राष्ट्रीय (15/03/2013) 
पन्ना में बेकाबू हुआ अवैध उत्खनन

बहुमूल्य खनिज सम्पदा की प्रचुर उपलब्धता वाले पन्ना जिले में व्यवस्था के निकम्मेपन के कारण अवैध उत्खनन बेलगाम हो चुका है। खनन माफिया से लेकर सड़क निर्माण कर रहीं कंपनियां तक जिले की खनिज सम्पदा पर खुलेआम डकैती डाल रहीं हैं। दिलीप बिल्डिकॉन के अवैध उत्खनन का शोर अभी थमा भी नहीं कि सिमरिया व्हाया अमानगंज से पन्ना तक सड़क निर्माण कर रही जीव्हीआर कंपनी ने नियम कानूनों को ठेंगा दिखाते हुए अवैध उत्खनन के सारे रिकार्ड ही तोड़ डाले। तारा में स्थित कंपनी के क्रेशर प्लांट में सीना ताने खड़े गिट्टी के पहाड़ इस बात का प्रमाण है कि मध्यप्रदेश का पन्ना जिला अवैध उत्खनन के मामले बेल्लारी से भी आगे निकल चुका है।

पन्ना- ईस्ट इंडिया कम्पनी की तर्ज पर काम कर रहीं सड़क कंपनियां जिले की अकूत खनिज संपदा को हर दिन लूट रहीं है। अकेले जीव्हीआर कंपनी गिट्टी का अवैध रूप से उत्खनन और भण्डारण कर शासन को अब तक करोड़ो रूपये की खनिज रॉयल्टी का चूना लगा चुकी है। ऐसा नहीं कि जिला प्रशासन को इस बात की खबर नहीं है। सब कुछ जानने के बावजूद बेतहासा अवैध उत्खनन के इस मामले में अब तक प्रभावी कार्यवाही न होना समझ से परे है। बैठकों में अवैध उत्खनन पर नकेल कसने के आये दिन निर्देश देने वाले अधिकारी भी शायद अपने कर्तव्य और पदीय दायित्वों को भूल चुके हैं। ऐसे में जीव्हीआर के प्रति जिला प्रशासन की रहमदिली पर सवाल उठना स्वाभाविक है। चंूकि मामला करोड़ों के अवैध उत्खनन और भण्डारण से जुड़ा है।

