लखनऊ: सीबीआई (केंद्रीय जांच ब्यूरो) की विशेष अदालत, लखनऊ ने यूको बैंक, लखनऊ और कानपुर शाखा के प्रबंधक और तत्कालीन सहायक प्रबंधक को सार्वजनिक धन के दुरुपयोग के मामले में 3 से 7 साल की सख्त कैद और कुल 8.25 लाख रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई है।
विशेष न्यायाधीश ने इस मामले में दो आरोपपत्रों के आधार पर दोषी ठहराए गए अभियुक्तों के खिलाफ अलग-अलग सजाएं सुनाईं। पहले आरोपपत्र में, यूको बैंक, हॉल्सी रोड, कानपुर के तत्कालीन सहायक प्रबंधक श्री के.के. मेहता को 7 साल की सख्त कैद और 4.5 लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई गई। वहीं, यूको बैंक, आईटी कॉलेज शाखा, लखनऊ के तत्कालीन प्रबंधक श्री विजय कुमार को 3 साल की सख्त कैद और 50,000 रुपये जुर्माने की सजा दी गई। इन पर आरोप था कि इन्होंने आपराधिक षड्यंत्र रचते हुए सार्वजनिक धन का दुरुपयोग किया।
दूसरे आरोपपत्र के अनुसार, श्री के.के. मेहता को धोखाधड़ी और जालसाजी के आरोपों में 7 साल की सख्त कैद और 3.25 लाख रुपये जुर्माने की सजा दी गई। इस प्रकार, दोनों आरोपपत्रों के तहत दोनों अभियुक्तों पर कुल 8.25 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया।
सीबीआई ने यह मामला 28 सितंबर 2005 को यूको बैंक, क्षेत्रीय कार्यालय, लखनऊ के एजीएम द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत के आधार पर दर्ज किया था। इसमें आरोप लगाया गया था कि अभियुक्तों ने आपस में और अन्य अज्ञात व्यक्तियों के साथ मिलकर जून 1997 से नवंबर 2004 के बीच फर्जी एफडीआर (फिक्स्ड डिपॉजिट रसीद) तैयार कीं और उनका दुरुपयोग करते हुए बैंक से ऋण राशि का गबन किया।
जांच में यह सामने आया कि श्री के.के. मेहता और श्री विजय कुमार ने आपराधिक षड्यंत्र के तहत दो अलग-अलग ऋण 50,000 रुपये और 60,000 रुपये के फर्जी एफडीआर के आधार पर यूको बैंक की चंद्रावल शाखा, लखनऊ से निकाले थे। साथ ही, श्री मेहता ने अपने और अपने परिवार के सदस्यों के नाम पर 4,16,000 रुपये के नौ अलग-अलग ऋण फर्जी एफडीआर के आधार पर प्राप्त किए और इन ऋणों को गलत तरीके से समायोजित किया।
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