राष्ट्रीय (25/02/2016) 
देश बदल रहा है
देश बदल रहा है,
पल पल ये ङल रहा है।
नहीं जनता कोई, ये किस और बढ़ रहा है। 
बोट बैंक की राजनीती हर कोई कर रहा है, 
विकाश व तरक्की के डींगें कोई भर रहा है। 
कोई अर्शों से गरीबी व महगाई दूर करने की बातें कर रहा है।
जब बात हो सत्ता की तब बस तरीका बदल रहा है, 
कोई छुआ छूट के नाम पर सियासत कर रहा है।
कोई हिंदुत्व की परिभाषा में समाज बाँट रहा है,
भेद भाव का कोई उदाहरण बता रहा है।
इन्हीं तरकीबों से आम जन गुमराह हो रहा है, 
हथिया कर के सत्ता पेट पल रहा।
 
देश बदल रहा है,
पल पल ये ङल रहा है।
नहीं जनता कोई, ये किस और बढ़ रहा है। 
देवेन्द्र कुमार (अमन)
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