प्रयागराज। पत्थरचट्टी रामबाग से 9 जनवरी को निकली जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी महाराज की ऐतिहासिक पेशवाई ने शहर को अध्यात्म और भक्ति के रंग में रंग दिया। इस भव्य पेशवाई में संत-महात्माओं का संगम, ढोल-ताशे, डमरू की गूंज और पारंपरिक नृत्य मुख्य आकर्षण रहे।
108 स्थानों पर शंकराचार्य जी का स्वागत किया गया, जहाँ हजारों श्रद्धालु उनका दर्शन करने के लिए खड़े थे। रास्तों पर फूलों की वर्षा, शंखनाद और जयघोष ने पूरे माहौल को दिव्यता से भर दिया। पेशवाई पत्थरचट्टी रामबाग से चलकर मलाका सब्जी मंडी, मोती महल चौराहा, चमेलीबाई धर्मशाला, जानसेनगंज, चौक घंटाघर, बहादुरगंज, कीटगंज होते हुए बांध के रास्ते कुंभ मेले के शंकराचार्य शिविर में पहुँची।
शंकराचार्य जी ने इस पेशवाई को गौ माता को राष्ट्र माता घोषित करने के उद्देश्य को समर्पित किया। उन्होंने अपने संदेश में कहा कि गौ माता भारतीय संस्कृति की आत्मा हैं और उनका संरक्षण हर भारतीय का धर्म है।
पेशवाई के दौरान भक्ति का ऐसा ज्वार उमड़ा कि पूरे रास्ते यातायात थम गया और प्रशासन को व्यवस्था संभालने में खासी मशक्कत करनी पड़ी। श्रद्धालुओं के बीच शंकराचार्य जी का स्वागत करने की होड़ दिखाई दी, जिससे शहर का हर कोना भक्ति के रंग में डूबा नजर आया।
यह पेशवाई न केवल आध्यात्मिकता का प्रतीक रही, बल्कि यह प्रयागराज के इतिहास में एक नई छवि बनाकर गई। शंकराचार्य जी की इस ऐतिहासिक यात्रा ने श्रद्धालुओं के दिलों में अमिट छाप छोड़ दी।