्ताव रखा। रिपोर्टर ने ये बताया कि उनके रिश्तेदार एक नेता के पास करोड़ों की ब्लैक मनी है
और वो आपके बैंक में निवेश करना चाहते हैं। उनका मकसद इसे व्हाइट करना है। रिपोर्टर ने बैंक अधिकारियों से इसके लिए मदद मांगी। इसके बाद जो बात सामने आई, वो ये है कि इन बैंकों के सभी कर्मचारियों ने हमारे अंडरकवर रिपोर्टर एसोसिएट एडिटर सैयद मसरूर हसन का खुले दिल से स्वागत किया और
उनके काले धन को सफेद करने के तमाम नुस्खे बताए।

सैयद मसरूर हसन राजीव शर्मा के काल्पनिक नाम से कई बड़े महानगरों, राज्य की राजधानियों समेत देश भर में इन बैंकों की दर्जनों शाखाओं में गए, लेकिन कहीं भी उनको निराशा का सामना नहीं करना पड़ा। तकरीबन हर बैंक
कर्मचारी एक कल्पित नेता की ब्लैकमनी की खपत कराने को तैयार था, जिसके लिए कथित तौर पर हमारे एसोसिएट एडिटर सैयद मसरूर हसन काम कर रहे थे। तहकीकात के दौरान बैंक अधिकारियों और कर्मचारियों से हुई बातचीत से साफ हो गया कि इस फर्जीवाड़े में इन बैंकों के प्रबंधन में ऊपर से नीचे तक
सभी लोग शामिल हैं।


ये बैंक किस तरह ब्लैक मनी निवेश करते हैं?
इन बैंकों के अधिकारियों और कर्मचारियों ने ब्लैकमनी को व्हाइट करने को जो तरीके बताए वो कल्पलानशील और दुस्साहस से भरे थे। इन्होंने बगैर किसी हिचक के बताया कि किस तरह इंश्योरेंस और दूसरे इन्वेस्टमेंट प्रोडक्ट की
मदद से ब्लैकमनी की बड़ी से बड़ी रकम को व्हाइट मनी में बदला जा सकता है। तहकीकात के दौरान बैंककर्मियों ने  नियामक एजेंसियों की आंखों में धूल झोंकने के सारे दांवपेंच बताए।
ब्लैकमनी को व्हाइटमनी में तब्दील करने के लिए इन बैंकों के कर्मचारियों ने हमें कुछ इस तरह के सुझाव दिए।नगद के रूप में बड़ी रकम इन्श्योरेंस प्रोडक्ट और सोने में निवेश कर सकते हैं। नगद को बाहर भेजने के लिए एकाउंट खोल सकते हैं और निवेश की दूसरी योजनाओं की मदद ले सकते हैं। ये बिना पैन कार्ड के ही मुमकिन हो सकता है, जो की RBI और KYC के नियमों के तहत जरूरी है। ब्लैक मनी को व्हाइट मनी में बदलने के लिए बेनामी खातों का इस्तेमाल कर सकते हैं ब्लैकमनी को ठिकाने लगाने के लिए दूसरे कस्टमार के खातों का भी इस्तेमाल
किया जा सकता ह। इसके लिए खुद के बैंक या किसी और के बैंक से डिमांड ड्राफ्ट भी बनाया जा सकता है
 निवेश करने वाले की पहचान गुप्त रखी जा सकती है ब्लैक मनी को खपाने के लिए एक से ज्यादा खाते खोले और बंद किए जा सकते हैं।  ब्लैक मनी को निवेश करने के लिए अलग- अलग लोगों के नाम पर अलग-अलग
तरीकों का इस्तेमाल किया जा सकता है, चाहे वो एक परिवार से हो या नहीं। गैरकानूनी नगद राशि को रखने के लिए लॉकर दिया जाता है। बैंक के अधिकारी और कर्मचारी ब्लैक मनी के लिए कस्टमर के घर पर
व्यक्तिगत तौर पर जाते हैं और इस रकम को गिनने के लिए मशीन भी देते हैं। फॉर्म 60 जैसे प्रावधानों का इस्तेमाल गैरकानूनी रकम को जमा करने और एकाउंट के जरिए इसे रुट करने के लिए होता है। ब्लैकमनी को विदेश में ट्रांसफर करने के लिए NRE ( नॉन रेजिडेंट एक्सटर्नल) और  NRO (नॉन रेजिडेंट ऑर्डिनरी) एकाउंट की मदद ली जाती है।
बैंक की आम प्रक्रियाओं से अलग हट कर रकम को टेलिग्राफिकली ट्रांसफर और दूसरे जरिए से भेजा जाता है। इन सब के अलावा बैंक के अधिकारियों ने ब्लैक मनी से व्हाइट मनी के इस खेल के कुछ नए-नए और अलग तरीके भी बताए। उदाहरण के लिए  HDFC  बैंक के अधिकारी ने हमें ब्लैकमनी रखने के लिए लॉकर की पेशकश की। बैंक ऐसे
ग्राहकों को बैंक में तब बुला जब बैंक आम ग्राहकों के लिए बंद हो जाता है ताकि ऐसे ग्राहकों की पहचान गुप्त रखी जा सके और उनकी करतूतों पर पर्दा डाला जा सके।
ICICI बैंक के अधिकारी तो एक कदम आगे जाकर कस्टमर को बिजनेस मैन और किसान बातने के लिए लिए उपयुक्त प्रोफाइल बनाने को तैयार थे, ताकि निवेश को लेकर कोई सवाल न उठे। दूसरी तरफ AXIS  BANK के अधिकारियों ने ब्लैकमनी के फर्जीवाड़े का औरों से अलग तरीका बताया।  बैंक के अधिकारी ने ब्लैकमनी को जमा करने और इसके रूट करने के लिए संड्री एकाउंट के इस्तेमाल करने का सुझाव दिया। इसके साथ ही कुछ पैसे लेकर बैंक के दूसरे कस्टमर के खातों का इस्तेमाल कर उसकी मदद से विदेश में पैसे भेजने का भी सुझाव दिया। इसके
अलावा फर्जी कंपनियों के नाम पर विदेश में कारोबार या फिर सैर सपाटे के लिए पैसे भेजने का सुझाव भी दिया। बैंक के अधिकारी सौदे को अंजाम तक पहुंचाने लिए प्रिविलेज बैंकिंग और प्रायोरिटी बैंकिंग के साथ-साथ कुछ भी
करने को तैयार हैं।

