हर साल की तरह इस वर्ष भी स्वामिनारायण अक्षरधाम, दिल्ली में अन्नकूट और श्री गोवर्धन पूजा का उत्सव भव्यता और श्रद्धा के साथ मनाया गया। हजारों श्रद्धालुओं ने पूरे उत्साह के साथ इस पवित्र आयोजन में भाग लिया। गुरु परम पूज्य महंत स्वामी महाराज की प्रेरणा से देश-विदेश के 1600 से भी अधिक स्वामिनारायण मंदिरों में यह पर्व मनाया गया।
दिल्ली अक्षरधाम में पूज्य डॉक्टर स्वामीजी की उपस्थिति में प्रातः 10 बजे गोवर्धन पूजा की गई। पूजा स्थल पर भगवान श्रीकृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत उठाने की कथा को दर्शाती प्रतिकृति सजाई गई, जहां वैदिक मंत्रोच्चार के बीच भक्तों ने प्रभु के प्रति अपनी आस्था और कृतज्ञता व्यक्त की।
कथानुसार, 5000 साल पहले भगवान श्रीकृष्ण ने बालक रूप में गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी अंगुली पर उठाकर इंद्र के प्रकोप से गोकुलवासियों की रक्षा की थी। दीपावली के बाद शुक्ल पक्ष की पहली तिथि को मनाए जाने वाले इस पर्व के माध्यम से भगवान के प्रति अपनी श्रद्धा प्रकट की जाती है।
सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ मंदिर परिसर में उमड़ पड़ी। विशेष रूप से बनाई गई गोवर्धन पर्वत की प्रतिकृति, रंग-बिरंगी पारंपरिक रंगोलियाँ और भक्तिमय माहौल ने इस उत्सव को और भी अलौकिक बना दिया। इस अवसर पर पूज्य डॉक्टर स्वामीजी ने कहा, “गुजराती कैलेंडर के अनुसार कार्तिक मास से नूतन वर्ष का आरंभ होता है। इस पावन पर्व पर आप सभी को शुभकामनाएँ। गुरु महंतस्वामी महाराज के चरणों में प्रार्थना है कि सभी के जीवन में शुभ और लाभ की वृद्धि हो, और विश्व में शांति और सुलह स्थापित हो।”
श्रद्धालुओं के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र रहा भगवान के समक्ष अर्पित 1556 से अधिक सात्विक शाकाहारी व्यंजनों का भोग। ये सभी व्यंजन स्वयंसेवकों और हरिभक्तों ने भगवान के प्रति अपने प्रेम और श्रद्धा से तैयार किए थे। वरिष्ठ संत डॉक्टर स्वामीजी ने अपने संदेश में भक्तों को सौहार्द और प्रभु प्रेम में जीने का उपदेश दिया।
दिनभर भगवान के अन्नकूट दर्शन और इस पवित्र उत्सव का लाभ उठाने के लिए श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। इस आयोजन ने “तेरा तुझको अर्पण” का संदेश दिया – जीवन की सच्ची खुशी प्रभु की कृपा को अर्पण करने में है।