राष्ट्रीय (09/08/2014) 
चौबीस घंटे चालू रहने वाली हेल्‍पलाइन का शनिवार को शुभारंभ, घबराने की जरूरत नहीं-डॉ हर्षवर्धन
विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन (डब्‍ल्‍यूएचओ) ने मौजूदा समय में कहर ढा रही इबोला वायरस बीमारी (ईवीडी) को शुक्रवार को आधिकारिक तौर पर सर्वाधिक जटिल बीमारी घो‍षित कर दिया। इससे जन स्‍वास्‍थ्‍य को आपातकालीन खतरा होने का अंदेशा है। डब्‍ल्‍यूएचओ ने सभी देशों में वैश्विक स्‍वास्‍थ्‍य अलर्ट जारी करनी की जरूरत बताई है।

डब्‍ल्‍यूएचओ ने गत 4 अगस्‍त को यह जानकारी दी थी कि 1,711 लोग इस बीमारी से संक्रमित हो चुके हैं, जिनमें से 932 व्‍यक्तियों की म़ृत्‍यु हो गई है।

इस बीमारी से प्रभावित सभी चार देश पश्चिमी अफ्रीका में हैं- गिनी (393 मौतें), सियरा लियोन (286 मौतें), लाइबेरिया (282 मौतें) और नाइजीरिया (1 मौत)।

केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय ने चौबीस घंटे चालू रहने वाले ‘एमरजेंसी ऑपरेशन सेंटर’ (हेल्‍पलाइन) का शुभारंभ किया है जो शनिवार, 9 अगस्‍त से कार्यरत हो चुका है। इसके टेलीफोन नंबर हैं (011)-23061469, 3205 और 1302।

केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने आश्‍वासन दिया है कि सरकार ने डब्‍ल्‍यूएचओ की घोषणा से पहले ही आवश्‍यक कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। उन्‍होंने घोषणा की, ‘घबराने की कोई जरूरत नहीं है। हमने सर्वाधिक उन्‍नत सर्विलांस और ट्रैकिंग प्रणालियों को बाकायदा कार्यरत कर दिया है।’

ईवीडी के किसी भी मामले के इलाज और प्रबंधन के लिए नई दिल्‍ली स्थित राम मनोहर लोहिया अस्‍पताल की पहचान की गई है।

डब्‍ल्‍यूएचओ ने एक यात्री के बारे में मंत्रालय को सचेत किया था जो ईवीडी के एक पुष्‍ट मामले के तौर पर 20 जुलाई को नई दिल्‍ली पहुंचा था। वह दक्षिण-पश्चिम दिल्‍ली स्थित द्वारका में निवास कर रहा था। यह व्‍यक्ति स्‍वस्‍थ पाया गया। उसे खुद ही देखभाल करने के लिए आवश्‍यक दिशा-निर्देश दिए जा चुके हैं। उससे कहा गया है कि बीमारी के लक्षण साफ दिखने पर वह संबंधित अधिकारियों को इस बारे में सूचित करे।

इस बीमारी से प्रभावित देशों से भारत आने वाले यात्रियों के बारे में सूचनाएं एकत्रित करने के लिए नागरिक उड्डयन मंत्रालय और गृह मंत्रालय के साथ सलाह-म‍शविरा कर एक खास व्‍यवस्‍था की गई है। विमान यात्रियों के लिए यह अनिवार्य किया जाएगा कि उन्‍हें हेल्‍थ कार्ड के जरिए अपनी हालिया यात्राओं और भारत में अपने निवास स्‍थान के बारे में जानकारी देनी होगी।

इस तरह विकसित होने वाले डाटाबेस से ऐसे लोगों के बारे में पता लगाने में मदद मिलेगी जिनमें आगे चलकर इस बीमारी के लक्षण साफ नजर आने लगेंगे।

हवाई अड्डों और बंदरगाहों पर सर्विलांस को और पुख्‍ता कर दिया गया है। एकीकृत बीमारी सर्विलांस कार्यक्रम (आईडीएसपी) को बाकायदा चालू कर दिया गया है। पुणे स्थित राष्‍ट्रीय विषाणु विज्ञान केंद्र और दिल्‍ली स्थित राष्‍ट्रीय बीमारी नियंत्रण केंद्र में इस बीमारी से जुड़े नमूनों के परीक्षण के लिए पूरी तैयारी की जा चुकी है, ताकि इसकी पहचान हो सके।

इसके अलावा, भारतीय दूतावास केंद्र ने इस बीमारी से प्रभावित देशों में रह रहे अनुमानित 47,000 भारतीयों से संपर्क साधने का सिलसिला शुरू कर दिया है। इसके साथ ही इन लोगों को सभी आवश्‍यक शिक्षाप्रद सामग्री भी उपलब्‍ध कराई गई है ताकि इस बीमारी के निवारण और स्‍वत: ही सूचनाएं देने के बारे में जागरूकता बढ़ सके।

स्‍वास्‍थ्‍य और परिवार कल्‍याण मंत्रालय अपनी कार्ययोजना के क्रियान्‍वयन के लिए राज्‍य सरकारों के साथ मिलकर आवश्‍यक कदम उठा रहा है। सभी राज्‍यों के मुख्‍य सचिवों को अपनी खुद की ट्रैकिंग, सर्विलांस और अलग-थलग रखने की सुविधाओं को मजबूत करने की जरूरत से अवगत करा दिया गया है।
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