राष्ट्रीय (04/12/2014) 
हिमाचल की विरासत भवनों को आग से बचाने के प्रबंध किए
केन्‍द्रीय संस्‍कृति राज्‍य मंत्री (स्‍वतंत्र प्रभार), डॉ. महेश शर्मा ने आज राज्‍यसभा में एक तारांकित प्रश्‍न के जवाब में बताया कि हिमाचल प्रदेश की ऐतिहासिक विरासत भवनों/स्‍मारकों को आग से बचाने के लिए सभी आवश्‍यक प्रबंध किए गए हैं। 

भारतीय पुरावत्‍व सर्वेक्षण के अधिकार क्षेत्र में केन्‍द्र द्वारा संरक्षित 40 ऐतिहासिक भवन/स्‍मारक है। हिमाचल प्रदेश सरकार ने 2003 में 327 विरासत भवनों को अधिसूचित किया था, जबकि 2011 में 80 विरासत भवनों को अधिसूचित किया गया है। उन्‍होंने बताया कि केन्‍द्र द्वारा संरक्षित इन स्‍मारकों और भवनों को सीधे तौर पर आग से कोई खतरा नहीं है। चूंकि इन भवनों में कुछेक स्‍मारक मुख्‍य रूप से लकड़ियों से बनाए गए हैं और कुछेक में लकड़ी की बनी सामग्रियों को वास्‍तु के मुताबिक बहुतायत में उपयोग किया गया है, इस वजह से भारतीय पुरावत्‍व सर्वेक्षण ने आग से बचाव के लिए दो तरह के अग्‍निशामक उपकरण खरीदे हैं। एक जल दबाव वाला उपकरण है जबकि दूसरा अग्‍निशामक यंत्र कार्बन डाइऑक्‍साइड से युक्‍त है। जहां पहले उपकरण से आपात स्‍थिति में लकड़ी, कागज और कपड़े आदि से फैलने वाली सामान्‍य आग को बुझाने में मदद मिलेगी, वहीं कार्बन डाइऑक्‍साइड युक्‍त उपकरण से इलेक्‍ट्रिक और अन्‍य उपकरण जैसे कंप्‍यूटर आदि में लगने वाली आग को बुझाने में कारगर है। शिमला स्‍थित वायसराय आवास की आंतरिक सजावट में लकड़ियों का काफी इस्‍तेमाल हुआ है और ब्रिटिश राज के समय से ही इसमें अग्‍निशामक यंत्र प्रभावी रूप से काम कर रहा है। आज भी इस स्‍मारक में पुराने ज़माने के यंत्र-उपकरण संतोषजनक ढंग से कार्य कर रहे हैं। 
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