(16/05/2015)
संघाई में गूंजा मोदी-मोदी
तीन देशो की यात्रा पर गए हुए भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को संघाई में लोगो को सम्बोधित किया लेकिन इससे पहले नरेंद्र मोदी ने चीन के 22 कम्पनियो के सीईओज के साथ मुलाकात की और करीब 22 अरब डॉलर के समझौते किए गए। 10 अरब डॉलर के समझौते शुक्रवार को भी हुए थे। इन समझौतों के बाद निवेश के वादों के मामले में चीन ने अमेरिका को पीछे छोड़ दिया। ये हालात बीते 8 महीने में बदले हैं। पहले जिनपिंग की भारत यात्रा और अब मोदी की चीन यात्रा के बाद दोनों देशों के बीच 52 अरब डॉलर के करार हो चुके हैं। इसमें से 95% से ज्यादा रकम भारत में निवेश के रूप में आएगी। वहीं, अमेरिका ने भी बीते 8 महीने में दो बार भारत के साथ करार किए। लेकिन कुल मूल्य 45 अरब डॉलर ही रहा। हालांकि, चीन हो या अमेरिका, निवेश का फायदा भारत के मेक इन इंडिया कैम्पेन को मिलने वाला है।मुझे यहां आप सबके बीच उपस्थित होकर सचमुच प्रसन्नता हो रही है। इस मंच में आने से पहले मैंने चीन की प्रमुख कंपनियों के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों-सीईओ के साथ बहुत विस्तार में चर्चा की। मुझे विश्वास है कि आज के विचार विमर्श से दोनों देशों की जनता और व्यापार को फायदा होगा। मेरे साथ कई अधिकारी और भारत के जाने-माने सीईओ भी यहां उपस्थित हैं। जैसा कि आप जानते हैं चीन और भारत दोनों की विश्व में महान और पुरानी सभ्यताएं हैं। उन्होंने समूचे मानव समाज को ज्ञान के कई प्रकाश दिए हैं। आज हम दोनों मिलकर विश्व की कुल जनसंख्या के एक तिहाई से अधिक भाग का प्रतिनिधित्व करते हैं।भारत और चीन का पांच हजार वर्ष का साझा इतिहास है और तीन हजार चार सौ किलोमीटर से अधिक साझा सीमा है। दो हजार वर्ष पहले चीन के सम्राट मिंग के निमंत्रण पर भारत के दो भिक्षुओं ने चीन की यात्रा की थी। वे अपने साथ सफेद घोडों पर संस्कृत के कई ग्रंथ लेकर आये थे। उन्होंने बौद्ध धर्म के कई श्रेष्ठ ग्रंथों का चीनी भाषा में अनुवाद किया था। ऐसा माना जाता है कि उन्होंने चीन में बौद्ध धर्म के द्वार खोले। चीन के सम्राट ने इस अवसर को यादगार बनाने के लिए एक मंदिर बनवाया था। यह मंदिर व्हाइट हाउस टेंपल के रूप में प्रसिद्ध है। चीन में बौद्ध धर्म के प्रसार के साथ इस मंदिर का महत्व बढ़ता गया। इसके साथ ही बौद्ध धर्म का प्रसार कोरिया, जापान और वियतनाम में हुआ। एशियाई देशों में बौद्ध धर्म की पवित्रता और शुद्धता सफलता का बीज मंत्र साबित हुई। मेरा यह अडिग विश्वास है कि यह शताब्दी एशिया की शताब्दी है और बौद्ध धर्म एशियाई देशों के बीच और अधिक एकता और प्रेरक शक्ति के रूप में मौजूद रहेगा। मोदी ने आगे कहा, 'भारत आज नई भूमिका की ओर बढ़ रहा है. चांद-तारों को हमने रिश्ते का नाम दिया. प्रकृति का दोहन सही है, शोषण गलत. ग्लोबल वॉर्मिंग विश्व की चिंता है. लोग मेरे विदेश दौरे को लेकर मेरी बुराई करते हैं. लेकिन 125 करोड़ देशवासियों के लिए मैं आलोचना सुनने के लिए तैयार हूं. मेरा एक-एक कण देश के लिए है. मैंने ह्वेंगसांग ने अपनी किताब में मेरे शहर का वर्णन किया था. मैंने खुदाई करवाई तो बात सच साबित हुई. राष्ट्रपति शी जिनपिंग मेरे गांव में ये काम देखना चाहते थे. राष्ट्रपति ने मुझे किताब दिखाई.' |
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