लखपति दीदी’ पहल को बढ़ावा, सरस आजीविका मेला का उद्घाटन

नई दिल्ली: भारत मंडपम के हॉल नंबर 9 और 10 में आयोजित 43वें विश्व व्यापार मेले के दौरान केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा आयोजित सरस आजीविका मेला 2024 का उद्घाटन केंद्रीय ग्रामीण विकास एवं संचार राज्य मंत्री डॉ. चंद्र शेखर पेम्मासानी ने किया। उन्होंने कहा कि इस मेले में ग्रामीण महिलाओं ने अपनी रचनात्मकता का अद्वितीय प्रदर्शन किया है। यह मेला ग्रामीण भारत की महिलाओं के आत्मनिर्भरता और सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

डॉ. पेम्मासानी ने उद्घाटन भाषण में कहा, “सरस आजीविका मेला न केवल ग्रामीण महिलाओं को उनके उत्पादों को बाजार तक पहुंचाने का अवसर प्रदान करता है, बल्कि उन्हें बेहतर विपणन और पैकेजिंग तकनीकों में भी प्रशिक्षित करता है। यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘लखपति दीदी’ अभियान को साकार करने का एक महत्वपूर्ण कदम है और ‘आत्मनिर्भर भारत’ तथा ‘वोकल फॉर लोकल’ की सरकारी पहलों का उत्कृष्ट उदाहरण है।”

इस अवसर पर केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय के अपर सचिव चरणजीत सिंह, संयुक्त सचिव स्वाति शर्मा, निदेशक मोलीश्री, सीएल कटारिया, आलोक जवाहर सहित मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहे।

मेला 14 नवंबर से 27 नवंबर 2024 तक चलेगा, जिसमें 31 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 300 से अधिक स्वयं सहायता समूहों की महिलाएं भाग ले रही हैं। हॉल नंबर 9 और 10 में 150 से अधिक स्टॉल लगाए गए हैं, जिनमें विभिन्न प्रकार के उत्पाद प्रदर्शित किए गए हैं। डॉ. पेम्मासानी ने स्टॉलों का निरीक्षण किया और महिलाओं को उत्साहवर्धन किया। इन स्टॉलों में आंध्र प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, गुजरात, मध्य प्रदेश, राजस्थान, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश की रेशम और सूती साड़ियाँ, झारखंड की तसर साड़ियाँ, मध्य प्रदेश की चंदेरी साड़ी, जम्मू-कश्मीर की पश्मीना शॉल, असम और आंध्र प्रदेश के लकड़ी के हस्तशिल्प, और हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के हस्तनिर्मित उत्पाद प्रमुख हैं।

मेले में उत्पाद पैकेजिंग, संचार और बी2बी मार्केटिंग पर कार्यशालाएं भी आयोजित की जा रही हैं ताकि ग्रामीण महिलाएं अपने उत्पादों को मुख्यधारा के बाजार में सफलतापूर्वक उतार सकें। यह मेला पारंपरिक कला और शिल्प को प्रोत्साहित करने के साथ-साथ स्थानीय उत्पादों की मांग को भी बढ़ावा देता है।

सरस आजीविका मेला में बड़ी संख्या में आगंतुक पहुंचे, जिन्होंने जमकर खरीदारी की और ग्रामीण कलाओं की सराहना की। खाद्य उत्पादों, मसालों और अचार के स्टॉल्स पर भी लोगों ने विशेष रुचि दिखाई।

1999 से आयोजित सरस आजीविका मेला, ग्रामीण महिलाओं को रोजगार के नए अवसर प्रदान करने और उन्हें शहरी बाजार से जोड़ने का एक सशक्त माध्यम बन चुका है। मेले में ‘एक जिला एक उत्पाद’ पैवेलियन, स्वास्थ्य डेस्क और मातृ देखभाल कक्ष जैसे विशेष आकर्षण भी हैं, जो इसे और भी समृद्ध बनाते हैं।

सरस आजीविका मेला 2024 निश्चित रूप से ग्रामीण महिलाओं के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने और उन्हें सशक्त बनाने की दिशा में एक प्रभावी कदम साबित होगा।

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