राष्ट्रीय (30/06/2013) 
हिमाचल के बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों को सामान्य बनाने में एक वर्ष लगेगा-वीरभद्र सिंह
हिमाचल के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने आज नई दिल्ली में कहा कि राज्य में जून माह में आई प्राकृतिक आपदा की वजह से राज्य का विकास एक वर्ष पीछे चला गया है। उन्होंने कहा कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में पूरी तरह पुनर्निर्माण कार्यों को कार्यान्वित करने के लिए लगभग एक वर्ष लगेगा जबकि इन क्षेत्रों में सामान्य जन-जीवन शीघ्र ही बहाल कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में बिजली, पानी, खाद्यान्न सहित अनेक जरूरी सुविधाओं को बहाल करने के लिए युद्ध स्तर पर काम किया जा रहा है तथा पूरे क्षेत्र में एक माह के भीतर सारी सुविधाएं उपलब्ध करवा दी जाएंगी।
मुख्यमंत्री  वीरभद्र सिंह ने कहा कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों से सभी पर्यटकों को सुरक्षित निकाला जा चुका है तथा इन क्षेत्रों में अब कोई भी पर्यटक नहीं है। उन्होंने कहा कि बाढ़ प्रभावित किन्नौर में पहली बार 15 से 17 जून को भारी बर्फबारी हुई थी जबकि सामान्यतः इन क्षेत्रों में सर्द ऋतु में बर्फबारी रिकार्ड की जाती है।
उन्होंने कहा कि किन्नौर में लगभग 90 प्रतिशत सेब की फसल बर्बाद हो गई है तथा इस बार किन्नौर के रसीले व मीठे सेब महानगरों के लोगों को उपलब्ध नहीं हो पायेंगे। उन्होंने कहा कि किन्नौर में फलों के पौधों को बचाने के लिए हैलीकाप्टर से 300 बागवानी विशेषज्ञ भेजे गए हैं जो कि फलों के पौधों को पुनः पुनर्जीवित करने तथा उनके आकार आदि को मूल रूप में लाने का प्रत्यन करेंगे।
उन्होंने कहा कि बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों का विस्तृत आकलन करने के बाद नुकसान का आंकड़ा काफी ज्यादा बढ़ सकता है। उन्होंने कहा कि बाढ़ से किसानों तथा बागवानों को हुई व्यापक क्षति का राजस्व अधिकारियों द्वारा आकलन किया जाएगा। जिसके बाद राज्य सरकार सभी बाढ़ पीडि़तों को राहत राशि प्रदान करेगी।
 उन्होंने भाजपा नेताआंे द्वारा राज्य सरकार की आलोचना किये जाने पर कहा कि राज्य के चोटी के भाजपा नेता सुरक्षित स्थानों पर बैठकर महज बयानबाजी करके राजनैतिक रोटियां संेकने का प्रयास कर रहे हैं जबकि आज तक बाढ़ से प्रभावित क्षेत्र में एक भी भाजपा नेता ने दौरा नहीं किया। उन्होंने कहा कि भाजपा नेता या तो नाकारात्मक बयानबाजी में व्यस्त रहते हैं या फिर जनता को भड़काने का काम करते हैं जबकि संकट की घड़ी में भाजपा नेताओं को सकारात्मक विपक्ष की भूमिका निभाते हुए सरकार के साथ एकजुटता दिखानी चाहिए थी।

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