ऑपरेशन रेड स्पाटइर बैंक इंडस्ट्रीज के खतरनाक, ढुलमुल और प्रभावहीन
नियमों का खुलासा करता है। ऑपरेशन रेड स्पाइडर ये साफ करता है कि बैंक के कामकाज पर  नजर रखने वाली
एजेंसियां आरबीआई,  इनकम टैक्स डिपार्टमेंट,  डायरेक्टरेट ऑप रेवेन्यू इंटेलिजेंस, इनफोर्समेंट डायरेक्टरेट और अल-अलग आर्थिक अपराध शाखा भी वो काम नहीं कर पाए हैं, जो कोबरापोस्ट के एक अकेले रिपोर्टर ने गुप्त कैमरे
की मदद से कर दिखाया है। हमारा रिपोर्टर HDFC, ICICI और AXIS  बैंकों में एक ऐसा वॉक इन कस्टमर बनकर गया जो एक कल्पित नेता के लिए ब्लैकमनी लॉन्डर करवाना चाहता था।

बैंक के अधिकारियों और हमारे रिपोर्टर की बातचीत से ये पूरी तरह साफ हुआ कि बैंक के सीनियर मैनेजमेंट किस तरह मनी लॉन्ड्रिंग और गैर कानूनी ट्रांजैक्शन में संलिप्त हैं। ऑपरेशन रेड स्पाइडर ने पूरी तरह से ये साबित कर दिया कि इन बैंकों की सीनियर मैनेजमेंट ने गवर्नेंस  के सभी मानदंडों को ताक पर रख दिया, और कानून से इतर काम करने पर अपने मातहतों को कभी नहीं रोका। ऐसे लोगों के लिए सिर्फ ये अहम है कि उनके बैंक में
जमा होने वाले पैसे में इजाफा हो। भले ही ये पैसा आपराधिक या संदेहास्पद स्रोत का हो।

