राष्ट्रीय (12/11/2013) 
सोनी सोरी को मिली अंतरिम जमानत
उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को सोनी सोरी और लिंगाराम कोडोपी को अंतरिम जमानत दे दी. दोनों को जमानत याचिका की सुनवाई पूरी होने तक यह अंतरिम जमानत दी गई है. इसके साथ ही कोर्ट ने छत्तीसगढ़ पुलिस को निर्देश दिए हैं कि वे सोनी सोरी और लिंगाराम कोडोपी को दिल्ली तक सुरक्षित छोड़ कर जाएं. दरअसल कोर्ट ने अंतरिम जमानत के साथ यह भी निर्देश दिए हैं कि जमानत की सुनवाई पूरी होने तक सोरी और कोडोपी छत्तीसगढ़ में नहीं रहेंगे.

लिंगाराम कोडोपी के वकील प्रशांत भूषण ने उच्चतम न्यायालय से आग्रह किया कि दोनों को दिल्ली में रखा जाए. जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया. कोर्ट के निर्देश के मुताबिक अंतरिम जमानत के दौरान सोनी सोरी और लिंगाराम कोडोपी को अपने नजदीकी पुलिस स्टेशन पर हर रविवार को हाजिरी लगानी होगी. दोनों की जमानत पर फैसला लेने के लिए अगली सुनवाई की तारीख 3 दिसंबर, 2013 निर्धारित की गई है.

छत्तीसगढ़ पुलिस के मुताबिक 9 सितंबर, 2011 को एस्सार समूह से जुड़े ठेकेदार बीके लाला और आदिवासी युवक लिंगाराम कोडोपी (सोनी सोरी का भतीजा) को पालनार के बाजार से 15 लाख रुपयों के साथ गिरफ्तार किया गया था. इनपर आरोप था कि उक्त राशि नक्सलियों को पहुंचाई जानी थी. पुलिस का यह भी आरोप है कि पालनार बाजार में सोनी सोरी भी मौजूद थी जो कार्रवाई के वक्त फरार हो गई. बाद में पुलिस ने 4 अक्टूबर, 2011 को सोनी सोरी को दिल्ली से गिरफ्तार किया. इस मामले में एस्सार इस्पात के प्रबंध संचालक डीवीसीएस वर्मा को भी हिरासत में लिया गया था. बाद में बीके लाला और डीवीसीएस वर्मा को जमानत दे दी गई. लेकिन सोनी सोरी और लिंगाराम कोडोपी करीब दो साल से अपनी जमानत का इंतजार कर रहे हैं.
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