राष्ट्रीय (27/12/2013) 
दिल्ली के स्कूलों से अतिरिक्त फीस 400 करोड़ रूपये अभिभावकों को वापस करने के आदेष दें उपराज्यपाल-विजेन्द्र गुप्ता
नर्इ दिल्ली 27 दिसंबर। दिल्ली अभिभावक महासंघ के अध्यक्ष विजेन्द्र गुप्ता ने उपराज्यपाल को पत्र लिखकर मांग की है कि राजधानी के निजी स्कूलों ने अभिभावकों से बढ़ी फीस के नाम पर 300 करोड़ रूपये मनमाने ढंग से वसूले हैं। यह पैसा उच्च न्यायालय के आदेष के बाद भी स्कूल प्रबंधन अभिभावकों को लौटा नहीं रहे हैंं। ऐसे स्कूलों पर अदालत की अवमानना का मुकदमा दायर किया जाए और इस पर भी बात न बने तो इन स्कूलों की मान्यता रदद की जाए। 
ज्ञात हो कि वर्श 2009 में दिल्ली सरकार ने निजी स्कूलों को अपने यहां छठा वेतनमान लागू करने के लिए 25 से 30 प्रतिषत बढ़ाने की अनुमति दी थी। इसका बेजा फायदा स्कूल प्रबंधन ने उठाया। अभिभावकों से 2006 से ही बढ़ी फीस वसूली गयी। जिन अभिभावकों ने बढ़ी फीस देने से मना किया उनके बच्चों के या तो नाम काट दिये गये या उन्हें तरह तरह से अपमानित किया गया। मनमानी फीस वसूलने के लिए स्कूलों ने फर्जी दस्तावेजों का भी सहारा लिया। 
इसके खिलाफ दिल्ली अभिभावक महासंघ ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। माननीय न्यायमूर्तियों ने सभी पक्षों को सुनने के बाद वर्श 2012 में आदेष दिया कि जिन स्कूलों ने मनमानी फीस वसूली है, वे 9 प्रतिषत ब्याज के साथ इसे अभिभावकों को वापस दें। इसके लिए जसिटस अनिल देव सिंह कमेटी भी उच्च न्यायालय ने गठित की थी। इस कमेटी ने जांच में पाया कि दिल्ली के लगभग 250 निजी स्कूलों ने नियमों का उल्लंघन करके अभिभावकों से 300 करोड़ रूपये की अवैध वसूली की है। यदि इसमें ब्याज भी जोड़ लिया जाए तो यह रकम 400 करोड़ रूपये बनती है। 
आदेष था 25 से 30 प्रतिशत अतिरिक्त फीस वसूली का लेकिन स्कूलों ने 150 प्रतिषत तक अधिक फीस मनमाने ढंग से पिछले वशो से वसूली। इसका दिल्ली भर के अभिभावकों ने भारी विरोध किया। दिल्ली अभिभावक महासंघ के पास हजारों षिकायतें मनमानी फीस वसूलने की आयीं। महासंघ ने निजी स्कूलों से संपर्क करके फीस वापसी की मांग की लेकिन वे नहीं माने। अंत: अदालत का सहारा लेना पड़ा। हार्इकोर्ट ने न्याय किया फिर भी ढीठ स्कूल प्रबंधन ने अभी तक फीस की वापसी नहीं की है। 
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