राष्ट्रीय (10/01/2014) 
छत्तीसगढ़ में जनवरी 2008 से जून 2013 तक 3079 नक्सल वारदात हो चुकी है-उमेश पटेल
बिन्दु क्रमांक 46 में सरकार ने राज्यपाल से बोलवाया कि भय मुक्त छत्तीसगढ़ के निर्माण हेतु समुचित कदम उठाए गए हैं। ये सुनने और पढ़ने के बाद मैं काफी परेषान रहा और सोचता रहा। दो दिन से सोचा और आज मैं अपनी भावनाओं को व्यक्त करना चाहता हूं कि जिस राज्य में जीरम घाटी जैसी घटना होती हैं, जहां कांग्रेस पार्टी के पूरे नेतृत्व को समाप्त कर दिया जाता है, क्या ऐसा घटना होने के बाद सरकार ये लाईन लिख सकती है कि हमने भय मुक्त छत्तीसगढ़ निर्माण के लिये समुचित कदम उठायें है। मैं कुछ आंकड़े प्रस्तुत करना चाहूंगा, जो पिछली बार तत्कालीन गृहमंत्री ननकीराम कंवर ने विधानसभा में प्रस्तुत किये थे, जिसके अनुसार जनवरी 2008 से जून 2013 तक 3079 नक्सल वारदात हो चुकी है। क्या इसके बाद भी हम ये बोल सकते हैं कि भय मुक्त छत्तीसगढ़ निर्माण के लिये समुचित कदम उठा रहे हैं? इसी तरह से अगर आप महिलाओं के शोषण की बात करेंगे। ये आंकड़े भी विधानसभा में प्रस्तुत किए गए है। इस आंकड़े के अनुसार 2009 से 20 जून 2013 तक छत्तीसगढ़ में बलात्कार और सामूहिक बलात्कार की कुल घटनाओं की संख्या 4978 है। इसका मतलब है कि छत्तीसगढ़ में हर 10 घंटे में बलात्कार के केस हो रहे हैं। इन्हीं आंकड़ो को आगे बढ़ाते हुए मैं ये बताना चाहूंगा कि यहां महिलाओं और लड़कियों की गुमषुदगी दर्ज हुई है। वर्ष 2009 से जून 2013 तक के आंकड़े विधानसभा में पहले भी प्रस्तुत कर चुके है। उनकी कुल संख्या 24180 है। इसका मतलब आप समझ रहे है। हर दो घंटे में एक युवती और एक महिला यहां से गायब हो रही है। जब से ये सदन चालू हुआ है और अभी तक इन आंकड़ो के अनुसार दो लड़की गायब हो चुकी हैं। क्या आप इसके बाद भी ये बोल सकते हैं कि आपने भय मुक्त छत्तीसगढ़ निर्माण हेतु समुचित कदम उठायें हैं? जहां इतनी नक्सली घटनाएं होती हैं, जहां महिलाओं के साथ इतने दुराचार होते हैं क्या उसके बाद हम ये बोल सकते हैं? मुझे नहीं लगता कि हमें इस शब्द को जोड़ना चाहिए।
कांग्रेस के घोषणा पत्र में स्पष्ट रूप से कहा गया था कि दो हजार रूपयें में धान क्रय किया जायेगा। समर्थन मूल्य की बात नहीं हुई थी। जबकि आपके घोषणा पत्र में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि 2100 रूपयें समर्थन मूल्य की पहल करेंगे। मैं यह नहीं कहता कि मुझे इस बात की समझ नहीं है। हम सबको इस बात की समझ है कि इस घोषणा पत्र का मलतब क्या है, इस बिन्दु का क्या मतलब है। लेकिन क्या हमारे  छत्तीसगढ़ के किसान, जो बहुत सीधा-सादा है, इस बात को समझता है? नहीं समझता। अगर आज भी आप किसी क्षेत्र में जायेंगे, मैं अपने विधानसभा क्षेत्र की बात करता हूं। जब मैं उनके पास जाता हूं तो यही शब्दों को दोहराता है कि बेटा धान का क्रय मूल्य 2000 होगा कि 2100 रूपया होगा? हमारा किसान इतना सीधा-सादा है। जब हम उसको इस तरह से गोलमोल बातो से उलझाते हैं कि 2100 रूपया समर्थन मूल्य के लिये