राष्ट्रीय (30/05/2015) 
माओवादियों के हौसले बुलंद: भाजपा की सरकार मूकदर्शक बनी
केन्द्र की भाजपा सरकार का छत्तीसगढ़ विरोधी फैसला: राजनाथ करे पुर्नविचार
रायपुर । माओवाद हिंसा के फैलाव पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुये प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री और मीडिया विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि माओवादियों के हौसले इतने बुलंद हो गये हैं कि मुख्यमंत्री रमन सिंह के बीजापुर रात्रि विश्राम के समय ही अपहृत पुलिस आरक्षक की हत्या करके लाश बीजापुर की बीच सड़क में फेंक दी गयी। नरेन्द्र मोदी के बहुप्रचारित दंतेवाड़ा प्रवास के दौरान सीमावर्ती सुकमा जिले के 1000 ग्रामीण अपहृत किये गये और एक ग्रामीण सदाराम नाग की क्रूरता से पीट-पीट कर हत्या कर दी गयी। केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह छत्तीसगढ़ पहुंचे ही है और जगदलपुर से बासागुड़ा जाने वाली यात्री बस को बीजापुर में माओवादियों ने आग लगा दी। माओवादी बढ़ चढ़कर हमले कर रहे है और भाजपा की केन्द्र सरकार और राज्य सरकार मूकदर्शक बन कर इस हिंसा पर मौन है। यूपीए सरकार ने जो सफलता प्राप्त की थी अब भाजपा की सरकारों को गलत नीतियों अकर्मण्यता और नीयत में खोट के कारण उसका प्रभाव भी कम हो रहा है। केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह वाकई बस्तर जा रहे हैं तो इसकी शुरुआत टाटा और एस्सार के लिए अधिग्रहित की गयी बस्तरवासियों की जमीन में 5 वर्षों से अधिक समय तक कोई औद्योगिक और खनन गतिविधि शुरू न कर पाने के कारण यह जमीन उनके मूल मालिकों को लौटाने की घोशणा करें। नक्सल आंतक की पीड़ा झेल रहे बस्तर जहां कुछ वर्शो में हजारों लोगों की जानें गयीं, बस्तर संभाग संभाग के आदिवासी आश्रमों में बच्चियों के साथ दुराचार की शर्मनाक घटनाओं के बाद 21वीं सदी में बस्तर में डायरिया जैसी सामान्य बीमारी से इलाज के अभाव में हजारों ग्रामीणों की जान जाने के बाद रमन सिंह को बस्तर सुध आयी है। दुर्भाग्यजनक है कि राज्य बनने के 14 वर्श बाद भी बस्तर के आधे से अधिक प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में दवाईयों की उपलब्धता तो छोडि़ए डाॅक्टर की तैनाती भी रमन सरकार नही कर पायी है। आज भी बस्तर के लोगों को पीने के साफ पानी के लिये मीलों पैदल जाना पड़ता है। मुख्यमंत्री रमन सिंह के 11 वर्षो के कार्यकाल और उनके अधीन विभागों के पिछले रिकाॅर्ड को देखते हुये उनसे बहुत अधिक अपेक्षा करना छलावा होगा। इसके पहले रमन सिंह जी ने जिस-जिस विभाग को देखा है, वहां भ्रष्टाचार, लालफीताशाही और समस्याओं के अलावा छत्तीसगढ़ को और कुछ नहीं मिला है। प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री और मीडिया विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार धान के बोनस देने की मनाही, समर्थन मूल्य नहीं बढाने के बाद एक बार फिर से नक्सलवाद से निपटने के लिये दिये जाने वाली सहायता राशि में कटौती कर फिर से सौतेला व्यवहार कर रही है। माओवाद प्रभावित राज्यो की आर्थिक स्थिति इतनी सशक्त नहीं है कि वह इस पर होने वाले अतिरिक्त व्यय का बोझ उठा सकें, विषेशकर बाद में निर्मित राज्य छत्तीसगढ़ और झारखंड। इसीलिये कांग्रेस की केन्द्र सरकार ने यह निर्णय किया था कि वह इन पर पड़ने वाले अतिरिक्त बोझ को वहन करेगी तथा माओवाद प्रभावित दस राज्यों के 88 जिलों के लिए केन्द्रीय सहायता उपलब्ध कराई गई। पिछले साल भी केन्द्र की यूपीए सरकार ने इसके लिए 1760 करोड़ अपने आबंटित किये थे, ताकि प्रभावित क्षेत्रों में आधारभूत संरचना का विकास किया जा सके। अब नरेन्द्र मोदी और राजनाथ सिंह को केन्द्र सरकार ने माओवाद प्रभावित राज्यो के लिये केन्द्रीय सहायता देना बंद कर दिया है, जिसका कुप्रभाव छत्तीसगढ़ सहित संबंधित राज्यों की जनता पर पड़ना निष्चित है। कांग्रेस ने केन्द्र की भाजपा सरकार से मांग की है कि वह अपने निर्णय पर पुनर्विचार करे, ताकि लोगो में भय का वातावरण न बने। केन्द्र की नीयत के प्रति भी छत्तीसगढ़ के लोगों में शक और संशय पैदा हो रहा है। छत्तीसगढ़ को अब 'बी' श्रेणी से हटाकर 'ए' श्रेणी में रखा जाये। भाजपा की केन्द्र सरकार ने राज्य सभा में कहा था कि छत्तीसगढ़ को किसी भी कीमत पर 'ए' श्रेणी में नहीं रखा जा सकता। केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा था कि माओवाद प्रभावित राज्यों में पुलिस आधुनिकीकरण का काम भी राज्यों को अपने संसाधनों के माध्यम से करना होगा। कांग्रेस ने मांग की है कि राजनाथ सिंह छत्तीसगढ़ प्रवास में अपना यह फैसला वापस लेने की घोषणा करे।
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