विशेष (06/07/2022) 
केजरीवाल सरकार का 10.27 लाख रोजगार का दावा झूठा- अनिल भारद्वाज
दिल्ली सरकार अनुबंधित गेस्ट टीचरों सहित लगभग 66 हजार अस्थायी कर्मचारियों को, तुरंत प्रभाव से स्थायी करे। - अनिल भारद्वाज


दिल्ली सरकार बेरोजगार युवाओं को बेरोजगारी भत्ता देने और मनरेगा की तर्ज पर शहरी गांरटी रोजगार योजना लागू करें।- अनिल भारद्वाज


मंगलवार को प्रदेश कांग्रेस कार्यालय राजीव भवन में आयोजित संवाददाता सम्मेलन को, कम्युनिकेशन विभाग के चैयरमेन एवं पूर्व विधायक  अनिल भारद्वाज ने सम्बोधित करते हुए कहा कि, 7-8 साल में आम आदमी पार्टी की केजरीवाल सरकार ने युवाओं को रोजगार देने के नाम पर भ्रम और प्रचार के मायाजाल फंसाकर रखा है। उन्होंने कहा कि प्रदेश कांग्रेस केजरीवाल सरकार के उस दावे को पूरी तरह खारिज करती है जिसमें उन्होंने 10.21 लाख युवाओं को जॉब पोर्टल के जरिए रोजगार देने की बात कही है। उन्होंने पूछा कि, सरकार यह बताये कि, किन क्षेत्रों में यह रोजगार दिए है, क्योंकि कोविड महामारी से उत्पन्न आर्थिक संकट और बढ़ती महंगाई के कारण  दिल्ली में बेरोजगारी का औसत खतरनाक स्तर पर पहुच गया है, जबकि केजरीवाल सरकार 10 लाख रोजगार देने का झूठा दावा कर रही है। संवाददाता सम्मेलन में कम्युनिकेशन विभाग के वाईस चैयरमेन  अनुज आत्रेय भी मौजूद थे।

 अनिल भारद्वाज ने कहा कि, दिल्ली कांग्रेस मांग करती है मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल दिल्ली के बेरोजगार युवाओं को बेरोजगारी भत्ता देने, मनरेगा की तर्ज पर शहरी गांरटी रोजगार योजना के तहत बेरोजगारी भत्ता देने और दिल्ली लगभग 66 हजार अस्थायी अनुबंधित गेस्ट टीचर, वोकेशनल टीचर, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, नर्स, डाक्टर, पेरामेडिकल स्टॉफ और अन्य कर्मचारियों को स्थायी करने के लिए तुरंत प्रभाव से योजना बनाए। उन्हांने कहा कि, दिल्ली और केन्द्र सरकार रोजगार सृजन करने के लिए योजनाऐं बनाने में पूरी तरह विफल साबित रही है। बेरोजगारी का औसत देश में जहां खतरनाक स्तर पर है, राजधानी बेरोजगारी औसत में शीर्ष पर है जबकि रोजगार विभाग के अनुसार दिल्ली सरकार में 88 प्रतिशत पद खाली है।


अनिल भारद्वाज ने कहा कि, 2015 में आम आदमी पार्टी ने 8 लाख रोजगार देने का वायदा किया था, परंतु केजरीवाल सरकार ने सत्ता में आने के बाद रोजगार निदेशालय के द्वारा 440 सरकारी पद भरे है जबकि 3896 युवाओं को रोजगार बाजार पोर्टल के माध्यम से रोजगार मिले है। उन्होंने कहा कि, The Hindu अखबार ने अपनी रिपोर्ट में खुलासा किया है कि, दिल्ली सरकार ने मात्र 12558 नौकरी उपलब्ध कराई है, 10 लाख नौकरी देने का दावा भ्रामक और राजनीति से प्रेरित है।  भारद्वाज ने कहा कि, केजरीवाल दूसरे राज्यों में झूठी और बेबुनियाद घोषणाऐं दिल्ली से प्रेरित होकर कर रहे है जबकि दिल्ली में हर क्षेत्र में स्थिति बिलकुल विपरित है, चाहे शिक्षा हो, स्वास्थ्य, रोजगार, विकास या अन्य जनहित से जुड़े मुद्दे हो। उन्होंने कहा कि , 10 लाख रोजगार देने का दावा करने वाले केजरीवाल दिल्ली के युवाओं से माफी मांगे क्योंकि उनके झूठे और बेबुनियाद दावे से बेरोजगार युवाओं की भावनाओं को ठेस पहुची है।

 भारद्वाज ने कहा कि, दिल्ली सरकार को विधानसभा के मानसून सत्र में विधायकों के वेतन वृद्धि के एजेंडे के अलावा जनहित, जनकल्याण, महंगाई, बेरोजगारी और दिल्लीवासियों के हितों से किसी विषय को नही जोड़ा गया, क्योंकि मुख्यमंत्री केजरीवाल राजधानी के युवाओं सहित दिल्लीवालों को सपने दिखाते है उन्हें पूरा करने के लिए कोई परिपक्व योजना अभी तक लागू नही की। राजधानी में बेरोजगारी लगातार बढ़ रही है। दिल्ली का युवा सरकार की रोजगार संबधी नीतियों के कारण को हताश और निराश है, जबकि सरकार लोकलुभावनी घोषणाएं करके युवाओं को सिर्फ सब्जबाग दिखा रही है।

 अनिल भारद्वाज ने कहा कि, मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल को विधायकों का वेतन बढ़ाने की चिंता है जबकि दिल्ली की प्रमुख चिंता युवाओं को रोजगार देने की है। उन्होंने कहा कि, विधानसभा सत्र में बेरोजगारी पर चर्चा करने के साथ युवाओं को बेरोजगारी भत्ता देने का निर्णय लेना चाहिए था, क्योंकि केजरीवाल ने उत्तराखंड और गोवा विधानसभा चुनावों में युवाओं को 5000 रुपये बेरोजगारी भत्ता देने का वायदा किया था। अगर वे सत्ता में चुने जाते हैं तो उन्हें बेरोजगारी भत्ता दिया प्रतिमाह दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि, दिल्ली में इस वादे को लागू क्यों नही किया जबकि दिल्ली सरकार के पास सरप्लस बजट हैं |

दिल्ली से दिलीप शर्मा की रिपोर्ट

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