राष्ट्रीय (06/02/2023) 
आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय ने वेस्ट टू वेल्थ प्लांट विकसित करने के लिए 10 लाख से ज्यादा आबादी वाले शहरों के साथ किए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर
नई दिल्ली: माननीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने साल 2023-2024 का बजट पेश किया, जिसमें अमृतकाल के माध्यम से हमारा मार्गदर्शन करने वाली सात प्राथमिकताओं या ‘सप्तऋषि’ को सूचीबद्ध किया है। इन प्राथमिकताओं में हरित विकास खंड के तहत सूचीबद्ध सर्कुलर इकॉनमी को बढ़ावा देने के लिए गोबर-धन योजना के तहत 500 नए वेस्ट टू वेल्थ प्लांट्स की स्थापना का प्रस्ताव रखा। कुल 10,000 करोड़ रुपये के निवेश के साथ इनमें 200 कंप्रेस्ड बायोगैस प्लांट, 75 शहरी क्षेत्रों में, 300 समुदाय या क्लस्टर-बेस्ड प्लांटशामिल होंगे।

इस विजन को ध्यान में रखते हुए आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय (MoHUA) की संयुक्त सचिव एवं स्वच्छ भारत मिशन की राष्ट्रीय निदेशक श्रीमती रूपा मिश्रा और इंजीनियर्स इंडिया लिमिटेड (ईआईएल) के कार्यकारी निदेशक श्री आरके राठी ने मंत्रालय सचिव श्री मनोज जोशी और ईआईएल की सीएंडएमडी वर्तिका शुक्ला की उपस्थिति में दस लाख से ज्यादा आबादी वाले शहरों में वेस्ट टू एनर्जी और बायो-मिथेनेशन प्रोजेक्ट्स विकसित करने के लिए एक (एमओयू) समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। 

कचरा मुक्त शहर बनाने के विजन से स्वच्छ भारत मिशन-शहरी 2.0 के अंतर्गत स्थायी सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट पर जोर दिया गया है। इस उद्देश्य पर ध्यान केंद्रित करते हुए मंत्रालय ने दस लाख से ज्यादा आबादी वाले शहरों की श्रेणी में बड़े पैमाने पर सॉलिड वेस्ट प्रोसेसिंग की सुविधाएं  स्थापित करने का निर्णय लिया है। भारत में लखनऊ, कानपुर, बरेली, नासिक, ठाणे, नागपुर, ग्वालियर, चेन्नई, मदुरै, कोयंबटूर जैसे दस लाख से ज्यादा आबादी वाले 59 शहर हैं। इन दस लाख से ज्यादा आबादी वाली श्रेणी के शहरों में म्यूनिसिपल सॉलिड वेस्ट को बायो-मिथेनेशन प्लांट्स के जैविक/गीले अंश के मैनेजमेंट के लिए प्रस्तावित किया गया है।

फरवरी 2022 में माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने इंदौर में एशिया के सबसे बड़े म्यूनिसिपल सॉलिड वेस्ट बेस्ड गोबर-धन प्लांट का उद्घाटन किया, जिसका लक्ष्य 19,000 किलोग्राम बायो-सीएनजी गैस उत्पन्न करना है। स्वच्छ भारत मिशन-शहरी 2.0 के तहत, गोबर-धन और ‘सतत’ योजनाओं से जुड़े ये बायो-मिथेनेशन प्लांट अक्षय ऊर्जा के रूप में बायो-सीएनजी का उत्पादन करेंगे।

वेस्ट टू एनर्जी प्लांट, म्यूनिसिपल सॉलिड वेस्ट से आने वाले सूखे कचरे के अंश का उपयोग करते हैं और एसडब्ल्यूएम नियम 2016 का अनुपालन करते हुए निस्पादन में कम से कम जगह का उपयोग करके कचरे की मात्रा में अधिकतम कमी के साथ अक्षय ऊर्जा का उत्पादन करते हैं। साथ ही ये पर्यावरण संरक्षण के वैधानिक मानदंडों को पूरा करते हैं। वेस्ट टू एनर्जी और बायो-मीथेनेशन प्रोजेक्ट्स म्यूनिसिपल सॉलिड वेस्ट के सूखे और गीले कचरे के अंश घटक से हरित ऊर्जा का उत्पादन करके वेस्ट मैनेजमेंट में सर्कुलैरिटी की अवधारणा को एकीकृत करेंगे। बिजली और बायो-सीएनजी जैसे बाइ-प्रोडक्ट भी वेस्ट मैनेजमेंट के कामों में स्थिरता प्राप्त करने में मदद करेंगे।

ईआईएल, वेस्ट मैनेजमेंट में सर्कुलैरिटी को एकीकृत करने वाले कचरे की बड़ी मात्रा के लिए ऐसी परियोजनाओं को विकसित करने में इन शहरों की सहायता करेगा। पहले चरण में, 10 लाख से ज्यादा आबादी वाले 25 शहरों को बड़े पैमाने पर कचरे से बिजली और बायो-मीथेनेशन विकसित करने के लिए चुना जाएगा। इन परियोजनाओं की सफलता महत्वपूर्ण होगी क्योंकि ऐसी परियोजनाओं के लिए इसे मील के पत्थर के रूप में अवधारित  और क्रियान्वित किया जाएगा। इस प्रकार,  इस साझेदारी में ईआईएल द्वारा प्राप्त प्रारंभिक तकनीकी मूल्यांकन और ट्रांजेक्शन एडवाइजरी सेवाओं में किए जा रहे सहयोग का महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा। निर्माण के दौरान ईआईएल इन पीपीपी प्रोजेक्ट्स की निगरानी करने में शहरी स्थानीय निकायों की मदद करेगा और वैधानिक अनुमोदन भी प्राप्त करने में मदद करेगा।

दस लाख से ज्यादा आबादी वाले शहरों के लिए ये प्रोजेक्ट्स अतिरिक्त 15,000 टीपीडी जैव-मिथेनेशन क्षमता और 10,000 टीपीडी वेस्ट टू एनर्जी क्षमता स्थापित करने का लक्ष्य रखते हैं। शहरों को 'कचरा मुक्त' बनाने के विजन के तहत एसबीएम-यू 2.0 का ध्यान लेगेसी डंपसाइट्स, निर्माण और डेमोलेशन वेस्ट और प्लास्टिक वेस्ट प्रबंधन के बायो-उपचार के साथ-साथ 100% वेस्ट प्रोसेसिंग के लक्ष्य को प्राप्त करने पर केंद्रित है। 

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