कोबरापोस्ट के पास सैंकड़ों घंटों के वीडियो फुटेज हैं, जिनमें रिपोर्टर की उपरोक्त तीन बैंकों के कर्मचारियों की बातचीत दिखाई गई है। कोबरोपोस्ट अपनी ये फुटेज किसी भी ऐसी ऑथोराइज्ड लॉ इनफोर्समेंट एजेंसी को सौंपने को
तैयार है, जो इस फर्जीवाड़े की जांच करे। कोबरापोस्ट ने पिछले 10 साल में ऑपरेशन दुर्योधन ( सवाल के लिए पैसे, जिसमें 11 सांसद को बर्खास्त किया गया था) समेत दर्जनों खुलासे किए हैं, और जब भी इनसे जुड़ी असंपादित टेप
मांगे जाने पर ऑथोरिटीज के पास जमा किया है। कोबरापोस्ट की ओर से पेश किए
गए सबूतों पर किसी भी एजेंसी ने अब तक सवाल नहीं उठाए हैं।

इसमें कोई संदेह नहीं जो अकाट्य सबूत हम दे रहे हैं उसके खिलाफ इन बैंकों की पीआर मशीनरी आक्रामक ढंग से उठ खड़ी होगी। हमें मालूम है कि उनकी तरफ से ऐसे मामलों को अपवाद बताने, टेप को फर्जी करार देने और हम मामले को देखेंगे और कार्रवाई करेंगे जैसे तर्क दिए जाएंगे।

हम सभी पक्षो कों ये भरोसा दिलाना चाहते हैं कि ऑपरेशन रेड स्पाइडर में कुछ भी गढ़ा हुआ और नकली नहीं है। कैमरा इस बात का मेकैनिकल विटनेस है, जिसने बैंक कर्मचारियों की बातों और उनकी गतिविधियों को बेहद ही साफ
तरीके से कैद किया है। जिस तरह से ये बैंक अपने फायदों के लिए इस तरह के गोरखधंधे में लिप्त हैं, उससे हम इन बैंकों को हम बेहिचक आपराधिक गिरोहों की संज्ञा दे सकते हैं।


सैंकड़ों घंटो के वीडियो फुटेज मनी लॉन्ड्रिंग के इस सच को साबित करने के लिए काफी है। ये मामले अपवाद नहीं है और न ये सिर्फ एक शहर या राज्य तक सीमित हैं। ये फर्जीवाड़ा बड़े महानगरों. राज्यों की राजधानियों समेत
पूरे देश में चल रहा है। साफ है कि इन बैंकों के प्रबंधन मनी लॉन्ड्रिंग जैसे आपराधिक गतिविधियों में संलिप्त है। एक अहम बात ये भी है कि इन बैंकों के प्रबंधन कि किसी भी सरकारी जांच का हिस्सा न बनाया जाए क्योंकि
वे खुद इस अपराध में शामिल हैं। अगर उन्हें जांच में शामिल किया जाता है, तो वो सबूतों को मिटाने और अपने करतूतों पर पर्दा डालने की पूरी-पूरी कोशिश करेंगे।

अब इस मुद्दे पर बहस जरूरी हो गई है कि निजी कंपनियों को बैंकिंग का लाइसेंस दिया जाए या नहीं। देश के अग्रणी बैंकों HDFC, ICICI और AXIS के कामकाज से जुड़े जो खुलासे हुए हैं, ऐसे बैंकों का लाइसेंस रद्द कर दिया
जाना चाहिए। शायद ये देश हित में होगा कि निजी बैंकों को बैंकिंग के क्षेत्र में काम करने का अधिकार ही न दिया जाए।

वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने अपने वक्तव्यों में कई बार मनी लॉन्ड्रिंग और टैक्स की चोरी को कैंसर तक करार दिया है। अब ये सरकार की जिम्मेदारी है कि इस गोरखधंधे की सीबीआई और एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट जैसी जांच
एजेंसियों से फौरन जांच कराए। इस मामले में की गई किसी भी तरह की देरी करने से इस फर्जीवाड़े में लगे लोगों को सबूतों के साथ छेड़छाड़ करने का मौका मिल जाएगा।

पूरा देश ब्लैकमनी के मामले में स्विस बैंकों को दोषी ठहरा रहा है, लेकिन हमारे देश के ये प्राइवेट बैंक ही ब्लैकमनी के बड़े खिलाड़ी हैं। कोबरापोस्ट के इस खुलासे से ये बात साबित हो जाती है कि हमारे देश के बैंक ही ब्लैकमनी के गोरखधंधे के मुख्य किरदार हैं।

राजा चौधरी की कलम से जारी

Copyright @ 2019.