(08/05/2015) 
रवीन्‍द्रनाथ टैगोर के जन्‍मदिन पर राष्‍ट्रपति ने दिया सन्देश
राष्‍ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने गुरूदेव रवीन्‍द्रनाथ टैगोर के 154वें जन्‍मदिन के अवसर पर अपने संदेश में कहा है कि एक शताब्‍दी बीत जाने के बाद भी टैगोर की प्रासंगिकता खत्‍म नहीं हुई है। उन्‍होंने कहा कि एक तरफ तो उनके साहित्‍य ने भारत और विश्‍व में लाखों लोगों का दिल जीता है जबकि दूसरी तरफ शिक्षा, गांव के पुर्निर्माण, सहाकारिता और अनेक अन्‍य क्षेत्रों में उनके विचार और अवधारणाएं आज भी हमें बेहतर और उज्‍जवल विश्‍व की ओर ले जाने के लिए दिशा दिखाती हैं।

राष्‍ट्रपति ने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में टैगोर की अवधारणाएं प्राचीन भारत के आदर्श पर आधारित थी जिसने युवा विद्यार्थियों को नीरस कक्षाओं के बजाय खुले में आनंदित होकर शिक्षा का मजा लेने की प्रेरणा दी थी। इसी तरह टैगोर के ग्रामीण पुर्निर्माण के बारे विचार सहकारी कृषि पर आधारित थे जो स्‍व-सहायता और आपसी सदभाव की नीति से निर्देशित थी जिसे आज दुनिया भर में सामुदायिक कॉलेज की अवधारणा के रूप में स्‍वीकार किया गया है।
राष्‍ट्रपति ने कहा कि टैगोर ने एक शताब्‍दी पूर्व ही राष्‍ट्र और सभ्‍यता के आपसी सहयोग पर जोर देते हुए वैश्वीकरण के विचार का पूर्वानुमान लगा लिया था। आज संघर्षपूर्ण विश्‍व में जहां विघटनकारी ताकतें शांति और आपसी मैत्री को खत्‍म करने के लिए अपना सर उठा रही हैं, टैगोर का सार्वभौमीकरण का संदेश बेहतर भविष्‍य के लिए विश्‍वास की प्रेरणा देता है। 
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