(16/08/2016) 
हिंसा और आतंकवाद के आगे नहीं झुकेगी सरकार : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीа
नई दिल्ली : सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के 70वें स्वाधीनता दिवस के मौके पर लाल किले के ऐतिहासिक प्राचीर से तिरंगा फहराया व परेड की सलामी ली। इस मौके पर प्रधानमंत्री ने पड़ोसी देश पाकिस्तान को बेहद सख्त संदेश देते हुए बलूचिस्तान व पाक अधिकृत कश्मीर के प्रति सहानुभूति जताते हुए कहा कि उनकी सरकार हिंसा और आतंकवाद के आगे नहीं झुकेगी।

उन्होंने माओवादियों से हिंसा का रास्ता छोड़ने का आह्वान किया और महंगाई व भ्रष्टाचार से आजादी दिलाने की वकालत करते हुए पुरानी योजनाओं की समीक्षा रपट दी। प्रधानमंत्री ने स्वतंत्रता सेनानियों की पेंशन बढ़ाने, गरीबों के इलाज के लिए एक लाख रुपए देने व आदिवासियों के जीवनसंघर्षों पर आधारित संग्रहालय खोलने की घोषणा की। प्रधानमंत्री ने आतंकवादियों का СमहिमामंडनТ करने वाले पाकिस्तान पर निशाना साधते हुए हैरानी जताई कि आखिर यह कैसा देश है, जो आतंक से प्रेरणा लेता है? उन्होंने पेशावर के स्कूल पर हुए आतंकी हमले का हवाला दिया, जिसमें 140 से ज्यादा लोग मारे गए थे। इनमें ज्यादातर बच्चे थे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत की संसद, देश के स्कूलों व देश के बच्चों को यह दर्द महसूस हुआ क्योंकि देश की मानवता की नींव बहुत मजबूत है। लेकिन दूसरे पक्ष को देखिए। जहां आतंकवाद का महिमामंडन किया जा रहा हैЕजहां आतंकियों द्वारा मासूमों की हत्या का जश्न मनाया जा रहा है। आतंकवाद से प्रेरित जीवन कैसा जीवन है? वह सरकार भी कैसी है, जो आतंकवाद से प्रेरित है? प्रधानमंत्री की ये टिप्पणियां दरअसल पाकिस्तान की ओर से वानी को СशहीदТ घोषित किए जाने और उसकी याद में कार्यक्रम आयोजित किए जाने की पृष्ठभूमि में आई हैं। उन्होंने कहा कि भारत आतंकवाद और हिंसा के आगे झुकेगा नहीं। उन्होंने युवाओं से अपील की कि वे हिंसा का मार्ग छोड़कर मुख्यधारा में लौट आएं। इन टिप्पणियों को दरअसल कश्मीर के युवाओं के लिए एक संदेश के तौर पर देखा जा रहा है।
उन्होंने कहा कि लाल किले की प्राचीर से, मैं कुछ लोगों के प्रति अपना आभार जताना चाहता हूं। बलूचिस्तान, गिलगिट और पाक अधिकृत कश्मीर के लोगों ने जिस तरह पूरे दिल से मेरा शुक्रिया अदा किया, जिस तरह से उन्होंने मेरे प्रति अपना आभार जताया और जिस तरह उन्होंने हाल ही में अपनी शुभकामनाएं भेजींЕउसके लिए मैं उनका शुक्रिया अदा करना चाहता हूं।Т दूरदराज के लोग, जिन्हें मैंने देखा तक नहीं, जिनसे मैं मिला तक नहींЕऐसे लोग जब भारतीय प्रधानमंत्री का शुक्रिया अदा करते हैं, उनका अभिवादन करते हैं, तो यह देश के 125 करोड़ लोगों का सम्मान होता है। और यही वजह है कि आज मैं बलूचिस्तान, गिलगिट और पाक अधिकृत कश्मीर के लोगों का पूरे दिल से शुक्रिया अदा करना चाहता हूं।
जम्मू कश्मीर, पूर्वोत्तर और नक्सल प्रभावित इलाकों में फैली हिंसा के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसमे शामिल युवाओं का आह्वान किया कि वे अपने घरों को लौट आएं और मुख्यधारा में शामिल हों क्योंकि हिंसा के रास्ते से कभी किसी को फायदा नहीं हुआ। लेकिन इसके बावजूद माओवादियों के कब्जे वाले जंगलों में निर्दोष लोगों की हत्या का खेल खेला जा रहा है, सीमा पर आतंकवाद के नाम पर खेल खेला जा रहा है, पहाड़ों में आतंक के नाम पर खेल खेला जा रहा है। उन्होंने कहा कि मैं उन युवकों से कहना चाह रहा हूं कि अब भी समय है, वापस आ जाओ और अपने माता-पिता के सपनों को देखो। अपने माता-पिता की आकांक्षाओं को देखो। शांति का जीवन जियो क्योंकि हिंसा के रास्ते से कभी कोई फायदा नहीं हुआ।
