शनिवार को इंडिया इंटरनेशनल ट्रेड फेयर (IITF) में लोगों की भारी भीड़ देखी गई। वीकेंड के इस खास मौके पर बिहार पवेलियन ने अपनी विशिष्टता और कला-संस्कृति के दम पर दर्शकों का ध्यान आकर्षित किया। महिला सशक्तिकरण की मिसाल बने इस पवेलियन में न केवल परंपरागत हस्तशिल्प और कला को मंच मिला, बल्कि ग्रामीण महिलाओं के हुनर को भी अंतरराष्ट्रीय पहचान मिली।
बिहार पवेलियन में महिला हस्तशिल्प उत्पादक कंपनी लिमिटेड की अध्यक्ष अनीता गुप्ता ने अपने स्टॉल पर गांव की महिलाओं द्वारा बनाए गए अनोखे हस्तशिल्प प्रदर्शित किए। उन्होंने बताया कि उनके प्रयासों से अब तक 1 लाख महिलाओं को हस्तशिल्प का प्रशिक्षण दिया गया है और 10,000 महिलाओं को रोजगार से जोड़ा गया है। उनके द्वारा निर्मित उत्पाद जैसे ईयररिंग्स, तोरण, चूड़ियां, सजावट की वस्तुएं और खिलौने देश ही नहीं बल्कि 7 अलग-अलग देशों में निर्यात किए जाते हैं।
अनीता गुप्ता को उनके इस अतुलनीय योगदान के लिए 2020 में महिला संघ द्वारा राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उन्होंने कहा, “ट्रेड फेयर जैसे मेले महिलाओं के लिए बड़े अवसर लेकर आते हैं। यहां से मिले ऑर्डर उनकी मेहनत को पहचान देते हैं और उनके जीवन को एक नई दिशा प्रदान करते हैं।”
बिहार पवेलियन में मधुबनी की शांति देवी और नीतू सिन्हा की कलाओं ने दर्शकों को अपनी ओर खींचा। पद्मश्री से सम्मानित शांति देवी ने मिथिला पेंटिंग को दीवारों से कागज, साड़ी और सूट तक पहुंचाकर इसे नई पहचान दी है। उन्होंने 5,000 से अधिक महिलाओं और बच्चों को प्रशिक्षण देकर इस कला को व्यापक बनाया।
वहीं, टेराकोटा कला की विशेषज्ञ नीतू सिन्हा ने अपने भित्ति चित्रों के माध्यम से बिहार की परंपराओं को जीवंत किया। उनके द्वारा बनाए गए म्यूरल्स, जैसे बिहार संग्रहालय और पावर ग्रिड गेस्ट हाउस की कलाकृतियां, बिहार की सांस्कृतिक धरोहर को संजोने का काम कर रही हैं। नीतू वर्तमान में छठ पूजा पर आधारित भित्ति चित्र का लाइव डेमो प्रस्तुत कर रही हैं, जो 25 नवंबर तक पूरा होगा।
सुधीरा देवी और नज़मा खातून ने सिक्की घास और सुजिनी क्राफ्ट को नए आयाम दिए हैं। सुधीरा देवी अपने 14 दिनों के लाइव डेमो में इन कलाओं की बारीकियों को प्रस्तुत किया। बिहार सरकार की ओर से मिले सहयोग की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि इन सुविधाओं ने कलाकारों को अपनी कला में निखार लाने का मौका दिया है।
वीकेंड पर इंडिया इंटरनेशनल ट्रेड फेयर के स्टेट फूड कोर्ट में बिहारी व्यंजनों का जलवा देखने को मिला। “मिस्टर लिट्टीवाला” के लिट्टी-चोखा ने सबसे ज्यादा लोगों को आकर्षित किया। इसके अलावा समोसा चाट और दही भल्ला ने भी खाने के शौकीनों का दिल जीता। मिठाइयों में अनरसा, लौंगलता और चंद्रकला खास आकर्षण बने, जबकि सत्तू और लीची का जूस लोगों की प्यास बुझाने के साथ ताजगी का एहसास करा रहा था। पारंपरिक बिहारी स्वाद ने यहां हर उम्र के लोगों को खूब लुभाया।
बिहार पवेलियन में दिखाए गए हस्तशिल्प और कला-संस्कृति ने न केवल बिहार की परंपराओं को जीवंत किया, बल्कि महिला सशक्तिकरण की दिशा में भी एक मिसाल कायम की। वीकेंड पर यहां उमड़ी भीड़ ने यह साबित कर दिया कि बिहार की कला और संस्कृति का आकर्षण देश और विदेश में बराबर कायम है।