1 दिसंबर 2024 को, नेशनल ओडीआर डे 2024 का आयोजन भारतीय मध्यस्थता और सुलह संस्थान (IIAM) द्वारा नई दिल्ली के इंडिया हैबिटेट सेंटर में किया गया। इस कार्यक्रम का संचालन श्री अनिल ज़ेवियर (अध्यक्ष, IIAM) और सुश्री इरम माजिद (निदेशक, IIAM) के नेतृत्व में हुआ। इस नेशनल ओडीआर डे सम्मेलन में कानूनी विशेषज्ञों, एडीआर प्रैक्टिशनर्स, विद्वानों और उद्योग जगत के नेताओं का संगम हुआ, जो भारत और वैश्विक स्तर पर वैकल्पिक विवाद समाधान (ADR) और ऑनलाइन विवाद समाधान (ODR) के बदलते परिदृश्य पर चर्चा के लिए एकत्र हुए।
उद्घाटन सत्र
सम्मेलन की शुरुआत मुख्य अतिथि श्री न्यायमूर्ति सूर्यकांत (न्यायाधीश, भारत के सर्वोच्च न्यायालय), श्री चेतन शर्मा (एएसजी), श्री राजीव मणि (सचिव, विधि और न्याय मंत्रालय), श्री अनिल ज़ेवियर (अध्यक्ष, IIAM) और सुश्री इरम माजिद (निदेशक, IIAM) द्वारा दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुई। इस सम्मेलन में कई पहलों का आधिकारिक शुभारंभ किया गया, जिनमें पीसगेट (एक ऑनलाइन विवाद समाधान मंच), मीडिएटर्स काउंसिल ऑफ इंडिया, गेटवे टू जस्टिस प्रोजेक्ट (G2J) और इंडिया इंटरनेशनल सेंटर फॉर एडवांस्ड एडीआर रिसर्च (IICAAR) शामिल हैं। साथ ही, पीसगेट, एक ऑनलाइन विवाद समाधान मंच, का प्रदर्शन भी किया गया।
सम्मेलन में कई महत्वपूर्ण पहलों का आधिकारिक शुभारंभ किया गया:
पीसगेट (PEACEGATE): एक एआई-संचालित ऑनलाइन विवाद समाधान (ODR) मंच, जो वार्ता, मध्यस्थता और पंचाट के लिए उपकरण प्रदान करता है। लाइव डेमो में इसके नवाचारी फीचर्स, जैसे “पीगी” (Peegee) नामक एआई सहायक, जो उपयोगकर्ताओं को समाधान के तरीकों में मार्गदर्शन करता है, का प्रदर्शन किया गया।
मीडिएटर्स काउंसिल ऑफ इंडिया (MEDIATORS COUNCIL OF INDIA):
एक ऐसा मंच जो मध्यस्थों को एक पेशेवर निकाय के तहत एकत्र कर एक सशक्त मध्यस्थता संस्कृति को बढ़ावा देता है।
गेटवे टू जस्टिस (G2J): कानून स्कूलों को न्याय वितरण केंद्रों में बदलने की पहल, जो छात्रों को एडीआर में व्यावहारिक प्रशिक्षण और अनुभव प्रदान करती है।
इंडिया इंटरनेशनल सेंटर फॉर एडवांस्ड एडीआर रिसर्च (IICAAR): एडीआर में अनुसंधान को बढ़ावा देने और वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं को आकार देने के लिए समर्पित।
पैनल चर्चा
पैनल 1: मध्यस्थता में सुधार – दक्षता और प्रभावशीलता को बढ़ाने के उपाय
माननीय श्री न्यायमूर्ति के.वी. विश्वनाथन (अध्यक्ष) ने इस पैनल चर्चा की शुरुआत की और विषय को रोचक तरीके से आगे बढ़ाया। अन्य प्रमुख व्यक्तित्व जैसे श्री तेजस कार्य (पार्टनर और हेड ऑफ आर्बिट्रेशन,Shardul Amarchand Mangaldas), श्री सिद्धार्थ सेठी (एओआर, भारत का सर्वोच्च न्यायालय), श्री अमित जॉर्ज (वकील, दिल्ली उच्च न्यायालय), श्री मोहित दुबे (उप निदेशक, रक्षा मंत्रालय), और सुश्री इरम माजिद (मॉडरेटर) ने भारत में मध्यस्थता की दक्षता और प्रभावशीलता को बढ़ाने के लिए आवश्यक सुधारों पर विचार-विमर्श किया।
