दिल्ली विश्वविद्यालय के श्री अरबिंदो कॉलेज के हिन्दी विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर और मीडिया विशेषज्ञ डॉ. हंसराज सुमन ने हिन्दी दिवस के अवसर पर विद्यार्थियों से संवाद कार्यक्रम के दौरान बताया कि वर्तमान समय में हिन्दी भाषा में रोजगार के व्यापक अवसर उपलब्ध हो रहे हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में हिन्दी के महत्व को पहचान कर, इसे व्यवसायिक पाठ्यक्रमों के साथ जोड़ा जाना चाहिए, ताकि और अधिक रोजगार सृजित हो सकें।
डॉ. सुमन ने अपने संबोधन में बताया कि हिन्दी के प्रति रुचि बढ़ाने के लिए इस भाषा को सिर्फ मातृभाषा के रूप में ही नहीं, बल्कि एक महत्वपूर्ण विषय के रूप में प्रस्तुत किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, “आज हिन्दी न केवल एक सशक्त अभिव्यक्ति का माध्यम है, बल्कि रोजगार के कई नए रास्ते भी खोल रही है।” उनका मानना है कि मीडिया, फिल्म, अनुवाद, रंगमंच, रेडियो, वेब पत्रकारिता और सोशल मीडिया जैसे क्षेत्रों में हिन्दी के जानकारों की मांग बढ़ रही है।
विद्यार्थियों से हुए इस संवाद के दौरान, उन्होंने हिन्दी में रोजगार के अवसरों की बढ़ती सूची प्रस्तुत की और बताया कि हर साल भारत के विश्वविद्यालयों में हिन्दी पढ़ने वाले विदेशी छात्रों की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है। इसके अलावा, उन्होंने यह भी कहा कि हिन्दी अब 150 से अधिक विदेशी विश्वविद्यालयों में पढ़ाई जाती है, और इससे हिन्दी भाषा का वैश्विक महत्व भी बढ़ा है।
इस कार्यक्रम में उपस्थित विद्यार्थियों ने यह भी सवाल उठाया कि कई पाठ्यक्रमों में हिन्दी को रोजगार से जोड़ा तो गया है, लेकिन व्यवहारिक ज्ञान की कमी है। इस पर, डॉ. सुमन ने जोर दिया कि ऐसे विषयों को सही तरीके से सिखाने और फील्डवर्क का आयोजन करने की आवश्यकता है ताकि विद्यार्थियों को हिन्दी के वास्तविक व्यावसायिक पहलुओं का अनुभव हो सके।
हिन्दी में रोजगार के अवसर तेजी से बढ़ रहे हैं।राष्ट्रीय शिक्षा नीति में व्यवसायिक पाठ्यक्रमों के साथ हिन्दी को जोड़ा जाना चाहिए। हिन्दी अब वैश्विक स्तर पर पहचान बना रही है, विशेषकर विदेशी विश्वविद्यालयों में विद्यार्थियों को व्यावहारिक ज्ञान और फील्डवर्क की आवश्यकता है।
कार्यक्रम में कई विद्यार्थियों ने भाग लिया, जिनमें श्री राज बरनवाल, श्री अभिजीत मौर्या, सुश्री कंचन कुमारी, सुश्री नूरसब्बा, श्री अंशु शुक्ला और श्री अंकित कुमार प्रमुख थे।