राष्ट्रीय (04/11/2014) 
मथुरा में लगा कंस-वध मेला
कृष्ण नगरी मथुरा में कंस-वध मेले का आयोजन किया गया इस मेले में चतुर्वेदी समाज के लोग हाथी पर सवार हुए कृष्ण-बलराम के स्वरुप के साथ लाठियों से कंस के लगभग 50 फिट ऊँचे विशालकाय पुतले का वध करते है बाद में चतुर्वेदी समाज की महिलाऐं फूल बरसाकर विजयीभव में सभी का स्वागत करती है हाथों में लाठियाँ लेकर 'छज्जू लाये खाट के पाये मार-मार लट्ठन झूर कर आये' गाते ये लोग मथुरा के चतुर्वेदी समाज से है और ये कंस का वध करने के बाद अपनी ख़ुशी का इजहार कर रहे है मौका है मथुरा में आयोजित किये गए कंस-वध मेले का कृष्ण नगरी मथुरा में हर साल कार्तिक-शुक्ल दशमी के दिन चतुर्वेदी समाज के द्वारा कंस-वध मेले का आयोजन किया जाता है परंपरा है कि इसी दिन कृष्ण ने अपने मामा कंस का वध किया था इसी परंपरा का पालन करते हुए चतुर्वेदी समाज के लोग इस दिन मथुरा मे विश्राम घाट से लेकर कंस टीले तक एक शोभायात्रा निकालते है जिसमे हाथी पर सवार हुए कृष्ण-के स्वरुप और हाथ में लाठियां लिए हुए चतुर्वेदी समाज के लोग शामिल होते है जब ये शोभायात्रा कंस टीले पर पहुंचती है तो कृष्ण-बलराम के स्वरुप यहाँ स्थापित किये गए कंस के विशालकाय पुतले को युद्ध के लिए ललकारते है और कृष्ण-बलराम द्वारा युद्ध की विधिवत शुरुआत करने के बाद चतुर्वेदी समाज के लोग अपनी लाठियों से कंस को ढेर कर देते है कंस का वध करने के बाद सभी चतुर्वेदी समाज के लोग कंस के सिर को घसीटते हुए और सामूहिक गायन करते हुए विश्राम-घाट तक एक विजय-जुलूस निकालते है जिसका समाज की महिलाऐं फूल बरसाकर स्वागत करती है कंस-वध मेले को लेकर चतुर्वेदी समाज के लोगों में खासा उत्साह रहता है इस दिन ना सिर्फ सभी लोग  नए कपडे पहनते है बल्कि घरों में भी विशेष पकवान तैयार किये जाते है और पूरे देश ही नहीं बल्कि विदेश में रहने वाले चतुर्वेदी समाज के लोग भी आज के दिन इस कंस बध मेला में आकर भाग लेते है और कंस को मार कर जाते है इस मेले की खास बात ये भी है की ये एक ऐसा मेला होता है जो की पूरे भारत वर्ष में सिर्फ मथुरा में ही मनाया जाता है /
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