उनकी चर्चा में आर्बिट्रेशन एंड कंसिलिएशन (संशोधन) विधेयक, 2024 और भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा हाल ही में दिए गए CORE निर्णय पर गहन विश्लेषण शामिल था। चर्चा का केंद्र तकनीक के उपयोग से मध्यस्थता प्रक्रिया में तेजी लाने और निष्पक्षता एवं तटस्थता सुनिश्चित करने के लिए मजबूत ढांचे की आवश्यकता पर भी था।
पैनल 2: सामाजिक न्याय के लिए एक उपकरण के रूप में मध्यस्थता – मध्यस्थता अधिनियम और वैश्विक मानक कैसे समुदायों को सशक्त बना रहे हैं
इस सत्र में “मध्यस्थता अधिनियम, 2023” की भूमिका और भारत में मध्यस्थता की प्रासंगिकता को समझाया गया। इस चर्चा का नेतृत्व माननीय श्री न्यायमूर्ति अनीश दयाल (न्यायाधीश, दिल्ली उच्च न्यायालय) (अध्यक्ष) ने किया। अन्य प्रमुख वक्ताओं में श्री जे.पी. सेंघ (वरिष्ठ अधिवक्ता, दिल्ली उच्च न्यायालय एवं मध्यस्थ), श्री अवनीत सिंह अरोड़ा (निदेशक, विधि और न्याय मंत्रालय), श्री अजीत मिश्रा (मध्यस्थ एवं महाप्रबंधक, डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड), सुश्री मानिनी बरार (स्वतंत्र प्रैक्टिशनर/आर्बिट्रेटर, एब्रिज चैंबर्स), और सुश्री इरम माजिद (निदेशक, IIAM) (मॉडरेटर) शामिल थे।
वक्ताओं ने चर्चा को आगे बढ़ाते हुए इस बात पर जोर दिया कि मध्यस्थता को केवल पारिवारिक मामलों तक सीमित नहीं किया जा सकता, बल्कि इसके दायरे को बढ़ाकर इसे अन्य विवादों जैसे कि औद्योगिक अनुबंध, संपत्ति अनुबंध, बौद्धिक संपदा आदि में भी शामिल करना चाहिए। वक्ताओं ने मध्यस्थता के माध्यम से विवादों को सुलझाने और सामाजिक सामंजस्य को बढ़ावा देने में इसकी भूमिका के प्रभावी उदाहरण भी साझा किए।
समझौता ज्ञापन (MOU) हस्ताक्षर समारोह
गेटवे टू जस्टिस पहल के तहत केंद्रीय विधि महाविद्यालय सलेम, एलायंस स्कूल ऑफ लॉ, लॉयड लॉ कॉलेज, स्कूल ऑफ लॉ मानव रचना यूनिवर्सिटी, जीडी गोयनका यूनिवर्सिटी और स्कूल ऑफ लॉ क्राइस्ट (डीम्ड टू बी यूनिवर्सिटी) पुणे के साथ समझौता ज्ञापनों (MOUs) पर हस्ताक्षर करना एक महत्वपूर्ण उपलब्धि थी। इस परियोजना का उद्देश्य कानून स्कूलों को सुलभ विवाद समाधान के केंद्रों में बदलना है, साथ ही छात्रों को वैकल्पिक विवाद समाधान (ADR) प्रथाओं का व्यावहारिक अनुभव प्रदान करना है।
पीसगेट डेमो
अंत में, श्री अनिल ज़ेवियर ने पीसगेट, एक एआई-संचालित ऑनलाइन विवाद समाधान (ODR) मंच का लाइव प्रदर्शन किया, जो वार्ता, मध्यस्थता और पंचाट के लिए उपकरण प्रदान करता है। इस लाइव डेमो में इसके नवाचारी फीचर्स, जैसे “पीगी” (Peegee) नामक एआई सहायक, जो उपयोगकर्ताओं को समाधान विधियों के माध्यम से मार्गदर्शन करता है, का प्रदर्शन किया गया।
ओडीआर डे 2024 ने भारत में विवाद समाधान के भविष्य को पुनर्परिभाषित करने में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर स्थापित किया। नवोन्मेषी पहलों के शुभारंभ के साथ, इसने एडीआर और ओडीआर प्रथाओं में तकनीक का उपयोग और नवाचार को बढ़ावा देने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को प्रदर्शित किया।