विशेष (26/05/2022) 
जाखड़ को अहमियत मिलने से , पंजाब भाजपा के नेता ‘नाराज’
पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सुनील जाखड़ के भाजपा में शामिल होने के बाद , भाजपा के कई नेता अंदरखाते नाराज चल रहे हैं। सुनील जाखड़ अकेले ही आए हैं और उनके साथ किसी बड़े कांग्रेसी नेता ने तो क्या एक भी कांग्रेसी वर्कर ने भाजपा ज्वाइन नहीं की।

यहां तक कि जाखड़ के अपने विधानसभा हलके अबोहर से भी किसी कांग्रेसी नेता अथवा वर्कर ने भाजपा ’वाइन नहीं की। यह हलका जाखड़ परिवार का गढ़ माना जाता है और जाखड़ खुद यहां से विधायक रहने के साथ-साथ अपने भतीजे संदीप जाखड़ को भी टिकट दिलाकर जितवा चुके हैं, इसके बावजूद वह इस हलके से अपने भतीजे संदीप जाखड़ और किसी कांग्रेसी वर्कर को भाजपा में साथ नहीं ला सके। इसे लेकर भी भाजपा के भीतर सवाल उठने शुरू हो गए हैं।

भाजपा में जाखड़ की चुनावी रणनीति की सफलता को लेकर भी सवाल उठाए जा रहे हैं और कहा जा रहा है कि वह खुद 2014 के लोकसभा चुनाव के साथ-साथ 2017 का अबोहर विधानसभा चुनाव हार चुके हैं और 2019 में भी उन्हें लोकसभा चुनाव में भाजपा के गैर-राजनीतिक उम्मीदवार सन्नी देओल के हाथों पराजय का सामना करना पड़ा था। कैप्टन अमरेंद्र सिंह की सरकार के रहते एक बार उपचुनाव में ही उन्हें जीत हासिल हुई थी और जाखड़ की इस जीत के पीछे कांग्रेस की माझा ब्रिगेड की भूमिका रही थी जिसके दम पर जाखड़ यह चुनाव जीते थे। ऐसे में वह भाजपा के लिए चुनावी रणनीति बनाने में कितने कारगर साबित हो सकते हैं, इसका अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है।

पंजाब से  अश्वनी ठाकुर की रिपोर्ट

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