दिल्ली पुलिस की साइबर थाने की टीम, नॉर्थ ज़िला ने विदेश में नौकरी और वीज़ा दिलाने के नाम पर लोगों से लाखों की ठगी करने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया है। पुलिस ने तीन दिन तक लगातार यूपी के अलग-अलग इलाकों में 1000 किलोमीटर का सफ़र तय कर दो आरोपियों को गिरफ्तार किया। इनके पास से मोबाइल फोन, पासबुक, चेकबुक, डेबिट कार्ड और भारतीय व वियतनामी सिम कार्ड बरामद किए गए हैं। पुलिस ने आरोपियों के बैंक खातों को फ्रीज़ कर पीड़ित की करीब 78,920 रुपये की राशि होल्ड कराई है।
मामला उस वक्त सामने आया जब शिकायतकर्ता धर्मेंद्र, निवासी लक्ष्मी विहार, बुराड़ी ने NCRP पोर्टल पर ऑनलाइन शिकायत दर्ज कराई। धर्मेंद्र ने बताया कि उन्होंने हॉस्पिटैलिटी और टूरिज़्म मैनेजमेंट में कोर्स किया था और नौकरी की तलाश में कई व्हाट्सऐप ग्रुप्स से जुड़े थे। इन्हीं में से एक ग्रुप “वर्क इन्फॉर्मेशन” पर उन्हें एक मैसेज मिला। आरोपी ने खुद को मयंक पांडे बताते हुए ऑस्ट्रेलिया में नौकरी और वीज़ा दिलाने का झांसा दिया। पहले वियतनाम वीज़ा दिलाने के नाम पर ₹10,000 और फिर ₹26,000 लिए गए। इसके बाद आरोपी ने ऑस्ट्रेलियाई वीज़ा दिलाने के लिए 3,000 USDT (क्रिप्टोकरेंसी) की शर्त रखी। शिकायतकर्ता ने आरोपियों को कुल ₹3,12,000 रुपये ट्रांसफर कर दिए, लेकिन वीज़ा न तो मिला और न ही पैसे वापस हुए। इसके बाद शिकायतकर्ता को ब्लॉक कर दिया गया।
पुलिस ने FIR दर्ज कर जांच शुरू की। तकनीकी जांच में व्हाट्सऐप, गूगल LERS, IP लॉग्स, ईमेल और लगभग 50 मोबाइल नंबरों की CDR एनालिसिस की गई। लंबे समय तक निगरानी और मनी ट्रेल खंगालने के बाद पुलिस टीम को आरोपियों का लोकेशन एटा, यूपी में मिला। वहां छापेमारी कर 37 वर्षीय साहदेव सिंह, जो इस गिरोह का मास्टरमाइंड है, को गिरफ्तार किया गया। उसकी निशानदेही पर उसकी सहयोगी और प्रेमिका, 37 वर्षीय महिला आरोपी को भी पकड़ा गया।
पूछताछ में साहदेव सिंह ने बताया कि वह कई बार विदेश जाकर नौकरी की तलाश कर चुका था लेकिन असफल रहा। वहीं उसकी मुलाकात वियतनाम में एक एजेंट विजय से हुई, जो फर्जी नौकरियों के नाम पर लोगों को ठगता था। इसके बाद साहदेव ने भी ठगी का धंधा शुरू कर दिया। उसने वियतनाम और मलेशिया के मोबाइल नंबर लेकर कई फर्जी नामों जैसे मयंक पांडे, राहुल कुमार और अजय यादव से काम करना शुरू किया। वह व्हाट्सऐप ग्रुप्स पर विज्ञापन डालता और इच्छुक लोगों को वीज़ा दिलाने का झांसा देकर मोटी रकम ऐंठ लेता।
दिल्ली पुलिस अब बरामद मोबाइल फोन, सिम और दस्तावेज़ों का डेटा खंगाल रही है ताकि अन्य पीड़ितों की भी पहचान की जा सके। फिलहाल मामले की गहन जांच जारी है।







