
भोपाल। भारतीय जन संचार संस्थान (आईआईएमसी) के पूर्व महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी का मानना है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) मीडिया उद्योग में क्रांतिकारी बदलाव ला रहा है। वनस्थली विद्यापीठ, राजस्थान में मीडिया विद्यार्थियों से संवाद के दौरान उन्होंने कहा कि एआई ने न केवल मीडिया की कार्यप्रणाली को सरल बनाया है, बल्कि सामग्री निर्माण, उपभोक्ता डेटा विश्लेषण और पसंद के अनुमान को भी अधिक सटीक बना दिया है।
प्रो. द्विवेदी ने कहा कि एआई संचालित उपकरण कंटेंट क्रिएटर्स का समय और लागत बचा रहे हैं। एल्गोरिदम उपभोक्ताओं की सर्च और ब्राउजिंग आदतों का विश्लेषण कर व्यक्तिगत विज्ञापन तैयार कर रहे हैं। हालांकि, फेक न्यूज, डीपफेक टेक्नोलॉजी और मानव संसाधन विस्थापन जैसी चुनौतियों को समझते हुए हमें इसके सार्थक उपयोग की दिशा में सतर्कता बरतनी होगी।
भारत एआई के बाजार में तेजी से आगे बढ़ रहा है और 2025 तक इसका मूल्य 12 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की संभावना है। इस क्षेत्र में वार्षिक वृद्धि दर 20 से 25 प्रतिशत के आसपास है, जबकि इस साल के अंत तक 30 प्रतिशत अधिक पेशेवर इस क्षेत्र में शामिल हो सकते हैं।
प्रो. द्विवेदी ने कहा कि भारतीय भाषाओं का यह अमृतकाल है, जहां डिजिटल मीडिया में इनकी मांग तेजी से बढ़ रही है। भविष्य में 60 प्रतिशत से अधिक कंटेंट भारतीय भाषाओं में उपलब्ध होगा, जिससे क्षेत्रीय मीडिया कंपनियों को वैश्विक पहचान मिलेगी। उन्होंने सरकार से नैतिकता, डेटा सुरक्षा, फेक न्यूज और मीडिया पारदर्शिता के क्षेत्र में ठोस कदम उठाने का आग्रह किया।
कार्यक्रम के प्रारंभ में मीडिया और जनसंचार विभाग की अध्यक्ष डॉ. रजनी मुद्गल ने प्रो. द्विवेदी का स्वागत किया। इस अवसर पर विभाग के प्राध्यापक डॉ. प्रियदर्शिनी किरण, गुलशन कुमार, अंजलि गुप्ता और गजाजन खचोरिया भी उपस्थित रहे।