सुको के आदेश की अवहेलना

बीओटी योजना अंतर्गत सिमरिया से अमानगंज होकर पन्ना तक बनने वाली 58.20 किमी लम्बी सड़क की लागत 97 करोड़ 13 लाख है। सड़क निर्माण हेतु जीव्हीआर कम्पनी को खनिज विभाग द्वारा तारा ग्राम में 30 हजार घनमीटर गिट्टी खनन के लिए लीज स्वीकृत की गई है। जबकि दिनांक 22 फरवरी 2012 की स्थिति में एमपीआरडीसी के संभागीय महाप्रबंधक के पत्र के अनुसार सड़क निर्माण में 34 हजार 429 घनमीटर गिट्टी का उपयोग किये जाने की बात सामने आई है। ऐसे में यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि आखिर स्वीकृत लीज से अधिक 4 हजार 429 घनमीटर गिट्टी जीव्हीआर कम्पनी कहां से लाई ? उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार किसी भी प्रकार के उत्खनन के लिए पर्यावरणीय अनुमति अनिवार्य है। नियमतः स्वीकृत लीज से अधिक मात्रा में यदि गिट्टी की आवश्यकता है तो उसके नये सिरे से लीज स्वीकृत कराने से लेकर पर्यावरणीय अनुमति लेना अनिवार्य है। सुप्रीम कोर्ट का स्पष्ट ओदश है कि पर्यावरणीय अनुमति के बगैर खनिज सम्पदा के खनन के लिए एक कुदाली चलाना भी गैरकानूनी है। पर सत्ताधारी दल का संरक्षण प्राप्त जीव्हीआर कम्पनी सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की खुलेआम अवहेलना कर दिन-रात खनिज सम्पदा को पूरी क्षमता लूट रही है। विश्वस्त सूत्रों की मानंे तो कम्पनी द्वारा स्वीकृति से अधिक गिट्टी उत्खनन का कार्य वैधानिक प्रक्रिया का पालन किये बगैर किया जा रहा है। कम्पनी की ओर से पर्यावरणीय अनुमति तक नहीं ली गई।
अवैध रूप से खड़े किये गिट्टी के पहाड़- शासन-प्रशासन की सरपरस्ती में काम कर रही जीव्हीआर कम्पनी की योजना पन्ना जिले को दोतरफा लूटने की है। एक ओर तो निर्माण सामग्री का अवैध उत्खनन कर कम्पनी कम से कम लागत में सड़क निर्माण कर ज्यादा  से ज्यादा मुनाफा कमाने में जुटी है। वहीं सड़क निर्माण पूर्ण होने के बाद कम्पनी द्वारा दो बैरियर लगाकर 15 साल तक जिले के लोगों से टोलटैक्स के रूप में अरबों रूपय की वसूली की जायेगी। फिलहाल जीव्हीआर कम्पनी बेखौफ होकर दैत्याकार मशीनों से गिट्टी के लिए हैवी ब्लास्टिंग कर जमीन का सीना चीरने में जुटी है। तारा स्थित प्लांट में रातदिन चल रहे कम्पनी के क्रेशर ने गिट्टी के विशाल पहाड़ खड़े कर दिये हैं। गिट्टी के पहाड़ों की ऊँचाई का सहज अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि पन्ना-अमानगंज मार्ग पर लगभग 4 से 5 किमी की दूरी से गिट्टी के पहाड़ साफ नजर आ रहे हैं। बताते चलें कि प्लांट में लगभग 50 से 60 हजार घनमीटर गिट्टी का अवैध रूप से भण्डारण किया गया है। यानि कि जीव्हीआर कम्पनी ने खनिज विभाग के तमाम नियम कानूनों की धज्जियां उड़ाते हुए स्वीकृत लीज से लगभग दोगुना ज्यादा गिट्टी का अवैध रूप से उत्खनन किया। इतना ही नहीं प्लांट में रखी गिट्टी के भण्डारण हेतु कम्पनी की ओर से वैधानिक स्वीकृति नहीं ली गई।
करोड़ो की खनिज रॉयल्टी का लगाया चूना- जिला खनिज अधिकारी केपी दिनकर के मुताबिक एक घनमीटर गिट्टी के अवैध उत्खनन के मामले में बाजार मूल्य से चार गुना अधिक का जुर्माना करने का प्रावधान है। जबकि अवैध उत्खनन के साथ अवैध रूप से गिट्टी के भण्डारण के मामले में जुर्माना राशि एक घनमीटर गिट्टी के बाजार मूल्य लगभग 450 रूपये का दस गुना अधिक यानि 4500 रूपये बनता है। जीव्हीआर कम्पनी के तारा स्थित प्लांट में अवैध रूप से भण्डारित की गई गिट्टी और स्वीकृत लीज से अधिक गिट्टी का सड़क निर्माण में उपयोग किये जाने पर यदि ईमानदारी से कार्यवाही की गई तो कम्पनी पर अवैध उत्खनन तथा भण्डारण में करोड़ो रूपये का जुर्माना बनता है। पर अहम सवाल यह है कि कार्यवाही की उम्मीद आखिर किससे करें। अवैध उत्खनन रोकने की जबावदारी जिन अधिकारियों की है वे तो जिले की खनिज सम्पदा की लूट पर हांथ पर हांथ धरे बैठे हैं। इन हालातों में यह कहना कतई अतिश्यिोक्ति पूर्ण न होगा कि पन्ना जिले में अवैध उत्खनन के सारे नियम-कानून सिर्फ और सिर्फ गरीबों के लिए हैं।

इनका कहना है
अभी मैं व्यस्त हूँ, मोबाईल पर बात नहीं कर सकता आप तारा आ जायें वहां बैठकर विस्तृत बातचीत होगी। गिट्टी के भण्डारण की अनुमति की मुझे जानकारी नहीं है।
कृष्ण चैतन्य, प्रोजेक्ट मैनेजर जीव्हीआर कम्पनी
जीव्हीआर कम्पनी के अवैध उत्खनन एवं भण्डारण की जांच चल रही है, इस मामले में शीघ्र कार्यवाही की जायेगी।
केपी दिनकर, जिला खनिज अधिकारी पन्ना

Copyright @ 2019.