पहल करेंगे तो इसका मतलब क्या हुआ? जब हम बोलते हैं कि 2000 रूपयें में क्रय करेंगे तो इसका मतलब क्या हुआ? कांग्रेस पार्टी यह बोलना चाहती थी कि अगर कांग्रेस की सरकार बनती है तो इसके कारण जो भी आर्थिक भार आयेगा, उसको राज्य सरकार वहन करेगी और आप जब बोलते हैं कि 2100 रूपया समर्थन मूल्य की पहल करेंगे तो इसका मतलब हुआ कि आप अपनी जिम्मेदारी किसी और के ऊपर डाल रहे है। क्या आपको इस तरह की बातें इस तरह के गोलमोल बातें करनी चाहिए? मुझे नहीं लगता कि हमारी सरकार को हमारे किसानो के साथ इस तरह छल का व्यवहार करना चाहिये।
पूरे देष में चुनाव होते हैं और हर जगह घोषणा पत्र बनते हैं लेकिन शायद यह पहला उदाहरण होगा जहां पर किसी घोषणा पत्र के लिये मुख्यमंत्री यह कहते हैं कि हमने चिट्ठी लिख दी  और हमने घोषणा पत्र के बिन्दु पूरे कर दिये। यह एक पहला उदाहरण होगा। इस तरह के उदाहरण मुझे नहीं लगता कि कहीं और देखने को मिला है। इसी तरह से आपने अटल खेतिहर मजदूर बीमा योजना लागू करने की बात कही। जबकि यही योजना आम आदमी बीमा योजना के नाम से 1 फरवरी 2009 से लागू हैं, जिससे 4 लाख बीपीएल परिवार को लाभ मिल चुका है। तो क्या इसका सिर्फ नाम बदलकर फिर से लागू करने की जरूरत थी? क्या हय उसी तरह का छल नहीं है, जिस तरह से किसानों के साथ किया गया है? इसी तरह से आप देखेंगे। आपने बिन्दु क्रमांक 13 में रेलवे ओवर ब्रिज की बात कही है। हमने रेलवे ओवर ब्रिज बनवाये है। मेरे पास एक लेटर हैं जो दक्षिण-पूर्व मध्य रेलवे बिलासपुर महाप्रबंधक ने चीफ सेक्रेटरी को लिखा है। उसमें उन्होने एक बात रखी है। खरसिया में ओवर ब्रिज हेतु प्रस्तावित रेल फाटक क्रमांक 313 बिलासपुर-झारसुगड़ा खण्ड क्रमांक किलोमीटर 220 भाग 13-15 की ट्रेन वैल्यू यूनिट चूंकि 1 लाख से उपर हैइस पर केंद्र और राज्य सरकार द्वारा 50-50 परसेंट लागत आधार हेतु ओवर ब्रीज निर्माण करने का प्रस्तावना रखा गया है। इसमें केन्द्र सरकार ने अपनी तरफ से 50 परसेंट का प्रस्तावना भेज दिया है लेकिन यह प्रस्ताव पिछले दो साल से लंबित है। तो मैं यह बोलना चाहता हूं कि जहां हम ये लिखते हैं कि हमने ओवर ब्रिज निर्माण के लिये यह किया और वहीं पर हमारे पास एक उदाहरण है जो पिछले दो या तीन साल से लंबित एक प्रस्ताव है। इसी तरह से पहले स्वास्थ्य विभाग में, सरकारी नेत्र षिविरों में आंख फोड़वा कांड हुआ था। इस पर हमारे पूर्व सदस्य शहीद नंद कुमार पटेल ने इसको उठाया था, लेकिन इसका जवाब अभी तक नहीं आया है। मैं आपके माध्यम से अमर अग्रवाल से निवेदन करूंगा कि इस विषय के संबंध में सदन में वे जरूर अपनी बात रखें, उत्तर दें।
इसी तरह से निर्दोष आदिवासी के ऊपर लाठीचार्ज की घटना हुई थी। यहां पुलिस अधीक्षक, सिंचाई विभाग के अधिकारी सरीखे लोगो को आत्महत्या करनी पड़ती है। अब आप देख लीजिए सरकार कैसी चल रही है? मैं इसके आगे और कुछ कहना नहीं चाहता। मैं सिर्फ एक आइना दिखाना चाहता हूं कि आपकी सरकार क्या कर रही है।
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