राष्ट्रीय (10/12/2014) 
राश्ट्रीय सतत कृशि मिशन योजना की दी जानकारी |
कलैक्ट्रेट के सभागार में राश्ट्रीय सतत कृशि मिशन योजना की बैठक की अध्यक्षता करते हुए जिलाधिकारी श्रीमति बी0चन्द्रकला ने योजना के संबंध में जानकारी देते हुए कहा कि कृशि उत्पादकता को सतत बनाये रखना प्राकृतिक संसाधनों जैसे मृदा एवं जल की उपलब्धता एवं गुणवत्ता पर निर्भर है। उन्होनें कहा कि देश की कुल कृशि भूमि में से 60 प्रतिशत भूमि वर्शा पर निर्भर है। इसकों दृश्टिगत रखते हुए राश्ट्रीय सतत कृशि मिशन तैयार किया गया है, जिससे एकीकृत खेती, जलप्रयोग कुशलता, मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन तथा संसाधन संरक्षण की वृद्वि पर नजर रखते हुए कृशि उत्पादकता में वृद्वि की जा सके। उन्होनें मिशन के  मुख्य आयामों के संबंध में मिशन से जुडे विभिन्न विभागों के अधिकारियों से चर्चा करते हुए कहा कि योजना के अन्तर्गत कृशि विभाग से संबंधित समस्त विभाग अधिक से अधिक किसानों को जनपद में लाभान्वित करें। उन्होनें कहा कि फसलों के उन्नत बीज की व्यवस्था कृशि विभाग सुनिश्चित करेगा तथा पशुधन एवं मछली पालन की व्यवस्था पशुधन विभाग द्वारा की जायेगी। उन्होनें जल प्रयोग दक्षता वाले विभागों जैसे भूमि संरक्षण अधिकारी को सुझाव दिया कि अधिक से अधिक पानी रोकने के उपाय खेती में किये जाये। उन्होनें नाशीजीव प्रबंधन के अन्तर्गत कृशि रक्षा ईकाई को निर्देशित किया कि प्रदर्शनियों एवं गोश्टियों के आयोजन के समय अधिक से अधिक किसानों में जागरूकता उत्पन्न की जाये। उनके द्वारा उन्नत फार्म पद्वतियां, पोशक तत्व प्रबंधन तथा कृशि बीमा आयाम के अन्तर्गत अधिकारियों को आवश्यक रूप से कृशि बीमा की सुविधा अनिवार्य रूप से दी जाये। उनके द्वारा ऋण सहायता एवं बाजार तथा आजीविका विविधीकरण पर भी विस्तार से चर्चा की।

जिलाधिकारी ने मिशन के उददेश्यों की जानकारी देते हुए कहा कि कृशि को स्थान विशेश के अनुरूप, जलवायु अनुरूप, सतत लाभ की दृ श्टि से संयुक्त कृशि प्रणाली युक्त बनाना समुचित मृदा व नमी संरक्षण अपनाते हुए प्राकृतिक संसाधन संरक्षण, समुचित उर्वरक प्रयोग और जल की प्रत्येक बूंद से अधिक उत्पादन प्राप्त करना है। बैठक का संचालन करते हुए उपनिदेशक कृशि प्रसार, श्री बी0एल0 यादव ने मिशन के अन्तर्गत कार्यनीति की जानकारी उपस्थित विभिन्न अधिकारियों को देते हुए कहा कि एकीकृत फसल प्रणाली को बढावा देना, जिसमे चारागाह भी सम्मलित है। संसाधन संरक्षण प्रौद्योगिकी व आन फार्म व आॅफ फार्म दोनों को बढावा देना, जो चरम जलवायु आपदाओं/घटनाओं से लडने में सक्षम हो, उपलब्ध जल संसाधनों का प्रभावी प्रबंधन, रासायनों का बहतर प्रयोग वर्धित मृदा कार्बन भण्डार और मृदा संसाधनों का डाटाबेस बनाना तथा कार्यनीतियों से जानकार किसानों और व्यवसायिकों को शामिल करना नीति के मुख्य उददेश्य है। उन्होनें कहा कि राज्य सरकार पादर्शिता अपनाकर विभाग के माध्यम से ख्याति प्राप्त स्वयं सेवी संस्थाओं को कलस्टर/ग्राम विकास योजना में नियुक्त कर सकती है। उन्होनें जनपद स्तर पर मिशन के क्रियान्वयन के लिए जिलाधिकारी अध्यक्ष एवं उपनिदेशक कृशि सदस्य सचिव नामित किये गये है और परियोजना का कार्य देखने हेतु तकनीकि सलाह हेतु माॅनिटरिंग की सहायता के लिए समूहों की संख्या के आधार पर प्रत्येक आस पास के 2 या 3 जनपदों के लिए संविदा के आधार पर सलाहकार/विशेज्ञ नियुक्त होगें। बैठक में उपस्थित जनपद के प्रगतिशील किसान श्री भारतभूशण त्यागी ने मिशन के संबंध में महत्वपूर्ण सुझाव प्रस्तुत किये। बैठक में मुख्य विकास अधिकारी श्री पुलकित खरे सहित पशुधन, अल्पसिचांई, भूमि संरक्षण, कृशि रक्षा, उद्यान तथा कृशि विज्ञान केन्द्र के अधिकारीगण उपस्थित रहे।

 

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