सीबीआई के खिलाफ भारत की शीर्ष खुफिया एजेंसी आईबी ने बिगुल बजा दिया है। पूरा मामला गुजरात में इशरत जहां के इंकाउंटर को लेकर है। इस पूरे मामले को लेकर देश की दो शीर्ष एजेंसियां जांच एजेंसी सीबीआई और खुफिया एजेंसी आईबी यानि इंटेलीजेंसी ब्यूरो एक दूसरे से दो-दो हाथ करने का मन अब बना चुकी है। जी हां इशरत जहां फर्जी एनकाउंटर मामले में आईबी ने गृह मंत्रालय को सीबीआई के खिलाफ चिट्ठी लिखी है। आईबी का कहना है कि सीबीआई की कार्रवाई से खुफिया अफसरों की मनोदशा पर विपरीत असर पड़ेगा। इससे देश की आंतरिक सुरक्षा खतरे में पड़ेगी। यही कारण है कि देश की शीर्ष जांच एवं खुफिया एजेंसियों में टकराव की स्थिति बनती देख कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे से मुलाकात की। उनसे तस्वीर साफ करने की अपील की है। इस बीच देश की प्रमुख विपक्षी पार्टी भाजपा ने भी गृह मंत्रालय से स्पष्टीकरण की मांग की है। आईबी के निदेशक आसिफ इब्राहिम ने पत्र में खुफिया अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा चलाने की सीबीआई की मंशा का पूरजोर विरोध किया है। यह पत्र तत्कालीन गृह सचिव आरके सिंह को लिखा गया था। जिसे आगे की कार्यवाही के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजा गया है। आखिर मामला क्या है.......अहमदाबाद के बाहरी इलाके में 15 जून 2004 को हुई मुठभेड़ में मुंब्रा की 19 वर्षीय छात्रा इशरत जहां, जावेद शेख उर्फ प्रणेश पिल्लई, अमजद अली अकबर अली राणा और जीशान जौहर मारे गए थे। अपराध शाखा का दावा है कि ये लश्कर-ए-तैयबा के आतंकी थे। मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या के इरादे से गुजरात आए थे। इशरत की मां की अपील पर गुजरात हाईकोर्ट ने मामले की जांच सीबीआई को सौंपी थी। एजेंसी ने तीन जुलाई को चार्जशीट दाखिल की है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने छह अगस्त 2009 को कहा था कि इशरत और उसके साथी लश्कर के आतंकी हैं। 30 सितंबर 2009 को गृह मंत्रालय अपनी बात से पलट गया। उसने कहा कि इशरत और उसके साथियों के आतंकी होने के संबंध में पुख्ता सबूत नहीं हैं। आईबी बनाम सीबीआई .......-आईबी का दावा है कि उसने सिर्फ खुफिया सूचनाएं राज्य पुलिस को दी थी। एनकाउंटर से उसका कोई लेना-देना नहीं है। जबकि सीबीआई कह रही है कि आईबी के स्पेशल डायरेक्टर राजेंद्र कुमार सहित अन्य अधिकारी एनकाउंटर में शामिल थे। सीबीआई ने चार्जशीट में कहा है कि इशरत के साथ मारे गए अमजद अली राणा ने पुलिस के सामने माना था कि वह अहमदाबाद के भीड़भरे इलाके में आतंकी हमले के लिए आया है। चार्जशीट में यह नहीं बताया है कि इशरत एवं उसके साथ मारे गए तीन अन्य साथी आतंकी थे या उनके आतंकियों से किसी तरह के संबंध थे। लेकिन यह जरूर कहा है कि उन चारों की मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या की कोई योजना नहीं थी। सीबीआई ने उन 10 पुलिस अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा वापस लेने की तैयारी कर ली है, जिनके नाम एफआईआर में तो थे, लेकिन चार्जशीट में नहीं। सीबीआई के वकील एजाज खान के मुताबिक इन अफसरों के खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं है। |