राष्ट्रीय (01/04/2015) 
11 वी की परीक्षा दिए बिना ही 12 वी में छात्राए चयनित
 अजमेर :- 11 वी की परीक्षा अभी हुई नहीं है छात्राओ को 12 कक्षा में चयनित कर लिया गया है| ये मामला अजमेर की किसी गाव-ढाणी का नहीं है, बल्कि अजमेर शहर के बीचो बीच स्थित द्रौपदी देवी स्कूल का है, जिसको ना शिक्षा विभाग के नियम कायदो से लेना देना है और ना ही स्कूल के भामाशाहो से, यहाँ सारा एक छत्र राज प्रिंसिपल साहिबा का ही है | ये खोज का विषय है की इस स्कूल में ये मनमानी प्रिंसिपल  साहिबा के स्तर पर हो रही है या ट्रस्ट के आदेशानुसार कर रही है हमारे सवांदाता  ने जब इस बारे में जानकारी जुटाई तो ये ही नहीं इसके अलावा भी कई और अनियमताए भी नज़र में आई|
नया बाजार स्थित द्रौपदी देवी सांवरमल उच्च माध्यमिक विद्यालय में 11वि कक्षा की परीक्षा ९ अप्रैल से प्रारम्भ होने वाली है पर प्रिंसिपल साहिबा श्रीमती रंजना शर्मा जी ने 11 वी की छात्राओ हो 12 वी क्लास में प्रमोट कर दिया है | जानकारी के अनुसार लगभग 1 महीने पहले ही 11 वी कक्षाओ का पाठ्यक्रम पूर्ण हो चूका है, पर सभी पाठ्यक्रम का पुनरावलोकन करने या परीक्षा की तयारी की छुट्टी  देने की बजाये छात्राओ को 12 वी कक्षा की पाठ्यक्रम की तैयारी शुरू करवा दी है, अब ये सोचने वाली बात है कि 12 वी का अध्ययन करने के बाद छात्राओ से 11 वी कक्षा की परीक्षा ली जायेगी इस स्थिति में छात्राए 11 वी की पढ़ाई याद रखे या 12 वी की?
ज्ञातग हो कि माध्यमिक शिक्षा बोर्ड अगले सत्र से 12 वि का पूरा पाठ्यक्रम बदलने वाला है, इस स्तिथि में भी अभी पुराने सत्र का पाठ्यक्रम पड़ने का क्या कारन है. 11वि और 12 वि कि पढ़ाई में छात्राए क्या याद रख कर परीक्षा देगा, अगर इसी कारणवश कोई छात्रा फ़ैल हो जाती है और कोई अनैतिक कदम उठती है तो इसकी ज़िम्मेदारी किसकी होगे ट्रस्ट, प्रिंसिपल या बोर्ड प्रशासन?
साथ ही साथ 12 वी कक्षा के लिए बाजार मूल्य से ज्यादा कॉपिया भी वितरित कर दी गयी है | बाजार में जिस कॉपी की कीमत 15 रु है उसे छात्राओ को 17 रु में जबरन दिया जा रहा है उस पर भी 8 रु ज्यादा वसूले जा रहे है, कॉपियों के बंडल की कीमत 442 रु होती है पर 8 रु खुल्ले नहीं होने का हवाला दे कर छात्राओ से पुरे 450 रु वसूले जा रहे है| यानि की चित भी मेरी पट भी मेरी और सिक्का भी मेरा|
जानकारी की अनुसार प्रिंसिपल मोहदया के ये तानाशाही रवईया छात्राओ के साथ ही नहीं बल्कि पूरी विद्यालय के स्टाफ के साथ भी है| ट्रस्ट द्वारा प्रत्येक अध्यापिका को साल में 12 छुट्टी देने का प्रावधान रखा गया है पर प्रिंसिपल मोह्यदया सिर्फ 10 छुट्टी ही देती है, 11 छुट्टी लेने पर 250 -300 रु तनख्वाह से काट ली जाती है| साथ ही साथ मई, जून महीने में परीक्षा के बाद अध्यापको-अधयापिकाओ से वेतन रजिस्टर में हस्ताक्षर तो करवा लिया जाता है पर वेतन दिया नहीं जाता है | अपनी नौकरी बचने के चक्कर में बेचारे अध्यापक-अध्यापिकाए हस्ताक्षर कर देते है, अब बोले भी तो कौन जो बोलेगा उसकी छुट्टी, इससे अच्छा है आँख मीच कर इस गोरखधंधे में साथ देते रहो |
अब देखना ये होगा कि शिक्षा विभाग या भामाशाहो द्वारा प्रिन्सिअप्ल मोहदया के खिलाफ कोई सख्त कार्यवाई करी जाती है या नहीं, क्युकी जहा तक जानकारी प्राप्त हुई है वहा तक शायद भामाशाहो को भी इस गोरखधंधे के बारे में कुछ मालूम नहीं है, क्युकी जब-जब भामाशाहो स्कूल के व्यवस्तए देखे हेतु अजमेर विधयालय आते है सब कुछ एक कमरे में बंद कर दिया जाता है | भामाशाहो कि मेहरबानी से विद्यालय की हर कक्षा में सीसीटीवी कमरे और स्पीकर लगे गए जिसकी मॉनिटरिंग रंजना जी अपने कक्ष में भेट कर करती है और बीच-बीच में अध्यापक-अधयापिकाओ को दिशा निर्देश देती रहती है, भले ही चलती कक्षा में व्यवधान ही क्यों नहीं आये |
 अमूमन अगर एक अकड़ा लगाया जाए तो 11 वी और 9 वी कक्षा में 55  छात्राए है अगर कॉपियों का आकड़ा लगाया जाए तो 8 रु के हिसाब से 2640 होते है, और अध्यापक- अधपिकाओ की छुट्टी का हिसाब लगाया जाए तो 300 रु के हिसाब से 12000 होते है और बात अगर 2 महीने के वेतन की बात की जाए तो ये आकड़ा 2 लाख के भी पार हो जाता है | अब अनुमान लगाया जा सकता है कि ट्रस्ट या प्रिंसिपल की तानाशाही के कारण स्कूल को कितना फायदा हो रहा है |
पियूष गोयल
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