नई दिल्ली, 20 नवंबर 2024: एनडीटीएफ शिक्षक संगठन के तत्वावधान में, हिन्दू कॉलेज के भौतिकी विभाग में कार्यरत और एनडीटीएफ के उपाध्यक्ष रहे प्रोफेसर प्रद्युम्न राणा की श्रद्धांजलि सभा का आयोजन रामजस कॉलेज के सभागार में हुआ। इस अवसर पर दिल्ली विश्वविद्यालय के सैंकड़ों शिक्षक, शोधार्थी और प्रोफेसर राणा के परिवार के सदस्य उपस्थित थे और उन्होंने उनके योगदान और बहुमुखी प्रतिभा को श्रद्धांजलि अर्पित की।
श्रद्धांजलि सभा में एनडीटीएफ एवं डूटा के अध्यक्ष प्रोफेसर अजय कुमार भागी ने प्रोफेसर राणा के साथ बिताए गए पलों को याद करते हुए कहा, “प्रोफेसर प्रद्युम्न राणा एक जिंदादिल और बहुमुखी प्रतिभा के धनी व्यक्तित्व थे। वे डूटा के सच्चे सिपाही थे और उनके नेतृत्व में एनडीटीएफ ने संगठन को मजबूती से स्थापित किया।” उन्होंने यह भी कहा कि प्रोफेसर राणा के नेतृत्व में संगठन ने फ्रंट से काम करने की दिशा में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए।
प्रोफेसर इंद्रमोहन कपाही ने अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा, “मैंने अपना अच्छा मित्र और शिष्य खो दिया है। वे हमेशा हमारे दिलों में बने रहेंगे।” रामजस कॉलेज के प्राचार्य प्रोफेसर अजय अरोड़ा ने अपने मित्र की यादें साझा करते हुए कहा, “हम दोनों का रिश्ता सिर्फ मित्र का नहीं, बल्कि सहपाठी का भी था। जब भी वे मिलते थे, कभी ऐसा नहीं लगता था कि वे इतनी जल्दी हमसे विदा ले लेंगे।”
श्रद्धांजलि सभा में प्रोफेसर नरेश कक्कड़, प्रोफेसर अवनिजेश अवस्थी, प्रोफेसर रसाल सिंह, प्रोफेसर शंभु नाथ दूबे, डॉ. राजबीर शर्मा, प्रोफेसर हरीश खन्ना, डॉ. शशिशेखर सिंह, डॉ. हंसराज सुमन, प्रोफेसर मोनिका, और डॉ. चमन सिंह जैसे शिक्षकों ने प्रोफेसर राणा के साथ बिताए गए कीमती पलों को याद किया और उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की।
प्रोफेसर राणा के परिवार के सदस्य भी इस श्रद्धांजलि सभा में शामिल हुए। उनकी बहन श्रीमती सविता जी ने कहा, “मैंने अपने पितासमान भाई को खो दिया है। वे बहुत मिलनसार और दूसरों की मदद करने वाले इंसान थे। उनके जाने से परिवार में जो रिक्तता आई है, उसकी भरपाई कभी नहीं हो सकती।”
एनडीटीएफ के सचिव और डीयू ईसी के सदस्य प्रोफेसर सुनील शर्मा ने कहा, “प्रोफेसर राणा का मुझसे विशेष लगाव था। उम्र में काफी अंतर होने के बावजूद, उन्होंने मुझे हमेशा मित्रवत व्यवहार किया और मुझे आगे बढ़ने की प्रेरणा दी।” उन्होंने श्रद्धांजलि सभा में उपस्थित सभी शिक्षकों, शोधार्थियों और परिवार के सदस्यों का धन्यवाद ज्ञापित किया।
यह श्रद्धांजलि सभा प्रोफेसर प्रद्युम्न राणा के योगदान और उनकी अविस्मरणीय छाप को याद करते हुए एक भावुक और प्रेरणादायक आयोजन साबित हुई।