अकादमिक और उद्योग सहयोग की परिवर्तनकारी क्षमता, समय की आवश्यकता : प्रो. रविचंद्रन वी. कुलपति

प्रो. हरविंदर पोपली के कुशल नेतृत्व में इंडस्ट्री इनोवेशन एंड कमर्शियलाइज़ेशन” विषय पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन उद्घाटन दिवस में दवा अनुसंधान का मार्गदर्शन करने पहुँचें विश्व स्तरीय महानुभाव : दिल्ली फार्मास्युटिकल साइंसेज एंड रिसर्च यूनिवर्सिटी (डीपीएसआरयू) और डीपीएसआरयू इनोवेशन एंड इन्क्यूबेशन फाउंडेशन (डीआईआईएफ) के सहयोग से शुरू हुआ। उद्घाटन दिवस का विषय “इंडस्ट्री इनोवेशन एंड कमर्शियलाइज़ेशन” था, जिसने शिक्षा, उद्योग और सरकार से जुड़े विशेषज्ञों का एक विशिष्ट समूह आकर्षित किया। इस सम्मेलन ने अत्याधुनिक अनुसंधान को स्वास्थ्य सेवा में बदलने पर विचार-विमर्श के लिए एक मंच प्रदान किया। उद्घाटन समारोह: नवाचार को बढ़ावा देने के लिए एक भव्य शुरुआत अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन समारोह सुबह 10:00 बजे से 11:30 बजे तक आयोजित किया गया, जिसमें दिल्ली फार्मास्युटिकल साइंसेज एंड रिसर्च यूनिवर्सिटी (डीपीएसआरयू) और डीपीएसआरयू इनोवेशन एंड इन्क्यूबेशन फाउंडेशन (डीआईआईएफ) ने दवा अनुसंधान में नवाचार को बढ़ावा देने की अपनी प्रतिबद्धता को फिर से व्यक्त किया। प्रो. हरविंदर पोपली (को-कन्वेनर, प्रोफेसर डीपीएसआरयू और निदेशक डीआईआईएफ) ने स्वागत भाषण दिया, जो आयोजन के लिए एक दृष्टि और प्रेरणादायक मार्गदर्शन प्रदान करता है। इसके बाद प्रो. पी. के. साहू, रजिस्ट्रार, डीपीएस आर, ने कार्यक्रम सफलता के प्रति अपने उदगार व्यक्त किए,

प्रो. रविचंद्रन वी. कुलपति डीपीएसआरयू और चेयरमैन डीआईआईएफ) ने अकादमिक और उद्योग सहयोग की परिवर्तनकारी क्षमता को समय की आवश्यकता पर जोर देते हुए रचनात्मक प्रयासों पर जोर दिया।

डॉ. मनीष दिवान (हेड – बायोफाउंड्री, एनसीआर बायोटेक क्लस्टर और मिशन डायरेक्टर, मेक इन इंडिया बायोटेक सेक्टर, जैव प्रौद्योगिकी विभाग) ने कीनोट एड्रेस दिया। उन्होंने जैव प्रौद्योगिकी नवाचारों को राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा में एकीकृत करने की रणनीतिक प्राथमिकताओं पर जोर दिया। डॉ. आर.के. भारती (संयुक्त निदेशक, एमएसएमई) ने कार्यक्रम में सम्माननीय अतिथि के रूप में भाग लिया और छोटे और मध्यम उद्यमों की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम का समापन डॉ. मिनाक्षी गर्ग (सम्मेलन समन्वयक) के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ, जिन्होंने वक्ताओं और प्रतिभागियों की बहुमूल्य योगदान के लिए सराहना की। नेटवर्किंग ब्रेक: सहयोग को बढ़ावा देना एक छोटा नेटवर्किंग ब्रेक प्रतिभागियों को अपने साथियों के साथ बातचीत करने, विचारों का आदान-प्रदान करने और विभिन्न क्षेत्रों और अनुशासनों के बीच संभावित सहयोग की खोज करने का अवसर प्रदान करता है। पैनल चर्चा: स्वास्थ्य सेवा स्टार्टअप में अनुसंधान और नवाचार को जोड़ना दोपहर 12:00 बजे से 1:00 बजे तक आयोजित “स्वास्थ्य सेवा स्टार्टअप में अनुसंधान को बदलना” शीर्षक से पैनल चर्चा, दिन का मुख्य आकर्षण थी। सत्र की अध्यक्षता डॉ. अनासूया रॉय (संस्थापक, नैनोसेफ सॉल्यूशंस प्रा. लि.) ने की। पैनल में जो वक्ता शामिल थे जिसमें प्रमुख थे सुश्री आरुषि जैन, अक्कम्स ड्रग्स एंड फार्मास्युटिकल्स लि. – डॉ. पूजा शर्मा, सीईओ, एपीएआर हेल्थ – डॉ. सुब्रमण्यम नटेसन, प्रोफेसर, फार्मास्युटिक्स विभाग, एनआईपीईआर कोलकाता राजीव दुग्गल, निदेशक, स्किनजेशन फार्माकोस प्रा. लि. पैनल ने शैक्षणिक अनुसंधान को व्यावसायिक उद्यमों में बदलने की चुनौतियों और अवसरों पर चर्चा की। नवाचार-आधारित वित्तपोषण रणनीतियों और मजबूत स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र के विकास पर भी चर्चा हुई। नेटवर्किंग लंच: परस्पर संबंधों को मजबूत माध्यम बना इस नेटवर्किंग लंच ने भी प्रतिभागियों को अपने विचारों को साझा करने और नए सहयोग स्थापित करने का अवसर प्रदान किया। बेंच से बाजार तक – व्यावसायीकरण के लिए चुनौतियां डॉ. अशीष अरोड़ा (सीनियर मैनेजर, फॉर्मुलेशन, सन फार्मास्युटिकल्स) ने “बेंच से बाजार तक: प्रमुख विचार” पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने अनुसंधान से बाजार तक की यात्रा में नियामक अनुपालन और रोगी-केंद्रित दृष्टिकोण की भूमिका पर जोर दिया। सत्र 2 और 3 में पीबीपीके मॉडल और प्रोबायोटिक अनुसंधान – डॉ. राजकुमार एम. ने पीबीपीके मॉडल के माध्यम से जेनेरिक दवा विकास के लिए नए दृष्टिकोण प्रस्तुत किए। – डॉ. आर.के. राव ने गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल विकिरण चोट के उपचार में प्रोबायोटिक समाधान की भूमिका पर चर्चा की। पोस्टर प्रस्तुति और संवाद: नवाचार का प्रदर्शन अंतिम सत्र में पोस्टर प्रस्तुतियों का मूल्यांकन और ऑबर्न विश्वविद्यालय के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत हुई। दोनों कार्यक्रमों ने वैश्विक अनुसंधान साझेदारी को प्रोत्साहित किया।

