राष्ट्रीय (13/10/2014) 
दीवाली के रंग में रंगे शिल्पोत्सव व जीआइपी
नोएडा। दीवाली नजदीक होने से शिल्पोत्सव, जीआईपी व बाजार सभी उसके रंग में रंगे दिख रहे हैं। हर तरफ बाजारों में दीवाली के समानों से भरे पड़े हैं। शिल्पोत्सव में हैंडलूम कॉटन के कपड़ों पर एप्लीक (सजावट) वर्क के बाद तैयार चादरें, पर्दे, तकिया व कुशन कवर दर्शकों के लिए आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। सालों से चली आ रही यह कारीगरी पाकिस्तान बंटवारे से पूर्व के भारत की याद दिलाता है।

नोएडा स्टेडियम के रामलीला ग्राउंड में चल रहे शिल्पोत्सव में स्टॉल नंबर सी-66 व 67 पर गुजरात की स्टेट हैंडलूम वेवर्स को-ऑप-फेडरेशन लिमिटेड की ओर से हैंडलूम कॉटन के उत्पाद प्रदर्शित किए गए हैं। इनकी खास बात यह है कि बेडशीट, कुशन कवर, तकिया के कवर, टेबल रनर्स और पर्दे समेत सभी उत्पादों पर एप्लीक वर्क किया गया है। ऑफ व्हाइट कलर में हैंडलूम कॉटन के बने इन उत्पादों के लिए लोगों को जेब ढीली करनी पड़ेगी। ये आम पर्दों, बेडशीट, तकिया कवर आदि के मुकाबले महंगे हैं।
शिल्पकार कार्तिक चौहान बताते हैं कि हैंडलूम कॉटन के कपड़े पर एप्लीक वर्क की यह सभ्यता बहुत पुरानी है। सिंधु नदी के आसपास के क्षेत्र से इसका जन्म हुआ था। राजा-महाराजा हाथी-घोड़ों की सवारी करते समय इन कपड़ों का इस्तेमाल करते थे। अब लोग इनका इस्तेमाल घरों केलिए करने लगे हैं। शिल्पोत्सव में पहली बार शामिल होने वाले कार्तिक ने बताया कि ऑफ व्हाइट कलर के कपड़े के ऊपर फोल्ड कर डिजाइन बनाया जाता है। इसके बाद डिजाइन की गई जगह को काटा जाता है। फिर हाथ से इसकी सिलाई की जाती है। इसमें काफी वक्त लगता है।
शिल्पोत्सव की तैयारियां अभी अधूरी दिख रही हैं। मेला शुरू होने के दूसरे दिन भी एक चौथाई स्टॉल खाली दिखे। बहुत से शिल्पी स्टॉल पर उत्पाद सजाते दिखे। पूछने पर उन्होंने बताया कि उन्हें स्टॉल देने में ही देरी की गई। इसके अलावा लाल मिट्टी डालने का काम रविवार को भी जारी रहा। क्लॉक टावर की घड़ी भी बंद दिखी। मिनिस्ट्री ऑफ टेक्सटाइल की ओर से सी-64 नंबर के स्टॉल पर सौराष्ट्र के बने सूट शिल्पोत्सव में पहुंचने वाली महिलाओं को खूब भा रहे हैं। ग्लेस कॉटन पर एंब्रॉइडरी (कढ़ाई) के जरिये खूबसूरत कलाकृतियां बनाई गई हैं। शिल्पकार तेजस भाई शुक्ल ने बताया कि इन कपड़ों पर डाई किए रंग के न छूटने की गारंटी होती है। इनकी कीमत 750 से लेकर 1850 रुपये तक है। यह पूर्ण रूप से घरेलू उद्योग से जुड़ा हुआ है। गुजरात के सुरेंद्र नगर में घर पर महिलाएं और युवतियां सूट के कटे हुए कपड़ों को ले जाती हैं और उन पर कढ़ाई कर इसे तैयार करती हैं। वे शिल्पोत्सव में पहली बार शामिल हो रहे हैं।
शिल्पोत्सव में प्रवेश करने के लिए पहली बार ट्राइपोड ट्रांसलाइट मशीन लगाई गई है। मकसद था कि प्रॉक्सिमिटी कार्ड के जरिये इस मशीन से प्रवेश करने में समय कम लगेगा, मगर ठीक इससे विपरीत हो रहा है। गार्डों को अपने हाथ से मशीन घुमानी पड़ रही है, जिससे मेले में प्रवेश और बाहर निकलने में ज्यादा वक्त लग रहा है।

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