दिल्ली राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (डीएसएलएसए) ने 14 सितंबर, 2024 को राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण के तहत वर्ष 2024 की तीसरी राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया। यह महत्वपूर्ण पहल दिल्ली के जिला न्यायालय परिसरों, दिल्ली उच्च न्यायालय, स्थायी लोक अदालतों, ऋण वसूली न्यायाधिकरणों और उपभोक्ता आयोगों में सफलतापूर्वक संपन्न हुई। यह लोक अदालत न्याय को सभी तक पहुँचाने के उद्देश्य को और मजबूत करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुई है।
राष्ट्रीय लोक अदालत में विभिन्न प्रकार के विवादों का निपटान किया गया, जिनमें परक्राम्य लिखत अधिनियम की धारा 138, दीवानी मामले, मोटर दुर्घटना दावा, बैंक वसूली, वैवाहिक विवाद (तलाक के मामलों को छोड़कर), श्रम विवाद, भूमि अधिग्रहण और यातायात चालानों के मामले शामिल थे। लोक अदालत की कार्यप्रणाली ने विवादों के शीघ्र और सौहार्दपूर्ण समाधान को प्राथमिकता दी, जिससे न्यायिक प्रणाली पर बोझ कम हुआ।
डीएसएलएसए के विशेष सचिव श्री नवीन गुप्ता ने दिल्ली उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश और डीएसएलएसए के कार्यकारी अध्यक्ष न्यायमूर्ति श्री मनमोहन के नेतृत्व में चल रहे प्रयासों की सराहना की। लोक अदालत की समावेशी प्रकृति ने वरिष्ठ नागरिकों, दिव्यांगों, ट्रांसजेंडरों, एसिड अटैक पीड़ितों और पूर्वोत्तर क्षेत्र के लोगों को भी शामिल किया।
दिल्ली के विभिन्न न्यायालय परिसरों में कुल 345 लोक अदालत पीठों का गठन किया गया, जिनमें 2,73,367 मामलों को संदर्भित किया गया। इनमें से 1,80,000 ट्रैफिक चालान और 60,160 लंबित मामले थे। कुल मिलाकर 1,65,152 मामलों का निपटारा किया गया, जिसमें निपटान राशि 3543.81 करोड़ रुपये रही।
सबसे उल्लेखनीय निपटान में साउथ वेस्ट डीएलएसए, द्वारका में एक मोटर दुर्घटना दावा मामले में 97.50 लाख रुपये और साकेत न्यायालय में 3.30 करोड़ रुपये का निपटारा शामिल रहा।
इस राष्ट्रीय लोक अदालत ने न केवल लंबित मामलों के बोझ को कम किया, बल्कि कई लोगों को शीघ्र और सस्ते न्याय का अवसर भी प्रदान किया।