प्रधानमंत्री ने पिछली सरकार पर हमले भी किए व उनके योगदान को उल्लेख भी किया। उन्होंने कहा कि कहा कि एक समय था कि जब सरकार आरोपों में आकंठ डूबी हुई थी। इसकी बजाय यह सरकार आकांक्षाओं से घिरी हुई है। उन्होंने महंगाई को काबू में रखने का संकल्प जताते हुए कहा कि उन्होंने लोकलुभावन उपायों से दूरी रखने का प्रयास किया है। पिछली सरकारें अपनी पहचान बनाने के लिए इस तरह के उपायों को अपनाती रही हैं लेकिन इसका सरकारी खजाने पर बुरा असर पड़ता है। उन्होंने लालकिले की प्राचीर से अपने तीसरे संबोधन में Сसुधार, प्रदर्शन और परिवर्तनТ का नारा दिया। उन्होंने कहा कि स्वराज से सुराज की यात्रा को पूरा करने के लिए सरकार को संवेदनशील, जवाबदेह, जिम्मेदार, पारदर्शी और क्षमतावान होना होगा। उन्होंने कहा कि इस देश में सरकारों की यह परंपरा रही है कि लोकलुभावन घोषणाएं करो और अपनी पहचान बनाने के लिए देश के खजाने को खाली कर दो। मैं इस तरह की लोक लुभावन घोषणाओं से दूर रहा हूं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि वे सरकार के किए गए काम पर प्रकाश नहीं डालना चाहते बल्कि सरकार की कार्यसंस्कृति का उल्लेख करना चाहेंगे। प्रधानमंत्री ने संवेदनशीलता, दायित्व, जवाबदेही, पारदर्शिता, दक्षता व सुशासन जैसे सुराज के विभिन्न तत्वों को परिभाषित किया। उन्होंने प्रमुख अस्पतालों में पंजीकरण, आयकर रिफंड की तत्परता से वापसी, पासपोर्ट डिलीवरी व कंपनियों के पंजीकरण और सरकारी नौकरियों में समूह ग और समूह घ के पदों के लिए साक्षात्कार समाप्त किए जाने जैसे उदाहरण देकर इसे समझाया। प्रधानमंत्री ने उल्लेख किया सुशासन के महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में सेवा प्रदान करने की गति किस प्रकार बढ़ी है। इसके अलावा उन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में अपनी सरकार की उपलब्धियों की चर्चा भी की। उन्होंने कृषि क्षेत्र में सरकार के समन्वित दृष्टिकोण को स्पष्ट किया जिसमें मृदा, स्वास्थ्य कार्ड, सिंचाई, सौर पंप, बीज, उर्वरक व फसल बीमा शमिल है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार ने महंगाई दर को छह फीसद से ऊपर नहीं जाने दिया जबकि पिछली सरकारों के समय यह 10 फीसद से भी ऊपर रही है। हमने दाम नियंत्रण के लिए भरसक प्रयास किए हैं। मेरा पूरा प्रयास रहेगा कि गरीब आदमी की थाली महंगी नहीं हो। प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार प्रतीकात्मकता के बजाय वास्तविकता पर ध्यान दे रही है। उनकी सरकार अलग-अलग विकास के बजाय समग्र विकास और अधिकार देने के बजाय सशक्तीकरण पर बल दे रही है।
मोदी ने स्वतंत्रता सेनानियों के लिए पेंशन में 20 फीसद की बढ़ोतरी का एलान किया कहा कि जिन्हें 25000 रुपए मिल रहे हैं, अब उन्हें 30000 रुपए मिलेंगे। यह मेरी तरफ से सम्मान का छोटा सा काम है। प्रधानमंत्री ने कहा कि स्वतंत्रता संघर्ष में कुछ लोगों की भूमिका पर जरूरत से ज्यादा बात होती है, वहीं आदिवासियों के योगदान को उतना उजागर नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता संघर्ष में योगदान देने वाले आदिवासी समुदाय के कम पहचान पाए लोगों की भूमिका को रेखांकित करने के लिए कई राज्यों में संग्रहालय बनाए जाएंगे।
