भारत अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेले (IITF) के 43वें संस्करण में शुक्रवार को ‘ओडिशा राज्य दिवस’ का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम नई दिल्ली के भारत मंडपम में हुआ, जिसमें ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण मांझी मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह मेला ओडिशा की कला, संस्कृति और परंपराओं को देश-दुनिया तक पहुंचाने का शानदार मौका है। उन्होंने कहा, “ओडिशा के हस्तशिल्प और हथकरघा आज पूरी दुनिया में प्रसिद्ध हो चुके हैं। इस मेले में लोग ओडिशा की कला और शिल्प को करीब से जान रहे हैं।”
मुख्यमंत्री ने बताया कि 2036 में ओडिशा अलग राज्य के रूप में बनने की 100वीं वर्षगांठ मनाएगा। इसके लिए राज्य सरकार “नए और समृद्ध ओडिशा” के निर्माण की दिशा में लगातार काम कर रही है। उन्होंने यह भी बताया कि ओडिशा में उद्योगों के लिए मजबूत बुनियादी ढांचा है और सरकार ने खास नीतियां बनाई हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा, “जनवरी 2025 में ‘मेक इन ओडिशा’ कॉन्क्लेव का आयोजन किया जाएगा, जिसमें यह चर्चा होगी कि राज्य में और नए उद्योग कैसे लगाए जा सकते हैं।”
मुख्यमंत्री ने मेले में लगे ‘ओडिशा मंडप’ का दौरा किया। यहां मिशन शक्ति की महिलाओं द्वारा बनाए गए हस्तशिल्प, आदिवासी कलाकृतियां और ग्रामीण उत्पादों के स्टॉल सजाए गए थे। मंडप की थीम ‘विकसित भारत, विकसित ओडिशा’ पर आधारित थी, जिसे मुख्यमंत्री ने खूब सराहा।
मुख्यमंत्री ने हर स्टॉल पर जाकर विक्रेताओं से बातचीत की। उन्होंने एक जनरल स्टोर के स्टॉल पर पूछा कि मेले में कैसा अनुभव हो रहा है और लोगों की प्रतिक्रिया कैसी है। विक्रेताओं ने बताया कि उन्हें मेले में शानदार प्रतिक्रिया मिल रही है और ओडिशा के उत्पादों को खूब पसंद किया जा रहा है।
ओडिशा राज्य दिवस के मौके पर सांस्कृतिक कार्यक्रम भी हुए। प्रसिद्ध ओडिसी नृत्य गुरु शाश्वत जोशी और उनके साथियों ने नृत्य-नाटिका पेश की।
कालाहांडी के वृंदावन कल्चरल इंस्टीट्यूट ने घूमुरा नृत्य और बोलांगीर की दुलदुली कला परिषद ने घुडुका नृत्य प्रस्तुत किया। प्रसिद्ध गायिका सुष्मिता दास ने फ्यूजन म्यूजिक पेश कर समां बांध दिया। दिल्ली के दर्शकों ने इन सांस्कृतिक प्रस्तुतियों का खूब आनंद लिया।
इस कार्यक्रम ने ओडिशा की कला, संस्कृति और विकास के सपने को एक नई पहचान दी।