राष्ट्रीय (25/02/2016)
आँखो मे दर्द के ये कैसे गहरे छाले हैं !
आँखो मे दर्द के ये कैसे गहरे छाले हैं ! मेरे देश मे बहते खून के ये कैसे नाले हैं !! आरक्षण की आग कहीँ मचा रही आतंक ! कहीँ देशद्रोही गूंजते जेएनयू मॆ नारे हैं !! कहीँ वोटों के लिए नतमस्तक होते सफेदपोश ! कहीँ भड़काऊ बयानों से खून जनता का पीने वाले है !! कहीँ ज़हर घोलकर सागर मॆ मोहब्बत का आशिक बिछड़ने वाले हैं ! हे मनु की संतान कितने रूप तेरे अभी हम देखने वाले हैं !! डस लिया अपनो कॊ ही जहरीले फन से तूने ! कभी छीन लिए तूने निवाले हैं !! कहीँ दुश्मन कर रहा चढ़ाई दिन रोज़, सीमा मे अब घुसने वाले हैं ! जांबाज़ हमारे सीमा पर चौकसी पर हैं दिन रात न हौंसले उनके पस्त होने वाले हैं !! माँ भारती की शान मे करे गुस्ताखी कोई कन्हैया हो सईद खालिद नहीँ हम बकसने वाले हैं ! सागर की अपील सुनो मेरे दोस्तों क्या हम इतने कमजोर होने वाले हैं ? छोडो मुददे आरक्षण और दलित नाम के, हम भी तो देश के लिए जीने और मरने वाले हैं !! सागर शर्मा ब्यूरो रिपोर्ट समाचार वार्ता |
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