राष्ट्रीय (28/05/2023) 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सानिध्य में हुए नवीन संसद भवन के ऐतिहासिक उद्घाटन समारोह में गूँजी जैनधर्म की प्रार्थना"
नई दिल्ली । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नवीन संसद भवन का उद्घाटन किया और भारत देश को लोकतंत्र का भव्य मंदिर समर्पित कर दिया। इस ऐतिहासिक अवसर पर ओम बिड़ला , अमित शाह, राजनाथ सिंह, योगी आदित्यनाथ, श्रीमती मीनाक्षी लेखी, श्रीमती आनंदीबेन पटेल, प्रहलाद पटेल एवं समस्त माननीय सांसद मंत्रीगण आदि श्रेष्ठ जन उपस्थित थे। नवीन संसद भवन के ऐतिहासिक उद्घाटन समारोह के पावन अवसर पर आयोजित "सर्वधर्म प्रार्थना सभा" में सभी धर्म के प्रतिनिधियों ने अपने धार्मिक ग्रंथों से विशेष प्रार्थनाएं कीं। इस गौरवपूर्ण समारोह में जैनधर्म का प्रतिनिधित्व करते हुए डॉ० इन्दु जैन ने सम्पूर्ण जैन समाज की ओर से भारत की भूमि को नमन किया तथा सभी का अभिवादन "णमो जिणाणं-जय जिनेन्द्र" से किया।  आपने आचार्य कुन्दकुन्द विरचित 'प्रवचनसार' की सर्वप्राचीन प्राकृत भाषा में गाथा एवं संस्कृत में मंगलाष्टक, महावीराष्टक श्लोक का सस्वर पाठ किया तथा भगवान महावीर के 2550वें निर्वाण उत्सव पर पूरे विश्व में अहिंसा की स्थापना हो इस भावना का उद्घोष किया। उद्घाटन समारोह के पश्चात् जब डॉ० इन्दु जैन ने सांसदों एवं गणमान्य अतिथियों से मुलाकात की तो सभी ने उनकी प्रस्तुति की प्रशंसा की तथा भविष्य के लिए हार्दिक शुभकामनाएं दीं। जब जैनधर्म की प्रार्थना नवीन संसद भवन में गूँज रही थी तब पूरे विश्व की जैन समाज के लिए ये बेहद ही गौरवांवित पल था। कार्यक्रम के पश्चात् जब कई न्यूज़ चैनल ने डॉ० इन्दु से इस ऐतिहासिक क्षण के अनुभव पूछे तो उन्होंने माननीय प्रधानमंत्री का हार्दिक आभार अभिनंदन करते हुए उनके मन में स्थापित सर्वधर्मसमभाव एवं भारत को विश्वगुरु बनाने की भावना की अनुमोदना की। डॉ० इन्दु ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि जैनधर्म के प्रथम तीर्थंकर आदिनाथ के ज्येष्ठ पुत्र भरत चक्रवर्ती जिनके नाम पर इस देश का नाम भारत हुआ, ऐसी पवित्र भारत भूमि पर लोकतंत्र का नया मंदिर भव्य रूप में स्थापित हो चुका है और मेरे लिए अविस्मरणीय क्षण हैं कि नवीन संसद भवन के भूमि पूजन एवं उद्घाटन समारोह दोनों ऐतिहासिक अवसरों पर मुझे जैनधर्म का प्रतिनिधित्व करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। ज्ञातव्य है कि जैनदर्शन, प्राकृत भाषा के प्रसिद्ध विद्वान प्रो. फूलचन्द जैन 'प्रेमी' एवं विदुषी डॉ. मुन्नी पुष्पा जैन,वाराणसी की सुपुत्री तथा समाजसेवी राकेश जैन की जीवनसंगिनी डॉ० इन्दु जैनधर्म-दर्शन-संस्कृति, प्राकृत संस्कृत हिन्दी- अपभ्रंश भाषा एवं साहित्य, ब्राह्मी लिपि, शाकाहार तथा भारतीय संस्कृति के संरक्षण-संवर्धन के लिए राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय रूप में निरंतर प्रचार-प्रसार का कार्य कर रहीं हैं। डॉ.  इन्दु  अनेक पुरस्कारों से सम्मानित हो चुकीं हैं  तथा कई वर्षों से "सर्वधर्म प्रार्थना" सभा में "जैनधर्म" का प्रतिनिधित्व कर रही हैं।
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