हम सभी पर्यावरण का अभिन्न हिस्सा हैं, और प्रदूषण का बढ़ता स्तर और वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) में गिरावट ने मानव और पशु जीवन को प्रभावित किया है। अब समय आ गया है कि हम इस संकट को हल करने के लिए ठोस कदम उठाएं। हम सभी को यह समझना होगा कि हमारी अपनी गतिविधियाँ इस पर्यावरणीय संकट का कारण हैं। जब हम दूसरों पर उंगली उठाते हैं, तो तीन उंगलियाँ हमारी ओर भी इशारा करती हैं।
यह प्रेस कॉन्फ्रेंस प्रेस क्लब ऑफ इंडिया, रायसिना रोड पर आयोजित की गई थी।
समाजसेविका डॉ. उर्वशी मित्तल ने कहा, “अच्छाई घर से ही शुरू होती है। छोटे-छोटे कदम बड़े बदलाव का कारण बन सकते हैं। हमें अपनी आदतों को सुधारने और दूसरों को प्रेरित करने की आवश्यकता है। स्टील फ्लास्क का उपयोग, प्लास्टिक और कागज का उचित प्रबंधन, और कचरे का पृथक्करण – ये सभी कदम मिलकर पर्यावरण संरक्षण में महत्वपूर्ण योगदान देंगे।”
उन्होंने आगे कहा, “हमें अपनी मानसिकता को बदलने की जरूरत है – दोषारोपण से जिम्मेदारी की ओर, और आस्थाहीनता से कार्रवाई की ओर। केवल बड़े बदलावों से ही पर्यावरण संरक्षित नहीं होता, बल्कि हर छोटे प्रयास से फर्क पड़ता है।”
डॉ. मित्तल ने सरकार और आरडब्ल्यूए से भी अपील की कि वे इको-फ्रेंडली उपायों का समर्थन करें। उन्होंने कहा, “अगर सरकार भरोसेमंद पानी के आउटलेट प्रदान करती है, तो हम प्लास्टिक की बोतलों का उपयोग कम कर सकते हैं। इसके अलावा, कॉलोनियों में कूड़ा संग्रहण की सुविधा में सुधार की आवश्यकता है, जिससे कूड़ा पृथक्करण और तेजी से संग्रहण हो सके।”
समाज की इस साझा जिम्मेदारी में अस्पतालों और होटलों का भी योगदान जरूरी है। हमें अब अपने बच्चों और पृथ्वी के लिए एक बेहतर भविष्य के निर्माण में भागीदार बनना होगा।