मोदी ने यह घोषणा भी की कि गरीबी रेखा से नीचे रह रहे परिवारों के लिए सरकार एक लाख रुपए तक का चिकित्सा खर्च का वहन करेगी। चिकित्सा से जुड़े मामलों में गरीब परिवारों की कठिनाइयों पर चिंता जताते हुए उन्होंने कहा कि अगर एक गरीब व्यक्ति स्वास्थ्य सेवाएं चाहता है तो हर साल एक लाख तक का चिकित्सा खर्च सरकार उठाएगी। उन्होंने कहा कि कार्यक्रमों का क्रियान्वयन आवश्यक है और केवल घोषणाओं या बजटीय आवंटन से लोगों को संतोष नहीं मिलेगा प्रधानमंत्री ने साफ किया कि किया कि किस प्रकार उनकी सरकार अटकी पड़ी या काफी समय से लंबित परियोजनाओं को पूरा करने में जुटी है। उन्होंने कहा कि इसके लिए बाकायदा एक तंत्र गठित किया गया है जो महत्त्वपूर्ण परियोजनाओं को मंजूरी देने के लिए अपेक्षित समय में कमी कर रही है।
उन्होंने कहा कि सुशासन के महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में हुई प्रगति को अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजंसियों ने भी स्वीकार किया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि महिलाओं कल्याण की दिशा में सरकार ने नरम और समन्वित दृष्टिकोण अपनाया है। इसमें बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ, सुकन्या समृद्धि योजना और उज्ज्वला योजना जैसे कार्यक्रम शामिल हैं ताकि महिलाओं की शारीरिक, शैक्षिक व वित्तीय बेहतरी सुनिश्चित हो सकें। इस संबंध में उन्होंने कई अन्य सरकारी पहल का उल्लेख भी किया। प्रधानमंत्री ने बताया कि सरकार की विभिन्न पहलें व कार्यक्रम युवाओं के लिए रोजगार निर्माण में योगदान कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मॉडल दुकान और प्रतिष्ठान अधिनियम के चलते सप्ताह के सातों दिन दुकान खोलने में सुविधा रहेगी। प्रधानमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार बड़े फैसले लेने में किसी प्रकार का संकोच नहीं करती उन्होंने एक रैंक- एक पेंशन, नेता जी की फाइलों का खुलासा व बांग्लादेश के साथ भूमि सीमा करार का इस संदर्भ में जिक्र किया।
कुछ घोषणााएं भी
स्वतंत्रता सेनानियों के लिए पेंशन में 20 फीसद की बढ़ोतरी का एलान। जिन्हें 25000 रुपए मिल रहे हैं, अब उन्हें 30000 रुपए मिलेंगे।
स्वतंत्रता संघर्ष में योगदान देने वाले आदिवासी समुदाय के कम पहचान पाए लोगों की भूमिका को रेखांकित करने के लिए कई राज्यों में   संग्रहालय बनाए जाएंगे। गरीबी रेखा से नीचे रह रहे परिवारों के लिए सरकार एक लाख रुपए तक का चिकित्सा खर्च का वहन करेगी।
महंगी न होने देंगे गरीबों की थाली
हमने दाम नियंत्रण के लिए भरसक प्रयास किए हैं। मेरा पूरा प्रयास रहेगा कि गरीब आदमी की थाली महंगी नहीं हो। यह सरकार प्रतीकात्मकता के बजाय वास्तविकता पर ध्यान दे रही है। अलग-अलग विकास के बजाय समग्र विकास और अधिकार देने के बजाय सशक्तीकरण पर गौर कर रही है।
वहीँ प्रधानमंत्री ने खुलकर यह भी कहा की मेरी सरकार ने लोक लुभावन उपायों से दूरी रखने का प्रयास किया है। पिछली सरकारें अपनी पहचान बनाने के लिए इस तरह के उपायों को अपनाती रही हैं लेकिन इसका सरकारी खजाने पर बुरा असर पड़ता है। उन्होंने लालकिले की प्राचीर से अपने तीसरे संबोधन में Сसुधार, प्रदर्शन और परिवर्तनТ का नारा दिया।
देवेंद्र कुमार समाचार वार्ता 
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