राष्ट्रीय (21/05/2015) 
हरिप्रसाद के अमर्यादित बयानबाजी से कांग्रेस का चाल-चरित्र व चेहरा उजागर: भाजयुमो
बीके हरिप्रसाद अपने अमर्यादित बयानबाजी के लिए माफी मांगे
रायपुर। कांग्रेस राष्ट्रीय महासचिव बीके हरिप्रसाद द्वारा प्रेस वार्ता में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ 'गंगा पर जाकर पाप धोने जैसे अमर्यादित शब्दों का प्रयोग उनकी छोटी मानसिकता और हार की खीज को दर्शाता है। वहीं उनका यह अलोकतांत्रिक बयान केन्द्र में राजग व राज्य में भाजपा सरकार द्वारा जनकल्याणकारी कार्य और विकास से कांग्रेस का सत्ता वापसी नहीं होने का भय का उजागर करता है। कांग्रेसी नेता अब घटिया बयानबाजी कर मीडिया का ध्यान अपनी ओर करने का असफल प्रयास कर रहे हंै, लेकिन इसके उलट उनकी यह बदजुबानी कांग्रेस के चाल-चरित्र और चेहरे को जनता से रूबरू करा रही है। उक्त बातें भारतीय जनता युवा मोर्चा रायपुर शहर जिलाध्यक्ष संजूनारायण सिंह ठाकुर ने हरिप्रसाद के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कही। ठाकुर ने कहा कि केन्द्र की राजग सरकार ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में अपने 1 वर्ष के छोटे से अन्तराल में ही देश की आर्थिक व्यवस्था एवं वैश्विक आधार को मजबूत बनाने का अतुलनीय कार्य किया है। उनके विदेश दौरे भारत को एक नई पहचान देने के साथ ही वैश्विक समझौते कर देश को विश्व की परिपाटी में शीर्ष स्थान दिलाने के लिए आगे बढ़ रही है। केंद्र सरकार ने समाज के अंतिम पंक्ति में खडे़ अंतिम व्यक्ति की चिंता की है, जिसको हम प्रधानमंत्री जन सुरक्षा योजना-बीमा योजना, जन-धन योजना और पेंशन योजना आदि कई जनकल्याणकारी योजनाओं से समझ सकते हैं। वहीं छत्तीसगढ़ राज्य में प्रदेश के यशस्वी मंत्री ने डाॅ. रमन सिंह ने पिछले 11 वर्षो में विकास के कई नये आयाम गढ़े हैं, जिसका प्रमाण भौतिक विकास के साथ सभी वर्गो के लोगों का सम्पूर्ण विकास से समझा जा सकता है। ठाकुर कडे़ शब्दों में कहा कि बीके हरिप्रसाद अपनी खोखली व अप्रामाणिक बयानबाजी से बाज आएं, वे यह न भूले कि जिस व्यक्ति के लिए अपशब्दों का प्रयोग कर रहे हैं वह किसी पार्टी विशेष के नेता ही नहीं बल्कि भारत के प्रधानमंत्री भी हैं। भाजयुमो इस तरह के घटिया बयानों को आगे बर्दाश्त नहीं करेगी। बीके हरिप्रसाद अपनी भूल के लिए प्रधानमंत्री जी से माफी मांगे अन्यथा भाजयुमो उनके खिलाफ उग्र प्रदर्शन करते हुए भविष्य में छत्तीसगढ़ की धरा में कदम रखने नहीं देगी।
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