नई दिल्ली: प्रधानमंत्री ने उत्तराखंड के लोगों और यहां आने वाले पर्यटकों से पर्यावरण और संस्कृति को संजोने की अपील की है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड प्रकृति प्रेमियों की भूमि है, जहां हर महिला में माँ नंदा का रूप देखा जाता है। उन्होंने सुझाव दिया कि लोग अपनी माताओं के नाम पर पेड़ लगाएं ताकि जलवायु परिवर्तन से लड़ाई में योगदान दिया जा सके।
उत्तराखंड में नैचुरल जल स्रोतों जैसे नौले और धारों को पवित्र माना जाता है। प्रधानमंत्री ने इन जल स्रोतों की सफाई और संरक्षण के प्रयास तेज करने का आग्रह किया। इसके साथ ही लोगों को अपने गांवों से जुड़े रहने, खासतौर पर रिटायरमेंट के बाद गाँव में समय बिताने की सलाह दी।
प्रधानमंत्री ने पुरानी तिबारी शैली के घरों को होमस्टे में बदलकर आजीविका का साधन बनाने का सुझाव भी दिया। पर्यटकों से उन्होंने अपील की कि पहाड़ों में यात्रा करते समय सिंगल-यूज़ प्लास्टिक का उपयोग न करें, “वोकल फॉर लोकल” को प्रोत्साहित करें और यात्रा का कुछ हिस्सा स्थानीय उत्पादों पर खर्च करें।
साथ ही, पर्यटकों से पहाड़ी यातायात नियमों का पालन और धार्मिक स्थलों पर स्थानीय परंपराओं का सम्मान करने का भी अनुरोध किया गया है, ताकि उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित किया जा सके।