पहले दिन का समापन सत्र में नवाचारों के प्रति एक मजबूत प्रतिबद्धता दिखाई दी अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के पहले दिन ने दवा अनुसंधान और व्यावसायीकरण के क्षेत्र में नवाचार और सहयोग की दिशा में एक मजबूत आधार स्थापित किया। पूरे दिन विभिन्न सत्रों, पैनल चर्चाओं और पोस्टर प्रस्तुतियों के माध्यम से प्रतिभागियों को न केवल अपने ज्ञान का विस्तार करने का मौका मिला, बल्कि विभिन्न क्षेत्रों और पृष्ठभूमि से जुड़े विशेषज्ञों के साथ सार्थक संवाद करने का भी अवसर प्राप्त हुआ। कार्यक्रम की शुरुआत एक प्रेरणादायक उद्घाटन समारोह के साथ हुई, जिसमें डीपीएसआरयू और डीआईआईएफ के शीर्ष नेतृत्व ने अपने दृष्टिकोण को साझा किया। विशेषज्ञ वक्ताओं ने अपने विचारों और अनुभवों के माध्यम से शैक्षणिक अनुसंधान को वास्तविक जीवन के अनुप्रयोगों में बदलने के महत्व पर प्रकाश डाला। उद्घाटन सत्र से लेकर पैनल चर्चा और तकनीकी प्रस्तुतियों तक, सभी सत्रों ने प्रतिभागियों को दवा अनुसंधान के बदलते परिदृश्य को समझने और उसमें सक्रिय भूमिका निभाने के लिए प्रेरित किया। पोस्टर प्रस्तुति सत्र ने नए शोधकर्ताओं और छात्रों को अपनी नवीन अवधारणाओं को प्रदर्शित करने का एक मंच प्रदान किया। विशेषज्ञों द्वारा इन प्रस्तुतियों का मूल्यांकन न केवल छात्रों के लिए प्रोत्साहन का स्रोत था, बल्कि उन्हें अपने कार्य को और बेहतर बनाने के लिए उपयोगी प्रतिक्रिया भी मिली। इसी प्रकार, डीपीएसआरयू के संकाय और ऑबर्न विश्वविद्यालय के प्रतिनिधियों के बीच संवाद ने अंतरराष्ट्रीय सहयोग और शोध में साझेदारी के नए द्वार खोले।

पहले दिन के समापन पर, डीपीएसआरयू के मीडिया समन्वयक डॉ. मधु गुप्ता और उनकी टीम, जिसमें डॉ. प्रवीण, डॉ. ब्यूटी, और सुश्री रुचि, शामिल थीं, ने ब्यूरो चीफ विजय गौड़ को जानकारी दी कि सम्मेलन ने अपने उद्देश्यों को सफलतापूर्वक पूरा किया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि पहले दिन ने अकादमिक शोध, उद्योग की आवश्यकताओं और सरकारी नीतियों के बीच तालमेल बिठाने के लिए एक प्रभावशाली मंच प्रदान किया। सम्मेलन के पहले दिन ने न केवल डीपीएसआरयू की विशेषज्ञता और नेतृत्व को उजागर किया, बल्कि इसे एक ऐसे केंद्र के रूप में स्थापित किया जो वैश्विक अनुसंधान और नवाचार के प्रयासों को प्रोत्साहित करता है। प्रतिभागियों ने इस प्रेरणादायक शुरुआत की सराहना की और दूसरे दिन की गतिविधियों और चर्चाओं के लिए उत्सुकता जताई।
नई दिल्ली से ब्यूरो चीफ विजय गौड़ की विशेष रिपोर्ट

  • Leema

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