राष्ट्रीय (10/03/2016) 
सिलेंडर में मौजूद तरल पदार्थ से दुर्घटना की आशंका बनी रहती है-सतीश सुधीर
कैथल :- अक्षय ऊर्जा विभाग द्वारा ऊर्जा संरक्षण तथा ग्रिड कनैक्टिड सोलर पॉवर प्लांट के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए स्थानीय कोयल काम्पलैक्स में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला में चंडीगढ़ स्थित पीसीआरए के उपनिदेशक  सतीश सुधीर, श्री सौर ऊर्जा केंद्र के निदेशक अनिल आहुजा, ऊर्जा टैक्रोलॉजी के निदेशक कुलभूषण कौशल तथा अतिरिक्त उपायुक्त कार्यालय के एपीओ सुनील शर्मा ने ऊर्जा संरक्षण की आवश्यकता तथा सौर ऊर्जा के महत्व के बारे में विस्तृत जानकारी दी। सतीश सुधीर ने बताया कि अक्षय ऊर्जा प्रदूषण मुक्त तथा स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है। उन्होंने उपस्थितगण का आह्वान किया कि वे बिजली उपकरण खरीदते समय स्टार रेटिंग आईएसआई मार्क उपकरण ही खरीदें। क्योंकि ये उपकरण ऊर्जा की खपत को कम करते हैं। उन्होंने रसोई घर में प्रयोग की जा रही एलपीजी गैस के बारे में भी कुछ सावधानियां बरतने को कहा। उनका कहना था कि एलपीजी गैस हवा से भारी होती है, इसलिए जब भी यह गैस लीक होती है तो जमीन के साथ-साथ फैल जाती है। खाना बनाते समय गैस चुल्हे को सिलेंडर से ऊंचाई पर रखें, ताकि गैस लीक होने की स्थिति मेें कोई दुर्घटना न हो। सिलेंडर को हमेशा हवादार कमरे में रखा जाए तथा रात को सोने से पूर्व सिलेंडर की नोब को बंद कर दें। उन्होंने कहा कि सिलेंडर को हमेशा सीधा रखा जाए तथा कभी भी भूमि पर लेटाया न जाए। इससे सिलेंडर में मौजूद तरल पदार्थ से दुर्घटना की आशंका बनी रहती है। उन्होंने कहा कि हमेशा होज पाईप का प्रयोग करें, जोकि पूर्णत: सुरक्षित है। उन्होंने मानव की उन्नति के विभिन्न सोपानों से संबंधित लघु फिल्म का भी प्रदर्शन किया, जिसमें ऊर्जा के बदलते संशाधनों को दर्शाया गया है। ऊर्जा टैक्नोलोजी के निदेशक कुलभूषण कौशल ने ग्रिड कनैक्टिड सोलर पावर प्लांट के बारे में विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने कहा कि इस समय बैटरी बैंक के साथ एक किलोवाट सोलर पॉवर प्लांट की कीमत लगभग एक लाख 30 हजार रुपए तथा बिना बैटरी बैंक के कीमत 90 हजार रुपए है। एक किलोवाट सोलर पॉवर प्लांट एक दिन में 4 से साढ़े 4 यूनिट बिजली का उत्पादन करता है तथा इसकी बिजली उत्पादन की क्षमता लगभग 25 वर्ष से अधिक है। इस योजना में सोलर पॉवर प्लांट द्वारा बनाई गई बिजली का भवनों में इस्तेमाल किया जाएगा तथा अतिरिक्त बिजली वापिस ग्रिड में चली जाएगी, जिसकी राशि बिजली के बिल से घटा दी जाएगी।श्री सौर ऊर्जा केंद्र के निदेशक अनिल आहुजा ने सौर ऊर्जा के महत्व पर विस्तृत प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि पारम्परिक ऊर्जा स्त्रोत सीमित हैं तथा ऊर्जा के गैर पारम्परिक स्त्रोत अपार भंडार में है। उन्होंने कहा कि हमें सौर ऊर्जा का भरपूर उपयोग करना चाहिए, ताकि हमारे पारम्परिक स्त्रोत बचे रहें। पारम्परिक ऊर्जा स्त्रोतों से पर्यावरण को नुकसान होता है, जबकि सौर ऊर्जा से पर्यावरण को कोई नुकसान नही होता। ऊर्जा संरक्षण ऊर्जा उत्पादन से ज्यादा महत्वपूर्ण है तथा यह समय की मांग है। हमें पारम्परिक ऊर्जा स्त्रोतों पर निर्भरता को छोड़कर ऊर्जा के गैर पारम्परिक स्त्रोतों को अपनाना होगा, ताकि भावी पीढिय़ों के लिए भी ऊर्जा बच सके। एपीओ सुनील शर्मा ने पारम्परिक तथा गैर पारम्परिक ऊर्जा स्त्रोतों की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने कहा कि समय आ गया है कि हमें स्वहित एवं राष्ट्र हित को ध्यान में रखते हुए सौर ऊर्जा को अपनाएं। उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार द्वारा जारी की गई गजट अधिसूचना के अनुसार सरकारी विभागों, संस्थानों तथा निजी क्षेत्र की संस्थाओं, वाणिज्यिक परिसरों, उद्योगों तथा अस्पतालों में विद्युत की मांग को पूरा करने के लिए इन भवनों पर सोलर बिजली संयंत्र लगाना अनिवार्य किया गया है। अक्षय ऊर्जा विभाग द्वारा ग्रिड कनैक्टिड सोलर पावर प्लांट लगाने की योजना शुरू की गई है। यह प्लांट सरकारी, वाणिज्यिक संस्थानों, घरेलू व औद्योगिक भवनों पर लगाए जाएंगे। इसमें 27 रुपए प्रति वॉट या 30 प्रतिशत अनुदान राशि जो भी कम हो दी जा रही है। वापिस ग्रिड में जाने वाली बिजली की एवज में सरकार द्वारा ग्राहक को 25 पैसे प्रति यूनिट प्रोत्साहन के रूप में दिए जाएंगे। सरकार द्वारा इन प्लांटों को लगाने के लिए 30 प्रतिशत अनुदान दिया जा रहा है। इस मौके पर  हरियाणा परिवहन के वर्क मैनेजर विकास नरवाल, लोक निर्माण विभाग के कार्यकारी अभियंता केके नैन, सुबीर सिंह सांगवान प्रोजेक्ट आफिसर, कैथल गैस एजैंसी के संचालक चंद्र मोहन जैन सहित विभिन्न संस्थाओं तथा एसोसिएशनों के पदाधिकारी मौजूद रहे।
(राजकुमार अग्रवाल)
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