राष्ट्रीय (25/06/2013) 
उतराखंड त्रासदी से बचकर सकुशल घर पंहुचा दिल्ली के लक्ष्मी नगर का परिवार

उतराखंड त्रासदी से बचकर घर पहुचे लोग अपने आप को भाग्यसाली मान रहे है मौत के मुह से बचकर घर पहुचे लोगो का कहना है की उन्हें नही पता की वोह घर तक कैसे पहुचे .हर कदम पर उन्हें मौत को मात देनी पड़ी है जहा देखो वहा लाशे ही लाशे थी ...............    आपनो के बीच बैठे ये है भारत सरकार क़े  NIUA  में कार्यरत सुभाष सक्सेना जिनके आँखों मे उस खौफनाक मंज़र का खौफ साफ देखा जाता है जो मंज़र वो देख कर अपनों के बीच वापस पहुचे है सुभाष सक्सेना उन खुशनसीबो में है जो उत्तराखंड की त्रासदी की चपेट में आने के बाद भी किसी सकुसल अपने घर पहुचे है  अपनी पत्नी गायत्री   सक्सेना और बेटी सैली सक्सेना  जो पेसे से सरकारी स्कूल में टीचर है .9 जून को चारधाम की यात्रा के लिए गए थे दो धाम की यात्रा करने के बाद 1 4   जून जब ये लोग केदारनाथ पहुचे 1 5 जून को राम बाड़ा में अचनक आई बाड़ में फस गए ...वहा से कल रात किसी तरह घर पहुचने के बाद जो सुबाष सक्सेना ने जो आपनी आपबीती सुनाई वो दिल दहला देने वाली है आप खुद इनकी ज़ुबानी सुने की किस हालात से उन्हें गुज़रना पड़ा

सुभाष सक्सेना   कहना है की 16 तारिक को उनका परिवार  अचानक नक् आई बारिश की वजह से रामबाड़ा में  एक वन विभाग के कर्याले  में रुक था लेकिन अचानक पानी का बहाव तेज़ हो गया वहा के गार्ड  ने उनलोगों को जगह  खली करने को कहा  और वो लोग ऊची पहाड़ी पर अपने आप को बचाने  के लिए चढ़ गए वहा  से जो नीचे का नजारा देखा वो काफी खौफनाक था एक एक करके सारे होटल बहने लगे कूछ देर पहले जिस वन विभाग के ऑफिस में ठहरे थे वो भी आँखों के सामने बाढ़ में समा गया ..इसके बाद वो लोग चट्टानों में फसे रहे .. सुबह हुई तो देखा उनके साथ वह फसे दर्जनों लोग चारो तरफ मिर्त  पड़े है ..तीन दिन तक वोह लोग भूखे पियासे रहे दिन दिन के बाद हेलीकाप्टर से मदद पहुची भी तो थोड़े बहूत खाने के साथ एक पर्ची था जिसमे लिखा था की यहाँ से आपको नही निकाला जा सकता बचने के लिए 2 किलोमीटर पहाड़ी से नीचे आना पड़ेगा .......... पीड़ित परिवार का मानना  है की वहा राहत तो पहुचाई गयी है लेकिन राहत कार्य स्टार्ट होने में तीन दिन लग गए अगर वक़्त रहते राहत कार्य स्टार्ट होती तो इतने लोगो की जान न जाती ......

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