4 सितंबर, नई दिल्ली 2024: असोचैम ग्लोबल टेक्सटाइल सस्टेनेबिलिटी समिट में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए भारत सरकार के कपड़ा मंत्रालय के राज्य मंत्री श्री पबित्रा मरघेरिटा ने टेक्सटाइल उद्योग में सस्टेनेबिलिटी के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि भारत का लक्ष्य सतत कपड़ा उत्पादन में वैश्विक नेतृत्व करना है और इस दिशा में दुनिया को प्रेरित करना है।
समिट को संबोधित करते हुए, उन्होंने कहा कि टेक्सटाइल उद्योग को सतत विकास और सामाजिक जिम्मेदारी के साथ जोड़कर आगे बढ़ाना जरूरी है। भारत का कपड़ा क्षेत्र नई सस्टेनेबिलिटी मानकों को स्थापित करने का एक महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करता है, जो न केवल उद्योग की सफलता सुनिश्चित करेगा, बल्कि पर्यावरण पर भी सकारात्मक प्रभाव डालेगा।
उन्होंने बताया कि कपड़ा मंत्रालय ने पूरे टेक्सटाइल वैल्यू चेन में सस्टेनेबिलिटी को बढ़ावा देने के लिए कई पहलों की शुरुआत की है, जैसे कि पर्यावरण, सामाजिक और शासन (ESG) टास्क फोर्स की स्थापना, ईको-फ्रेंडली प्रथाओं का प्रोत्साहन, वस्त्रों का पुनर्चक्रण और बायोडिग्रेडेबल कपड़ा सामग्रियों का विकास।
इसके अलावा, पीएलआई योजना, पीएम मेगा इंटीग्रेटेड टेक्सटाइल रीजन और अपैरल (PM MITRA) पार्क, राष्ट्रीय तकनीकी वस्त्र मिशन (NTTM) और रणनीतिक व्यापार समझौतों जैसी नीतिगत हस्तक्षेपों ने टेक्सटाइल सेक्टर में विश्व स्तरीय बुनियादी ढांचे के निर्माण, निवेश को बढ़ावा देने और रोजगार के अवसरों को सृजित करने का मार्ग प्रशस्त किया है।
श्री मरघेरिटा ने कहा, “हमारा उद्देश्य न केवल भारत को सतत टेक्सटाइल का हब बनाना है, बल्कि दुनिया भर में एक अधिक जिम्मेदार उद्योग की ओर एक वैश्विक आंदोलन को प्रेरित करना है। सतत टेक्सटाइल उद्योग की दिशा में यात्रा एक साझा प्रयास है जिसमें प्रतिबद्धता, सहयोग और नवाचार की आवश्यकता है।”
श्री रोहित कंसल, अतिरिक्त सचिव, कपड़ा मंत्रालय, ने अपने विशेष संबोधन में कहा कि हमारे देश का टेक्सटाइल उद्योग ऐतिहासिक वृद्धि की ओर अग्रसर है। इस क्षेत्र की कुल कीमत 175 बिलियन डॉलर है, जिसमें 38-40 बिलियन डॉलर का निर्यात शामिल है। उन्होंने कहा कि 2030 तक हमारा लक्ष्य 300 बिलियन डॉलर का उद्योग स्थापित करना है, जिसमें 100 बिलियन डॉलर का निर्यात शामिल होगा। चार बड़े रुझान जो इस क्षेत्र को आगे बढ़ा रहे हैं, उनमें घरेलू टेक्सटाइल सेक्टर की निरंतर 8% की वृद्धि दर, डिजिटलीकरण, ऑटोमेशन और एआई शामिल हैं।
श्री कंसल ने यह भी कहा कि वर्तमान की आवश्यकताओं को पूरा करना, भविष्य की आवश्यकताओं को बिना नुकसान पहुंचाए, सतत विकास पहलों के माध्यम से संभव है। सर्कुलर इकोनॉमी प्रथाओं से टेक्सटाइल को सस्टेनेबिलिटी का केंद्र बनाया जा सकता है। टेक्सटाइल कचरा नगर पालिका कचरे का तीसरा सबसे बड़ा योगदानकर्ता है। सतत प्रथाओं को अपनाना उद्योग की दृष्टिकोण में एक मौलिक बदलाव है, जो सुनिश्चित करता है कि उद्योग और पर्यावरण दोनों के लिए एक उज्जवल भविष्य सुनिश्चित हो।
श्री अजय सरदाना, असोचैम टेक्सटाइल्स और तकनीकी टेक्सटाइल्स काउंसिल के सह-अध्यक्ष और रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के पॉलिएस्टर अध्यक्ष ने कहा कि भारत सतत टेक्सटाइल्स के क्षेत्र में अग्रणी है, जहां 93% पीईटी बोतलों को पुनर्चक्रित कर उन्हें उच्च गुणवत्ता वाले पॉलिएस्टर परिधान में बदल दिया जाता है। उन्नत तकनीक के माध्यम से, हम फैब्रिक-टू-फाइबर पुनर्चक्रण का मार्ग प्रशस्त कर रहे हैं और एक मजबूत रिवर्स मैकेनिज्म स्थापित कर रहे हैं। सरकारी प्रोत्साहन योजनाओं के साथ, हमारी सस्टेनेबिलिटी पहलों का भविष्य और भी उज्जवल होगा, जिससे टेक्सटाइल उद्योग को एक हरित भविष्य की ओर अग्रसर किया जा सकेगा।