राष्ट्रीय (14/11/2013)
आज भी बच्चे भीख माँग रहे है और ढाबो रेलवे स्टेशन पर काम कर रहे है
14
नवम्बर को आज जहाँ देश में बच्चो से प्रेम करने वाले चाचा नेहरू का जनम
दिवस मनाया जा रहा है वहीँ सडको - चोराहो पर कूड़ा बीनने वाले तथा रेलवे
स्टेशनों पर भीख मांगने वाले और होटलों ढाबो पर बाल मजदूरी करने वाले
गरीब लड़के - लडकियों को आज भी सड़को पर मारे मारे देखा जा सकता है लाख कानून
बनाने के बावजूद भी आज भी चाइल्ड लेबर देश के मुहं पर तमाचा है.
हालाकि दो साल पहले सर्व शिक्षा अभियान परियोजना के तहत प्रदेश में
पंचकुला और फरीदाबाद में इन बच्चो के लिए होस्टल बनाने के लिए मंजूरी आयी
थी जिसके तहत बनने वाले इन होस्टलो में रखे जाने वाले बच्चो को रहने ,
खाने - पीने के इलावा मुफ्त शिक्षा का प्रावधान किया गया था जिसके तहत इस
परियोजना का लाभ 6 से 14 साल के बच्चो को मिलना था लेकिन हकीकत तो यह है
की आज भी सड़को पर गरीब बच्चे मारे - मारे फिरते नज़र आ रहे है. हकीकत तो यह है की गरीब बच्चो के लिए कई योजनाये बनाई गयी लेकिन सही
मायने में यह योजनाये सफल नहीं हो पायी नतीजतन आज भी प्रदेश में सडको - चोराहो पर कूड़ा बीनने वाले तथा रेलवे
स्टेशनों पर भीख मांगने वाले और होटलों ढाबो पर बाल मजदूरी करने वाले
गरीब लड़के - लडकियों को आज भी सड़को पर मारे मारे देखा जा सकता है. इस
बारे में जब हमने रेलवे स्टेशन और सडको और चोराहो पर अपना कीमती बचपन
बर्बाद कर रहे बच्चो से संपर्क किया तो कुछ बच्चे केमरे को देखते ही भाग
गये वही रेलवे स्टेशन और ढाबो पर काम करने वाले बच्चो से बात की गयी तो
उन्होंने पढ़ने और अपनी ज़िंदगी सवारने की अपनी इच्छा जाहिर की वही कुछ बच्चो
ने इस विषय पर कुछ नहीं बोला...वहीँ इस मामले में हरियाणा के श्रम मंत्री ने सफाई देते हुए कहा की
चाइल्ड लेबर को लेकर सख्त कानून बनाए हुए है और लोगो से अपील भी की जाती है
की वह छोटे बच्चो से काम न करवाये। उन्होंने कहा की लोग अपने बच्चो को
सरकारी स्कूलो में दाखिल करवाये जहाँ पढ़ाई - लिखाई के साथ साथ खाना पीना और
कपडा लत्ता सब सरकार की तरफ से फ्री है. उन्होंने कहा की मौजूदा हालात को
देखकर वह खुद भी परेशान है. उन्होंने कहा की उनके प्रयासो से काफी बच्चो
को स्कूलो में दाखिल करवाया गया है जहाँ उन्हें हर सुविधा मुफ्त उपलब्ध
करवाई गयी है फिर भी इन बच्चो के माँ - बाप आगे नहीं आ रहे है. उन्होंने
माना की आज भी सिस्टम में बहुत कमियां है और लोगो में जागरूकता की कमी है. ..सरकार या सरकार के मंत्री कुछ भी कहे लेकिन हकीकत यह है की आज भी
सड़को पर और होटल ढाबो पर बच्चो का बचपन खो रहा है फिर ऐसे में 14 नवम्बर को
मनाए जाने वाले बाल दिवस का क्या महत्तव ?
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