(12/02/2017) 
चौधरी के नेतृत्व में एनपीसीसी विकास की और अग्रसर- उमा भारती
आजादी के बाद देश के समक्ष कई चुनोतियां खड़ी थी जिसमे से एक थी कि देश में बहुआयामी विकास कार्य और निर्माण कार्य कैसे किये जाए। कैसे परियोजनाओं को पूरा किया जाए। तत्कालीन सिंचाई मंत्रालय के अधीन एक मात्र निर्माण संगठन एनपीसीसी की 9 जनवरी 1957 को विधिवत् स्थापना की गई ।

एनपीसीसी ने निर्माण के दूसरे क्षेत्रों में भी क्रांति को जन्म दिया। वर्तमान में एनपीसीसी प्रबंध निर्देशक के पद पर एच. एल चौधरी कार्यरत है, वर्तमान में एनपीसीसी को फायदे में ले जाने के श्रेय इन्ही को जाता है। स्वयं केंद्रीय जल संसाधन मंत्री उमा भारती ने गुड़गांव में निर्मित एनपीसीसी मुख्यालय के उद्धघाटन के समय कहा " इस उधम को जो ऊचाई आज हासिल हुई है उसमे एच. एल. चौधरी का बहुत बड़ा हाथ है जो इस समय कंपनी को फायदा हो रहा है वह इनके परिश्रम व कर्तव्यनिष्ठा की वजह से है"। जब समाचार वार्ता के राजीव निशाना  ने एच. एल. चौधरी से मुलाकात की, तब उन्होंने इस तरह बातें सांझा की। 

कुछ ऐसे क्षेत्र है जिनमें एनपीसीसी को विशिष्टता प्राप्त है और ये काम करने की इच्छुक है :-
-- बाँध,बैराज,नहर/चैनल,विद्युत परियोजनाएं
-- जल विद्युत तापीय,सुरंगों सहित अन्य भूमिगत परियोजनाएं,
-- टाउनशिप/भवन निर्माण परियोजनाएं
-- औद्योगिक परियोजनाएं/इस्पात संयंत्र,सड़कों व रनवे सहित पुल परियोजनाएं,
-- सीवेज/वाटर ट्रीटमैंट प्लांट,कूलिंग टावर
-- ट्रांसमिशन लाइनें परियोजना ,प्रबंधन परामर्शी।

राजीव निशाना -- एनपीसीसी के नए मुख्यालय का निर्माण गुड़गांव में किया गया है जबकि पुराना मुख्यालय फरीदाबाद में स्थित था। मुख्यालय बदलने की क्या वजह रही है ?
एच एल चौधरी -- मुख्यालय के विस्तार के लिए इसे गुड़गांव में बनाया गया है यहां सुलभता से आया - जाया जा सकता है। किसी भी कार्यालय के लिए यह जरूरी है कि लोग आसानी से वहां तक पहुंच सके। 

राजीव निशाना -- एनपीसीसी जो पिछले कई सालों से घाटे में थी, वर्तमान में क्या स्थिति है। 
एच एल चौधरी --  कंपनी पहले से बेहतर स्थिति में है लगातार हम लाभांश अर्जित कर रहे है। इस तिमाही में एक करोड़ रूपये का लाभांश हुआ है। अभी हमे कई परियोजना कार्य मिले है जिनपर जल्दी ही कार्य शुरू  जायेगा। 

राजीव निशाना -- एनपीसीसी का निर्माण क्षेत्र में क्या योगदान रहा है ?
एच एल चौधरी -- एनपीसीसी द्वारा अनेक ऐतिहासिक परियोजनाओं का निर्माण पूर्ण किया गया है, जिनमें से कुछ तो दूरदराज के इलाकों में थीं जहाँ पर निजी कम्पनियां काम करने का साहस नहीं जुटा पाई । केवल एक कार्य मौसम में दिल्ली में यमुना नदी पर वजीराबाद बैराज पूर्ण करना, आंध्र प्रदेश में गोदावरी नदी पर एशिया के सबसे लम्बे सर आर्थर कॉटन बैराज, मणिपुर में सिंगदा अर्थ डैम तथा खुग्गा बाँध, त्रिपुरा में महारानी, खोवाई तथा मनु बैराज, मणिपुर में लोकटक जल विद्युत परियोजना आदि कुछ ऐसी परियोजनायें हैं जो देश के विकास में एनपीसीसी के योगदान तथा उसकी क्षमता को प्रदर्शित करती हैं ।

राजीव निशाना -- आने वाले समय में एनपीसीसी किन परियोजनाओं पर काम करने जा रही है ?
एच. एल चौधरी -- हम विशेष रुप से सड़क ,ब्रीज ,बिल्डिंग, सिंचाई, जल आपूर्ति, स्वच्छता, अस्पताल, बस्ती निर्माण, बिजली घर, सीमा पर बाड लगाना आदि का कार्य कर रहे है और नए अवसरों के तौर पर  नदी विकास कार्य, नदी कायाकल्प जैसे स्वच्छ गंगा मिशन पर एनपीसीसी जोर सोर से काम कर रहा है। भारत को अगले पांच साल में बुनियादी ढांचे पर 31 लाख करोड़ रुपये खर्च करने की जरूरत है। बुनियादी ढांचा क्षेत्र मूल्य के संदर्भ में बहुत बड़ा है। सरकार इस तरह के स्मार्ट शहरों, हवाई अड्डों के विकास, पूर्वोत्तर राज्यों में बुनियादी ढांचे के विकास के कार्यों  को लेकर कई बड़े कार्यों की  की घोषणा की है। हम आशा करते हैं, एनपीसीसी कई हजार करोड़ का काम करता आया है और करने में सक्षम भी है।
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