अन्तरराष्ट्रीय (27/02/2023) 
नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेला 2023 के दूसरे दिन पाठकों के उत्साह से हुआ टिकट सोल्ड-आउट
नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेला 2023 के दूसरे दिन रविवार को पुस्तक प्रेमियों की अप्रत्याशित भीड़ देखी गई। साहित्यिक चर्चाओं, वार्तालापों और संस्कृति के सबसे बड़े उत्सव में भाग लेने के लिए लाखों आगंतुक प्रगति मैदान, नई दिल्ली आए। मेले के टिकट सुप्रीम कोर्ट मेट्रो स्टेशन पर निर्धारित समय से पहले ही समाप्त हो चुके थे जिसके कारण आयोजकों को उच्च मांग को पूरा करने के लिए टिकट बिक्री का समय बढ़ाना पड़ा।   
आज के पुस्तक मेले की शुरुआत राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत तथा फिक्की के सहयोग से आयोजित सीईओ स्पीक कार्यक्रम से हुई। 'जी-20 देशों के बीच पुस्तक व्यापार में अवसर' विषय पर स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग के मुख्य सचिव श्री संजय कुमार ने डिजिटल लर्निंग और इंटरनेट द्वाराशिक्षा के क्षेत्र में व्यापक बदलाव लाने की बात की। उन्होंने कहा कि इंटरनेट कनेक्टिविटी हमें एक सुनहरा अवसर प्रदान करती है। राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत के निदेशक श्री युवराज मलिक ने 'राष्ट्रीय शिक्षा नीति' पर प्रकाश डाला, जो बहुभाषावाद पर जोर देती है। यह प्रकाशन उद्योग के लिए अधिक अवसर पैदा करेगी। 
इस वर्ष भारत जी-20 अध्यक्षता के उपलक्ष्य में, जी-20 पवेलियन (हॉल नंबर 4) में भारत, फ्रांस, रूस, मैक्सिको, जापान, ब्राजील, अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया और तुर्की सहित जी-20 सदस्य देशों के फिक्शन, नॉन-फिक्शन, इतिहास आदि जैसी विभिन्न विधाओं के साहित्य का प्रदर्शन कर रहा है। ‘द वॉल ऑफ हिस्ट्री’, जिसने पिछले वर्षों में अपनी यात्रा का दस्तावेजीकरण किया है, एक प्रमुख आकर्षण थी।
बाल मंडप (हॉल नंबर 3) में लगातार हुए सूचनात्मक और विभिन्न परिचर्चा-सत्रों में पूरे दिन छात्रों की उत्साहपूर्ण भागीदारी देखी गई। दिन का पहला कार्यक्रम डॉ. अनीता भटनागर जैन के साथ कहानी सुनाने था, जिसमें उन्होंने अपनी कहानियों के माध्यम से पर्यावरण और वन्यजीव संरक्षण के महत्व के बारे में बात की। अगले सत्र में, फ्रांसीसी प्रतिनिधि सुश्री लौरा सफौ ने "फरिया एंड द सॉन्ग ऑफ रिवर" कहानी सुनाई। श्री वेद मित्र शुक्ला, बाल साहित्य लेखक और एसोसिएट प्रोफेसर, दिल्ली विश्वविद्यालय और श्री विकाश कुमार सिंह, बाल साहित्य स्कॉलर और सहायक प्रोफेसर, गुरु गोविंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय द्वारा "भारत के गुमनाम आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी" पर आधारित एक कहानी-सत्र भी बाल मंडप में आयोजित किया गया। दिन के अंतिम सत्र में चित्रकारों की बैठक हुई 
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