राष्ट्रीय (03/08/2015) 
किसानो की आर्थिक हालत सुधारने के लिए करंगे सोयाबीन का रुझान-धनखड़
हरियाणा के कृषि मंत्री ओमप्रकाश धनखड़ ने कहा कि प्रदेश के किसानों की आर्थिक हालत को सुधारने के लिए सोयाबीन जैसी फसलों के प्रति रूझान पैदा किया जाएगा। राज्य में सोयाबीन की फसल की अधिक से अधिक बुवाई की संभावनाओं को तलाशने व इस बारे में जानकारी लेने के लिए उन्होंने आज सोयाबीन अनुसंधान केंद्र इंदौर (मध्यप्रदेश) का दौरा किया। इसके अलावा इंदौर की छावनी मंडी का भी दौरा करके सोयाबीन की विभिन्न वैरायटियों के बीज खरीदने एवं बेचने की विस्तार से जानकारी ली।
धनखड़ ने बताया कि हरियाणा के दक्षिणी हिस्से में सिंचाई के लिए पानी की कमी है। अगर खरीफ के मौसम में सोयाबीन की खेती की जाए तो जहां पानी की बचत होगी वहीं सोयाबीन का अच्छा भाव मिलने से किसानों की आर्थिक हालत में भी सुधार होगा। उन्होंने बताया कि सोयाबीन की खेती में पारंपरिक फसलों से कई गुणा ज्यादा फायदा होगा। उन्होंने बताया कि अगर प्रदेश के लोग सोयाबीन खाएंगे तो वे स्वस्थ भी रहेंगे। कृषि मंत्री ने बताया कि सोयाबीन में लगभग 20 प्रतिशत तेल एवं 40 प्रतिशत उच्च गुणवत्ता युक्त प्रोटीन होता है। इसकी तुलना में चावल में 7 प्रतिशत, मक्का में 10 प्रतिशत एवं अन्य दलहनों में 20 से 25 प्रतिशत प्रोटीन होता है। सोयाबीन में उपलब्ध प्रोटीन बहुमूल्य अमीनो एसिड (5 प्रतिशत) से समृद्ध होता है जबकि अधिकांश अनाजों में इसकी कमी होती है। इसके अतिरिक्त इसमें खनिजों, लवण एवं विटामिनों (थियामिन एवं रिवोल्टाविन) की अच्छी मात्रा पायी जाती है। इसके अंकुरित दाने में विटामिन सी की पर्याप्त मात्रा पाई जाती है।
उन्होंने सोयाबीन के लाभ बताते हुए कहा कि बच्चों के लिए उच्च प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थ बनाने में सोयाबीन का उपयोग किया जाता है। औद्योगिक उत्पादन में विभिन्न एंटीबायोटिक्स बनाने में इसका विस्तृत रूप से उपयोग किया जाता है। सोयाबीन जड़ गं्रथिका के मार्फत वायुमंड से नाइट्रोजन की पर्याप्त मात्रा को निर्धारित कर मिटटी की उर्वरकता को बढ़ाता है। परिपक्वता पर जो पत्ते तल पर गिरते हैं, उससे भी उर्वरकता बढ़ती है। इसका उपयोग चारे के रूप में किया जा सकता है। चारे को पुआल में बदला जा सकता है इसके चारे एवं खल मवेशियों एवं पाल्ट्री के लिए उत्तम पोषक खाल हो हैं। सोयाबीन उच्च गुणवत्ता युक्त प्रोटीन एवं वसा का सबसे स्मृद्ध सस्ता एवं अच्छा स्रोत है। इसके वसा का उपयोग खाद्य एवं औद्योगिक उत्पादों में किया जाता है। इसे कभी-कभी आश्चर्यजनक फसल भी कहा जाता है।
धनखड़ ने आगे बताया कि खरीफ सीजन के दौरान सोयाबीन फसल को सामान्यत: किसी सिंचाई की जरूरत नहीं पड़ती है। हालांकि यदि फलियां भरने की अवधि के दौरान सूखा हो तो सिंचाई की जा सकती है। उन्होंने बताया कि यदि सभी तकनीकों व उन्नत किस्मों का चुनाव करके सोयाबीन की फसल बोई जाए तो औसत उपज 30-35 क्वि. प्रति हेक्टर तक मिल जाती है। हरियाणा बीज विकास निगम की ओर से तय किए गए कार्यक्रम के अनुसार आज कृषि मंत्री धनखड़ के साथ मध्यप्रदेश के विधायक ओमप्रकाश के अलावा हरियाणा बीज विकास निगम के उपनिदेशक डा. आर. के चौधरी व विशेष सचिव ओ.पी गुप्ता ने आज सोयाबीन अनुसंधान केंद्र इंदौर का दौरा किया और कृषि वैज्ञानिकों से बातचीत की।
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