राष्ट्रीय (08/07/2013) 
डॉक्टर वाई के अलघ की पुस्तक -द फ्यूचर ऑफ इंडियन एग्रीकल्चर- का विमोचन

 उपराष्ट्रपति एम हामिद अंसारी ने कहा है कि इतिहास इस बात का साक्षी है कि मानव जाति की प्रथम उत्पादक गतिविधियों में कृषि शामिल नहीं रही है। हमारे आदिकालीन पूर्वज मवेशी पालन और जमीन पर खेती करने से पहले जंगलों में फल बीनते थे। जब खेती के फायदों का पता चला तो करीब दस हजार वर्ष तक मानव जाति ने पीछे मुड़ कर नहीं देखा। नई दिल्ली में डॉ. योगेन्द्र के. अलघ की पुस्तक द फ्यूचर ऑफ इंडियन एग्रीकल्चर का विमोचन करते हुए उन्होंने कहा कि खेती का महत्व हर युग में स्वीकार किया गया है। कौटिल्य ने अपने अर्थशास्त्र में लिखा था कि खेती योग्य भूमि खदानों से बेहतर है क्योंकि खानें केवल खजाना भरती हैं जबकि कृषि उपज खजाने और भंडारगृहों दोनों को भरती हैं।

 हामिद अंसारी ने कहा कि खेती हमारी अर्थव्यवस्था की बुनियाद है। 2010-11 में राष्ट्र के सकल घरेलू उत्पाद में कृषि का योगदान 14.5 प्रतिशत था। खेती निर्यात में 11 प्रतिशत योगदान करती है और बड़ी संख्या में उद्योगों के लिए कच्चा माल जुटाने का महत्वपूर्ण स्रोत है। आज भी हमारी कार्मिक शक्ति का करीब 52 प्रतिशत कृषि क्षेत्र पर निर्भर है। देश की करीब आधी आबादी आजीविका के लिए खेती पर निर्भर है। औसत भारतीय अपनी आमदनी का करीब आधा हिस्सा भोजन पर खर्च करता है।

पुस्तक के लेखक डॉ. योगेन्द्र अलघ की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि वे एक जाने माने अर्थशास्त्री हैं और उन्होंने एक तरफ विशुद्ध और अनुप्रयुक्त सैद्धांतिक विवेचन किया है तो दूसरी तरफ नीति निर्माण और शासन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान किया है। डॉ. अलघ ने इस पुस्तक में अपने दशकों के अनुसंधान और अनुभव के आधार पर कृषि के विभिन्न पहलुओं का विश्लेषण किया है।

उन्होंने डॉ. अलघ को बधाई देते हुए विश्वास व्यक्त किया कि उनकी पुस्तक में उठाए गए मुद्दों पर महत्वपूर्ण राष्ट्रीय बहस हो सकेगी

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