विशेष (15/10/2022) 
डीन प्रो. (डॉ.) वैभव गोयल भारतीय के मार्गदर्शन में संपन्न हुआ अन्तर्राष्ट्रीय ई-कचरा दिवस
स्वामी विवेकानन्द सुभारती विश्वविद्यालय मेरठ के सरदार पटेल सुभारती विधि संस्थान में “अन्तर्राष्ट्रीय ई-कचरा दिवस” के अवसर पर जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन प्रो. (डॉ.) वैभव गोयल भारतीय, संकायाध्यक्ष सुभारती विधि संस्थान के मार्ग दर्शन में किया गया। 
कार्यक्रम का संचालन आफरीन अल्मास द्वारा किया गया। जागरूकता कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डॉ. विजय दत्त, संस्थापक “वीद्रोणा फाउण्डेशन”नई दिल्ली का स्वागत सुभारती विधि संस्थान के निदेशक पूर्व न्यायमूर्ति (उच्च न्यायालय प्रयागराज उत्तर प्रदेश) राजेश चन्द्रा द्वारा पर्यावरण संरक्षण मुहिम के तहत पौंधा भेंट कर किया गया। परस्पर संवादात्मक शैली में “ई-कचरा” विषय पर उपस्थित दर्शकों से बात करते हुए डॉ. विजय दत्त ने बताया कि आज जिस तरह से देश दुनिया में इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक्स सामानों का चाव बढ़ता जा रहा है, वो गैजेट जहर बनकर हमारे वातावरण में वापस आ रहे हैं जो न केवल पर्यावरण बल्कि हमारे स्वास्थ्य के लिए भी एक बड़ा खतरा बनते जा रहे हैं। हम अपने घरों और उद्योगों में जिन इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक्स सामानों को इस्तेमाल के बाद फेंक देते है, वही बेकार फेंका हुआ कचरा इलेक्ट्रॉनिक वेस्ट कहलाता है। ई-कचरे की समस्या तब उत्पन्न होती है जब वैज्ञानिक तरीके से ई-कचरे का उचित तरीके से कलेक्शन नही किया जाता है। साथ ही इनके अनयोजित निपटान किये जाने के वजह से पानी मिट्टी और हवा जहरीले होते जा रहे है जो स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक होते जा रहे है। उन्होंने अपनी बात विद्यार्थियों और शिक्षकों के मध्य वीडियोज एवं पावर पांइट प्रस्तुतीकरण द्वारा सरल एंव सुगम तरीके से रखी। उन्होंने विद्यार्थियों को ई-कचरा एवं उसके प्रकार, उससे होने वाले नुकसानों, किस प्रकार से हम अफने घर-कार्यालयों का “ई-कचरा” का सुगमता से निस्तारण कर सकते है, के विषय में विस्तार पूर्वक एवं आकर्षक तरीके से बताया। उन्होंने कहा कि आप लोग अपने घर कार्यालयों आदि का “ई-कचरा” www.cleantogreen.in पर मेल डालकर भी जमा कर सकते हैं। 
इसके बाद उन्होंने उपस्थित विद्यार्थियों से “ई-कचरा” विषय पर प्रश्नोत्तरी माध्यम से विभिन्न प्रश्न जैसे कि प्लास्टिक कचरा एवं इलेक्ट्रोनिक कचरा में क्या अन्तर है, इलेक्ट्रोनिक कचरे से नुकसान, पहली बार इलेक्ट्रोनिक कचरे से सम्बंधित प्रावधान कब किये गये आदि पूछे जिनका उत्तर अम्बिका, अंजुरी, उषब, विशाल एवं देवराज द्वारा संतोषजनक तरीके से दिया गया। 
प्रो. (डॉ.) वैभव गोयल भारतीय, संकायाध्यक्ष सुभारती विधि संस्थान ने कहा कि ई-अपशिष्ट विश्व का सबसे तेजी से बढ़ता हुआ अपशिष्ट घटक है, इसके मुख्य कारण इलेक्ट्रिक और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण की अधिक उपयोग दर, उनके उपयोग की कम अवधि तथा उनके मरम्मत के बहुत कम विकल्प होना है। ग्लोबल ई-वेस्ट मॉनिटर रिपोर्ट, 2020 के अनुसार, वर्ष 2019 में पूरे विश्व में रिकॉर्ड 53.6 मिलियन मीट्रिक टन इलेक्ट्रॉनिकअपशिष्ट एकत्र हुआ, जो केवल पांच वर्षों में ही 21 प्रतिशत बढ़ गया है।ग्लोबल ई-वेस्ट रिपोर्ट 2020 के अनुसार भारत में वर्ष 2019 में 3.2 मिलियनटन ई-अपशिष्ट एकत्र हुआ और चीन, संयुक्त राज्य अमेरिका के बाद भारतई-अपशिष्ट पैदा करने वाले देशों में तीसरे स्थान पर हैं। वर्तमान में, भारत मेंकुल 7,82,080 मीट्रिक टन प्रति वर्ष (एमटीए) की संयुक्त प्रसंस्करण क्षमताके साथ कुल 312 अधिकृत रीसाईक्लिंग सुविधाएं है, जिनमें से एक RGLआज आप लोगों के समक्ष हैं। सुभारती लॉ कॉलिज के निदेशक राजेश चन्द्र ने कहा कि ई-अपशिष्ट की इस लगातार बढ़ती समस्या का कुशलतापूर्वक समाधान करने हेतु भारत सरकार ने बहुत सारे प्रावधान बनाये है, और ई-अपशिष्ट प्रबंधन और संभलाई नियमों का दृढता पूर्वक पालन करायें जाने की आवश्यकता है।
पूर्व न्यायमूर्ति राजेश चन्द्रा, निदेशक सुभारती विधि संस्थान ने अपना व्यक्तिगत उदहारण देते हुए कहा की उनके पास भी एक बहुत पुराना मोबाइल फ़ोन जिससे उनकी भावनाये जुडी है रखा हुआ है पर उससे इस प्रकार की स्वास्थ्य के लिए हानिकारक किरणे निकलती होगी इसका अनुमान नहीं था । अतः आगे से हम सब को समय रहते ऐसे उपकरणों को रीसायकल करने वाली संस्थानों को दे देना चाहिए ।  
डीन प्रो. (डॉ.) वैभव गोयल भारतीय ने  विजय गौड़ ब्यूरो चीफ को बताया कि  इस कार्यक्रम का उद्देश्य छात्र/छात्राओं, शैक्षणिक एवं गैर शैक्षणिक कर्मचारियों में “ई-कचरे का पर्यावरण पर प्रभाव” विषय पर जागरूकता प्रसारित करना था। कार्यक्रम में प्रो.(डॉ.) रीना बिश्नोई, डॉ. सारिका त्यागी, डॉ. प्रेम चन्द्र, एना सिसौदिया, रामेष्ठ धर द्विवेदी, प्राची गोयल, शालिनी गोयल, अजुंम जहां, रवि सक्सेना आदि शिक्षक गण उपस्थित रहे।
दिल्ली से विजय गौड़ की विशेष रिपोर्ट
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