राष्ट्रीय (16/12/2013) 
जगदीशपुर, अमेठी में उमड़ा सुन्नी मुसलमानों का सैलाब
भारत के मुस्लिम मामलात में विदेशी दख़ल से नाराज़ लगभग 2 लाख मुसलमानों ने ज़ोरदार विरोध दर्ज करवाया। ऑल इंडिया उलमा एंड मशाइख़ बोर्ड आयोजित सुन्नी कांफ़्रेंस में भारी कोहरे के बावजूद लाखों मुसलमानों ने हिस्सा लिया। कांफ्रेंस में शामिल धर्मगुरुओं ने अपील की कि समाज और देश के ख़तरनाक वहाबी विचारधारा का विरोध किया जाता रहेगा।
बोर्ड के महासचिव मौलाना सैयद मुहम्मद अशरफ़ किछोछवी ने कहाकि भारत समेत पूरी दुनिया में मुसलमान 3 प्रकार के हैं। सुन्नी दुनिया में 80 प्रतिशत हैंए शिया 15 प्रतिशत हैं लेकिन संख्याबल में कम वहाबी ने सुन्नी की शक्ल में हर संसाधन पर क़ब्ज़ा कर रखा है। सीरिया और मिस्र में सुन्नी की शक्ल में जिन्होंने क़त्लोग़ारत किया वही वहाबी हैं। मुस्लिम ब्रदरहुड जो सामाजिक संगठन के तौर पर स्थापित थी बाद में वहाबी राजनीति का गढ़ बन गया। यही राजनीतिक प्रयोग भारत में किए जा रहे हैं।
उतलवा के मैदान पर अमेठीए जगदीशपुरए लखनऊए सुल्तानपुरए प्रतापगढ़ए रायबरेली समेत आस पास के 10 ज़िलों के लोग शरीक हुए। कांफ्रेंस में शामिल लोगों ने नारे लगाते हुए कहा ष्वहाबियों की ना इमामत क़ुबूल हैए ना इमामत क़ुबूल हैष्। वह कहना चाहते हैं कि सऊदी अरब प्रायोजित कट्टर वहाबी विचारधारा के लोगों के मानने वालों को ना धर्मगुरू माना जाएगा ना ही उनको हमारी राजनीतिक अगुवाई करने का अधिकार है। आपको बताते चलें कि भारत में सुन्नी समुदाय की प्रतिनिधि सभा है जो मुसलमानों की 80 प्रतिशत जनता का प्रतिनिधित्व करती है।
मौलाना अशरफ़ ने कहाकि सुन्नियों को एक होने की आवश्यकता है और संसद में प्रतिनिधित्व की आवश्यकता है ताकि मुसलमानों के नक़ली प्रतिनिधित्व को किनारे किया जा सके। मिस्र के हवाले से उन्होंने कहाकि जनता को दूसरी क्रांति के लिए क्यों बाहर आना पड़ा क्योंकि सूफ़ी देश पर वहाबियत थोपने की कोशिश की गई और मिस्र की जनता ने इसे ठुकरा दिया। उन्होंने सीरिया में वहाबी आतंकवादियों की हरकतों का ज़िक्र करते हुए कहाकि इस्लामी धर्मस्थलों को लूटने का काम सिर्फ़ वहाबी करता है। जब उन्होंने उपस्थित जनसैलाब से पूछा कि क्या भारत को भी लुटने दिया जाएगाए लाखों लोग खड़े हो गए और कहाकि वे देश को वहाबी आतंकवाद से बचाने के लिए कटिबद्ध हैं।
मौलाना सैयद मुहम्मद अशरफ़ किछोछवी ने भारतीय संविधान के धर्मनिरपेक्ष होने की तारीफ़ करते हुए कहाकि भारत में मुसलमान सबसे अधिक धार्मिक स्वतंत्रता रखता है लेकिन संविधान में अनुच्छेद 341 में आरक्षण में बाधा है जो सिर्फ़ मुसलमानों को ही नहीं बल्कि ईसाई और सिख अल्पसंख्यकों को भी वंचित कर रहा है। उन्होंने इस अनुच्छेदों में संशोधन की माँग की और कहाकि धार्मिक आधार पर आरक्षण का लाभ रोकने को हटाने की आवश्यकता है। उन्होंने राजनीतिक वायदों की आलोचना करते हुए कहाकि पार्टियों को वादे पूरे भी करने होंगे।
बोर्ड ने सभा के दौरान 17 बिंदुओं वाला ज्ञापन भी तैयार किया गया जिसमें देश में वहाबियत मिटानेए मुसलमानों को आरक्षण और मुसलमानों के कल्याणार्थ सुन्नी सूफ़ियों को प्रतिनिधित्व देने की माँग की गई। बोर्ड के राष्ट्रीय सचिव सैयद बाबर अशरफ़ ने देश में सुन्नी मुसलमानों की स्थिति बेहतर करने की माँग करते हुए दोहराया कि संवैधानिक प्रावधानों में बदलाव करना आवश्यक है ताकि मुसलमानों की स्थिति को बेहतर बनाई जा सके। मस्जिदों में विदेशी और देशविरोधी ताक़तों पर अंकुश लगाने के लिए उनकी पहचान सार्वजनिक की जाए। मुज़फ़्फनगर दंगों की आलोचना करते हुए दंगा पीड़ितों की इमदाद की माँग की गई। किछोछा शरीफ़ में हज़रत मख़दूम अशरफ़ के नाम पर विश्वविद्यालय स्थापित करने की माँग भी गई। सभा में पधारे एसडीएम ने भारत सरकार के नाम इस ज्ञापन को स्वीकार किया।
हज कमेटीए वक़्फ़ कमेटी और मुस्लिम अल्पसंख्यक कल्याण संस्थाओं में वहाबी प्रतिनिधित्व के नाम पर नक़ली प्रतिनिधित्व की आलोचना करते हुए बोर्ड की तरफ़ से कई वक्ताओं ने सरकारों पर वहाबी चेहरों को बढ़ाने के आरोप लगाए। कांफ्रेंस में बोर्ड के अध्यक्ष अजमेर दरगाह के प्रधान सैयद मेहदी मियाँए सैयद अब्दुर रब उर्फ़ चांद मियाँए मौलाना अन्सार रज़ाए सैयद सैयदुल अनवरए सैयदी मियाँए मौलाना जुनैद ख़ानए मौलाना सैयद आलमगीर अशरफ़ए मौलाना नूरुद्दीन असदक़ए शकील मिसबाहीए सैयद आमिर मसूदी और सैयद तनवीर हाशमी ने भी संबोधित किया।

प्रेस विज्ञप्ति
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